शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेशों के बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने वन विभाग के 15 अधिकारियों और कर्मचारियों को चार्जशीट कर दिया है. वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों के अवैध कटान से जुड़े में हाई कोर्ट की सख्ती के बाद जयराम सरकार ने यह करवाई की है. वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में अपने आदेशो की अनुपालना न करने पर नाराजगी जताते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव (वन) व प्रधान मुख्य अरण्यपाल, शिमला को 20.04.2021 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिए थे.
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने ये आदेश कोटि रेंज में पेड़ों की कटाई और वन विभाग के उच्च अधिकारियों सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतः संज्ञान लेने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किए थे. न्यायालय ने 17.05.2018 को सभी वन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे, जो वन रेंज कोटि, यूपीएफ शालोट में 416 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार थे और ऐसे सभी वन अधिकारियों / कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ करने के लिए भी आदेश जारी किए थे जो उस क्षेत्र में पिछले 3-4 वर्षों में 416 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार थे. हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आदेशो की अनुपालना करने और दो सप्ताह की अवधि में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था.
न्यायालय ने पेड़ काटने के आरोपी भूप राम को न्यायालय की रजिस्ट्री में रु .3,68,233 / - ( वन अधिकारियों द्वारा निर्धारित मूल्य) की राशि जमा करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने आगे कहा कि यह मुख्य सचिव और उप पुलिस अधीक्षक (शहर), शिमला के हलफनामों से स्पष्ट है कि आरोप केवल तीन कर्मचारियों, जिनमे एक बीट गार्ड और दो ब्लॉक कर्मचारियों के खिलाफ लगाए गए थे, जिनमें से एक सेवानिवृत्त हो गया हैं और केवल तीन कर्मचारियो और भूप राम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
न्यायालय ने कहा कि उत्तरदाताओं ने इस अदालत द्वारा पारित निर्देशों की अनुपालना नहीं की है. समय-समय पर आदेशो की अनुपालना में उत्तरदाताओं द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की. सरकार ने कार्यवाही के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की है. क्योंकि उन अधिकारियों के खिलाफ कोई दायित्व तय नहीं किया गया है जो उच्च पदों पर आसीन हैं. न्यायालय ने प्रधान मुख्य अरण्यपाल शिमला को एक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था. जिसमें यह बताया जाना था कि किस आधार पर, निचले स्तर के कर्मचारियों को पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. न्यायालय ने तत्कालीन अतिरिक्त महाधिवक्ता को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें एफआईआर की स्थिति, जांच रिपोर्ट और पेड़ों / पौधों की स्थिति उल्लेख हो, जो कि अवैध रूप से काटे गए थे.