शिमला: हिमाचल प्रदेश 350 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क (MEDICAL DEVICE PARK) को केंद्र ने अंतिम मंजूरी दे दी है. सोलन जिले के नालागढ़ में बनने वाले इस मेकिडल डिवाइस पार्क के लिए उद्योग विभाग ने हाल ही में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट मंजूरी के लिए केंद्र को भेजी थी. मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है. इससे 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. वहीं, इससे हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर होगा.
265 एकड़ में होगा पार्क का निर्माण- इस प्रोजक्ट को अब तक केंद्र से 100 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल गई है और 30 फीसदी राशि सप्ताह के भीतर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. मेडिकल डिवाइस पार्क का निर्माण नालागढ़ में 265 एकड़ में किया जाएगा. इस पार्क के निर्माण के बाद निवेशकों को के रुपये वर्ग मीटर प्रति दर से जमीन लीज पर दी जाएगी और बिजल 3 रुपये प्रति किलोवाट की दर मुहैया कराई जाएगी.
डिवाइस पार्क में उपलब्ध होंगी ये सुविधाएं- पार्क में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं उपलब्ध करावाई जाएंगी. जैसे थ्रीडी डिजाइन, रैपिड प्रोटोटाइप और टूलिंग लैब, इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन और विकास लैब, हेप्टिक मेक्ट्रोनिक्स मेडिकल रोबोटिक्स लैब, बायो कंपेटिबिलिटी और बायो मटेरियल टेस्टिंग लैब, गामा इरेडिएशन, इनक्यूबेशन सेंटर और इंटरनेट ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी लैब शामिल हैं.
बद्दी में एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब- हिमाचल प्रदेश का एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब (pharma hub baddi) में शुमार होता है. प्रदेश में करीब 700 दवा उद्योग स्थापित हैं. जिनमें से 200 से ज्यादा ईयू अप्रूव्ड, 200 से ज्यादा डब्ल्यूएचओ व जीएमपी और कई उद्योग यूएसएफडीए अप्रूव्ड हैं.
सीएम जयराम ने केंद्र का जताया आभार- उद्योग विभाग के निदेश राकेश प्रजापति ने कहा कि केंद्र सरकार से जैसे ही राशि जारी होती है. वैसे ही मेडिकल डिवाइस पार्क का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा. इसके निर्माण के लिए साल 2024 तक का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने डिवाइस पार्क की मंजूरी मिलने पर केंद्र सरकार का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि यह प्रदेश की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है.
16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्र को मिले थे प्रस्ताव- मेडिकल डिवाइस पार्क के अंतर्गत कुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्राप्त हुए थे. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन प्रतिस्पर्धा पर हुआ है, जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of Doing Business Ranking), तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित थी.