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कांग्रेस की हुई दयाल प्यारी, कहा: बीजेपी से अलग हुई हूं जख्म तो गहरे ही होंगे

दयाल प्यारी ने दिल्ली कांग्रेस भवन में हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. फोन पर बातचीत में जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा दयाल प्यारी ने कहा कि कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी में शामिल हो गई हैं. वह कांग्रेस की सदस्यता को लेकर विस्तार से बाद में चर्चा करेंगी.

Rajeev shukla pawan bansal dyal pyari
Rajeev shukla pawan bansal dyal pyari
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Published : Apr 1, 2021, 6:02 PM IST

राजगढ़: जिला सिरमौर से तीन बार जिला परिषद सदस्य, एक बार जिला परिषद चेयरमैन रहीं पूर्व बीजेपी नेत्री दयाल प्यारी ने आज कांग्रेस का हाथ थाम लिया. दयाल प्यारी ने दिल्ली कांग्रेस भवन में हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की.

बता दें कि 2019 में दयाल प्यारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्होंने 11,651 मत प्राप्त किए थे. दयाल प्यारी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं. दयाल प्यारी ने वीरवार को कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. सिरमौर के पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली दयाल प्यारी के कांग्रेस में आने से कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.

निदर्यील लड़ा था विधायक का चुनाव

2019 के उप चुनाव में बीजेपी से बगावत करने के बाद दयाल प्यारी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने सांसद बनने के बाद विधायक के पद से इस्तीफा दिया था. विधानसभा के उप चुनाव में हालांकि दयाल प्यारी तीसरे स्थान पर रही थी, लेकिन 21.56 प्रतिशत वोट हासिल कर अपनी ताकत का अहसास करवा दिया था.

11,651 वोट किए थे हासिल

कांग्रेस ने भी अब दयाल प्यारी को अपने पाले में लाकर दलित कार्ड खेला है. उप चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भाजपा की रीना कश्यप को 22,048 वोट हासिल हुए थे, जबकि कांग्रेस के गंगूराम मुसाफिर ने 19,306 मत प्राप्त किए थे. वहीं, दयाल प्यारी ने अकेले ही अपने दम पर उस समय 11,651 वोट हासिल किए थे, जब पूरी भाजपा सरकार ने उप चुनाव में जोर लगा रखा था. पच्छाद सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा दी थी. इस कारण कांग्रेस का काफी मनोबल गिरा हुआ था. यहां कांग्रेस के शीर्ष नेता गंगूराम मुसाफिर को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है.

उप चुनाव के दौरान की थी 2022 में चुनाव लड़ने की घोषणा

अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली दयाल प्यारी ने उस समय भी इस बात का ऐलान कर दिया था कि वो 2022 का विधानसभा चुनाव लडे़ंगी. तीन बार जिला परिषद का चुनाव जीत चुकी दयाल प्यारी एक बार जिला परिषद की चेयरपर्सन भी रही हैं. खास बात यह भी थी कि वो तीन अलग-अलग वार्डों से जिला परिषद का चुनाव जीती थी.

हाल ही के पंचायतीराज चुनाव में बागपशोग की जिला परिषद सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यहां से जीती निर्दलीय उम्मीदवार ने लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी को समर्थन नहीं दिया. फोन पर बातचीत में जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा दयाल प्यारी ने कहा कि कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी में शामिल हो गई हैं. वह कांग्रेस की सदस्यता को लेकर विस्तार से बाद में चर्चा करेंगी. अलबत्ता ये जरूर कहा कि उनके ससुर 1977 से जनसंघ से जुड़े हुए हैं. अब भाजपा से अलग हुई हूं तो जख्म गहरे ही होंगे.

ये भी पढ़ें: नियमित होंगे अनुबंध कर्मचारी, 31 मार्च को 3 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मियों के लिए अधिसूचना जारी

राजगढ़: जिला सिरमौर से तीन बार जिला परिषद सदस्य, एक बार जिला परिषद चेयरमैन रहीं पूर्व बीजेपी नेत्री दयाल प्यारी ने आज कांग्रेस का हाथ थाम लिया. दयाल प्यारी ने दिल्ली कांग्रेस भवन में हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की.

बता दें कि 2019 में दयाल प्यारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्होंने 11,651 मत प्राप्त किए थे. दयाल प्यारी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं. दयाल प्यारी ने वीरवार को कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. सिरमौर के पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली दयाल प्यारी के कांग्रेस में आने से कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.

निदर्यील लड़ा था विधायक का चुनाव

2019 के उप चुनाव में बीजेपी से बगावत करने के बाद दयाल प्यारी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने सांसद बनने के बाद विधायक के पद से इस्तीफा दिया था. विधानसभा के उप चुनाव में हालांकि दयाल प्यारी तीसरे स्थान पर रही थी, लेकिन 21.56 प्रतिशत वोट हासिल कर अपनी ताकत का अहसास करवा दिया था.

11,651 वोट किए थे हासिल

कांग्रेस ने भी अब दयाल प्यारी को अपने पाले में लाकर दलित कार्ड खेला है. उप चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भाजपा की रीना कश्यप को 22,048 वोट हासिल हुए थे, जबकि कांग्रेस के गंगूराम मुसाफिर ने 19,306 मत प्राप्त किए थे. वहीं, दयाल प्यारी ने अकेले ही अपने दम पर उस समय 11,651 वोट हासिल किए थे, जब पूरी भाजपा सरकार ने उप चुनाव में जोर लगा रखा था. पच्छाद सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा दी थी. इस कारण कांग्रेस का काफी मनोबल गिरा हुआ था. यहां कांग्रेस के शीर्ष नेता गंगूराम मुसाफिर को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है.

उप चुनाव के दौरान की थी 2022 में चुनाव लड़ने की घोषणा

अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली दयाल प्यारी ने उस समय भी इस बात का ऐलान कर दिया था कि वो 2022 का विधानसभा चुनाव लडे़ंगी. तीन बार जिला परिषद का चुनाव जीत चुकी दयाल प्यारी एक बार जिला परिषद की चेयरपर्सन भी रही हैं. खास बात यह भी थी कि वो तीन अलग-अलग वार्डों से जिला परिषद का चुनाव जीती थी.

हाल ही के पंचायतीराज चुनाव में बागपशोग की जिला परिषद सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यहां से जीती निर्दलीय उम्मीदवार ने लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी को समर्थन नहीं दिया. फोन पर बातचीत में जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा दयाल प्यारी ने कहा कि कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी में शामिल हो गई हैं. वह कांग्रेस की सदस्यता को लेकर विस्तार से बाद में चर्चा करेंगी. अलबत्ता ये जरूर कहा कि उनके ससुर 1977 से जनसंघ से जुड़े हुए हैं. अब भाजपा से अलग हुई हूं तो जख्म गहरे ही होंगे.

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