पांवटा साहिब: रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद ने अब जंग का (Ukraine-Russia war) रूप ले लिया है. रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है. यूक्रेन के कई हिस्सों में गुरुवार सुबह से धमाके जारी हैं. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने पूरे विश्व को तो चिंता में डाल ही दिया है साथ ही वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर उनके परिजन भी खासा चिंतित हैं.
हालांकि फिलहाल अभी पूरा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के भी कईं छात्र यूक्रेन के इवानो में फंसे हुए हैं और भय के माहौल में सुरक्षित वापिस ले जाने की भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं. वहीं, बच्चों के अभिभावकों ने भी सरकार से उनके बच्चों को सुरक्षित वापिस लाने के लिए (Himachal students trapped in Ukraine) कदम उठाने की मांग की है.
पांवटा साहिब की अधिवक्ता गुलशन अंसारी ने बताया कि उनकी बेटी मुस्कान खान भी पांवटा साहिब के भंगानी की एक लड़की के साथ इवोना में मौजूद है. उन्होंने बताया कि बेटी से बात करने पर चला कि वहां पर हिंदुस्तान के करीब 18 से 20 हजार विद्यार्थी एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए हैं और फंसे हुए छात्रों में करीब 150 हिमाचल से हैं और पांवटा साहिब से भी चार से पांच विद्यार्थी इनमें शामिल हैं.
वहीं, अधिवक्ता गुलशन अंसारी की बेटी ने उन्हें कॉल पर (Ukraine Russia War Situation) बताया कि आज सुबह ही रूस का अटैक हुआ है जिससे हर तरफ दहशत का माहौल है. भारतीय दूतावास ने उन्हें निर्देश दिए हैं कि जहां हैं वहीं रहें और जल्द उन्हें निकाला जाएगा. उधर, एसडीएम पांवटा साहिब विवेक महाजन ने कहा कि फिलहाल उनके पास ऐसी कोई सूचना नहीं आई है. सोवियत संघ के जमाने में कभी मित्र रहे ये प्रांत दो देश बनने के बाद एक दूसरे के शत्रु क्यों बन गए हैं और वहां के ताजा हालात क्या हैं? इसकी वजह ऐसे समझें...
यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है. 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था. रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ, जबकि उन्हें रूस का समर्थन था. यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा. इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया.
इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा (Ukraine Russia War Situation) कर लिया. 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था. इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ. 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की. फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया.
हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया. यूक्रेन के नाटो से अच्छे (Why Russia Wants To Invade Ukrain) रिश्ते हैं. 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी 'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन' बनाया गया था. यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी. अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं, यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं. रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे.
राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे. आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया. अब यदि नाटो ने रूस पर जवाबी कार्रवाई की और यूरोप के अन्य देश इस जंग में कूदे तो तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा.
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