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मजदूर विरोधी नीतियों को लेकर शिमला में सीटू की बैठक, देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी

मजदूर विरोधी नीतियों को लेकर राजधानी शिमला में सीटू की बैठक जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में आयोजित (CITU held meeting in Shimla ) की गई. इस दौरान जनता व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ (anti labour policies in Himachal) सीटू अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के साथ मिलकर 23-24 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल करने का निर्णय लिया गया.

CITU meeting held in Shimla
शिमला में सीटू की बैठक
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Published : Dec 26, 2021, 5:53 PM IST

शिमला: सीटू जिला कमेटी शिमला की बैठक (Meeting of CITU District Committee Shimla) जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में हुई. सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा व महासचिव अजय दुलटा ने जिला कमेटी बैठक (CITU held meeting in Shimla ) के निर्णयों के बारे में बताया कि केंद्र सरकार की जनता व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के साथ मिलकर 23-24 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल करेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की जयराम सरकार लगातार मजदूर विरोधी (anti labour policies in Himachal) निर्णय ले रही हैं.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 2600 रुपए मासिक वेतन लेने वाले मिड डे मील वर्कर्स के वेतन (mid day meal workers salary in himachal) में पिछले बारह वर्षों में एक भी रुपए की बढ़ोतरी नहीं की है. कोरोना काल में शानदार कार्य करने वाले आंगनबाड़ी कर्मियों को हिमाचल प्रदेश में हरियाणा के मुकाबले केवल आधा वेतन दिया जा रहा है. इसके साथ ही आईसीडीएस के निजीकरण की साजिश रची जा रही है. कोरोना योद्धा आशा कर्मियों का भारी शोषण किया जा रहा है. मनरेगा व निर्माण मजदूरों को हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभों व रोजगार से वंचित किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: खेल मंत्री और हिमाचल ओलंपिक संघ की बैठक में खेल नीति को लेकर की गई विस्तृत चर्चा

आउटसोर्स कर्मियों को बारह घंटे की ड्यूटी का मात्र तीन हजार से 9 हजार रुपए मासिक वेतन (outsource employees in himachal) दिया जा रहा है. उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के मजदूरों (laborers in Himachal Pradesh) के वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है. कोरोना काल में देश की ही तरह प्रदेश में हजारों मजदूरों की छंटनी की गई है और उनके वेतन में चालीस प्रतिशत तक की कटौती की गई है.

देश के मजदूर लंबे समय से 21 हजार रुपए वेतन की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका वेतन बढ़ाने के बजाए मजदूरों के श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए गए हैं. इन लेबर कोड से नियमित रोजगार खत्म हो जाएगा. बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा, अजय दुलटा, बिहारी सेवगी, हिमी देवी समेत कई अन्य सदस्य मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: PM Modi visit Himachal: हिमाचल प्रदेश के विकास में 27 दिसंबर महत्वपूर्ण दिन गिना जाएगा- प्रो. धूमल

शिमला: सीटू जिला कमेटी शिमला की बैठक (Meeting of CITU District Committee Shimla) जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में हुई. सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा व महासचिव अजय दुलटा ने जिला कमेटी बैठक (CITU held meeting in Shimla ) के निर्णयों के बारे में बताया कि केंद्र सरकार की जनता व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के साथ मिलकर 23-24 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल करेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की जयराम सरकार लगातार मजदूर विरोधी (anti labour policies in Himachal) निर्णय ले रही हैं.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 2600 रुपए मासिक वेतन लेने वाले मिड डे मील वर्कर्स के वेतन (mid day meal workers salary in himachal) में पिछले बारह वर्षों में एक भी रुपए की बढ़ोतरी नहीं की है. कोरोना काल में शानदार कार्य करने वाले आंगनबाड़ी कर्मियों को हिमाचल प्रदेश में हरियाणा के मुकाबले केवल आधा वेतन दिया जा रहा है. इसके साथ ही आईसीडीएस के निजीकरण की साजिश रची जा रही है. कोरोना योद्धा आशा कर्मियों का भारी शोषण किया जा रहा है. मनरेगा व निर्माण मजदूरों को हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभों व रोजगार से वंचित किया जा रहा है.

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आउटसोर्स कर्मियों को बारह घंटे की ड्यूटी का मात्र तीन हजार से 9 हजार रुपए मासिक वेतन (outsource employees in himachal) दिया जा रहा है. उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के मजदूरों (laborers in Himachal Pradesh) के वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है. कोरोना काल में देश की ही तरह प्रदेश में हजारों मजदूरों की छंटनी की गई है और उनके वेतन में चालीस प्रतिशत तक की कटौती की गई है.

देश के मजदूर लंबे समय से 21 हजार रुपए वेतन की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका वेतन बढ़ाने के बजाए मजदूरों के श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिए गए हैं. इन लेबर कोड से नियमित रोजगार खत्म हो जाएगा. बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा, अजय दुलटा, बिहारी सेवगी, हिमी देवी समेत कई अन्य सदस्य मौजूद रहे.

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