शिमला: छाेटी से छाेटी बात पर जिंदगी से अपने आप काे हारा हुआ मानने वालाें को उन लाेगाें से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जाे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी जंग जीतकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. IGMC में शनिवार काे कैंसर से जंग जीत चुके मरीजाें का संवाद कार्यक्रम रखा गया. इस दाैरान यहां आए मरीजाें ने कहा कि शुरू में उन्हें लगा था कि वे अपनों से दूर चले जाएंगे. लेकिन इस आशंका और अनिश्चितता के बाद हमने कैंसर काे हराया और अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
विजय गाथा नामक इस कार्यक्रम (Vijay Gatha Program at IGMC) के दाैरान IGMC कैंसर अस्पताल के डॉक्टर प्रो. विकास फोतेदार ने (Doctor Vikas Fotedar) कहा कि कैंसर अस्पताल में मरीजाें की देखभाल अन्य अस्पतालाें की तुलना में बेहतर तरीके से हाेती है. पिछले 10 साल से हम मरीजों और उनके परिजनाें का विश्वास जीतने में सफल हाे पाए हैं. उनका कहना था कि उनके पास 100 मरीज हैं और नौ कैंसर को मात दे चुके हैं. उनका कहना था कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सबसे ज्यादा होता है जबकि पुरुषो मे लंग कैंसर, लिवर का कैंसर सबसे ज्यादा होता है.
सपना कहती हैं कि मैं मंडी की रहने वाली हूं. मुझे ब्रेस्ट में गांठ महसूस हुई. मैंने डाॅक्टर काे दिखाया, डाॅक्टर ने टेस्ट लिया ताे पता लगा कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर हाे गया था. मैंने पाॅजीटिव साेचना किया और इलाज शुरू किया. 2012 में ऑपरेशन हुआ था, मैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत अच्छा इलाज मिला और अब वह पूरी तरह ठीक हैं.
मंडी की राखी कपूर से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि 2014 में हमें पता लगा. उन्होंने बताया कि उस समय पूरा परिवार सदमे आ गया. लेकिन आईजीएमसी के डॉक्टरों ने मुझे बहुत सहयोग किया और मैंने इस बीमारी से लड़ने का निर्णय ले लिया. डॉक्टर ने मुझे पूरी थेरपी के बारे में बताया. हमने जैसा डॉक्टर ने कहा वैसे ही किया. उन्होंने कहा मेरी 8 थेरपी हुई और 9 महीने के बाद में रिकवर हुई.
उन्होंने बताया कि इसके साइडइफेक्ट भी हुए. मेरे बाल झड़ गए, नाखून सिकुड़ गए थे. उन्होंने कहा की बीमारी के दौरान किसी से बात करने का मन नहीं करता था. लेकिन मैं मानसिक रूप से काफी मजबूत हूं और डॉक्टरों ने भी मेरा पूरा साथ दिया. वहीं, सुमन लता ने बताया किया मुझे 2019 में अपनी बीमारी का पता लगा. मुझे और मेरे परिवार को विश्वास नहीं हो रहा था कि मुझे भी इस तरह की बीमारी हो सकती है. लेकिन ये ऐसी बीमारी है ये किसी को भी हो सकती है.
उन्होंने कहा कि मुझे बहुत से लोगों ने कहा आईजीएमसी में अपना इलाज नहीं करवाओ पीजीआई या बाहर कहीं भी अपना इलाज करवाओ. लेकिन मेरे पति ने कहा कि आईजीएमसी सबसे बेहतर अस्पताल है और मैंने अपना इलाज इसी अस्पताल में करवाया. उन्होंने बताया कि मेरी सर्जरी के बाद मेरा कीमो हुआ. पूरे इलाज के दौरान डॉक्टरों ने पूरा सहयोग किया है.
वहीं, उन्होंने बताया कि अस्पताल में कुछ कमियां भी हैं और सरकार को और प्रशासन को उन कमियों को दूर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल में पेट स्कैन की सुविधा नहीं है. मरीजों को पेट स्कैन के लिए पीजीआई जाना पड़ता है. जिसमें काफी समय लगता है. पेट स्कैन की सुविधा आईजीएमसी में जल्द शुरू करनी चाहिए ताकि मरीजों को बाहर धक्के न खाने पड़ें.
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