शिमलाः शहरी क्षेत्रों में रोजगार के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना शुरू की है. सरकार का कहना है कि योजना के लागू होने से जरूरतमंद हिमाचलियों को कोरोना महामारी के समय में रोजगार पाने में मदद मिल रही है. प्रदेश में इस योजना के तहत 300 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है.
शहरी विकास विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना के तहत 900 व्यक्तियों ने रोजगार के लिए अपने को पंजीकृत करवाया. इन सभी व्यक्तियों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वित्त पोषित और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा संचालित कार्यों और स्वच्छ भारत मिशन व ठोस कचरा प्रबन्धन से संबंधित कार्यों में रोजगार उपलब्ध करवाया गया है.
विभाग का कहना है कि योजना के तहत 30 दिनों का कार्य पूरा होने के बाद लाभार्थी ट्रेनिंग के दौरान भी पूरा वेतन दिया जा रहा है. लाभार्थियों का स्किल भी अपग्रेड हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक वित्त वर्ष के दौरान इस योजना के तहत पंजीकृत हर शहरी परिवार को 125 दिनों का रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है.
अकुशल कामगार कर सकते हैं आवेदन
इस योजना के लिए शहरी स्थानीय निकायों में कोई भी अकुशल कामगार बिना किसी आयु सीमा के निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन कर सकता है. प्रवक्ता ने कहा कि इस योजना के तहत शहरी स्थानीय निकायों के क्षेत्राधिकार में आने वाले 65 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति पंजीकरण करवा सकते हैं.
पंजीकरण के सात दिनों के भीतर जॉब कार्ड
लाभार्थियों को पंजीकरण के सात दिनों के भीतर जॉब कार्ड और 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा. रोजगार उपलब्ध न होने की स्थिति में लाभार्थियों को शहरी स्थानीय निकायों की ओर से 75 रुपये प्रतिदिन रोजगार भत्ता प्रदान किया जाएगा.
इसके अतिरिक्त योजना के तहत महिला और पुरूष कामगारों को समान वेतन प्रदान किया जा रहा है. शहरी स्थानीय निकायों द्वारा कामगारों को वेतन का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- शहीदों का बलिदान व्यर्थ न जाए यह केवल शब्दो में न रहे: शांता कुमार
ये भी पढ़ें- युवक को कोरोना नेगेटिव आने पर भेजा गांव, फिर घर पहुंचने से पहले ही कहा रिपोर्ट पेंडिंग