मंडी: सीएम कार्यालय से बार-बार फोन आ रहे हैं और कर्मचारियों पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ हिमाचल (Joint Employees Federation Himachal) के सम्मेलन ना करवाने को लेकर कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है. यह आरोप रविवार को संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष ने मंडी शहर के विश्वकर्मा मंदिर सभागार में संपन्न हुए सम्मेलन के दौरान लगाए. इस सम्मेलन में विभिन्न विभागों के सैकड़ों कर्मचारी मौजूद रहे.
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि महासंघ का यह सम्मेलन हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन मंडी बस स्टैंड के सभागार में आयोजित होना निश्चित था लेकिन सीएम कार्यालय से बार-बार फोन आने के बाद सम्मेलन की अनुमति रद्द कर दी गई. उन्होंने कहा कि अनुमति रद्द करना बहुत ही निंदनीय है जिसका महासंघ विरोध करता है.
महासंघ का कहना है कि कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के (employees demand in himachal) खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजा दिया है. जिसकी शुरुआत महासंघ ने मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी से कर दी है. संयुक्त कर्मचारी महासंघ का कहना है महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 7 से 20 फरवरी तक 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था लेकिन सरकार ने महासंघ के साथ कोई भी वार्ता नहीं की. जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है और अब कर्मचारियों ने सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है.
संयुक्त कर्मचारी महासंघ हिमाचल के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र चौहान ने कहा कि कर्मचारी महासंघ का 21 फरवरी को पालमपुर व इसके उपरांत चंबा में सम्मेलन होगा. जिसमें जिला स्तरीय कार्यकारिणियों का भी गठन किया जाएगा. संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने इस मौके पर प्रदेश सरकार को बजट सत्र के दौरान धरना प्रदर्शन की भी चेतावनी दी.
इस मौके पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ की मंडी जिला स्तरीय कार्यकारिणी का भी गठन किया गया. संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि महासंघ की सरकार से 4-9-14 की बहाली, छठे वेतन आयोग को दुरुस्त करना व प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर वेतन और भत्ते तीन मुख्य मांगे है. उन्होंने कहा कि (employees demand in himachal) हिमाचल सरकार पंजाब पेट्रोल से भाग रही है और वित्त विभाग के अधिकारी रोजाना नए-नए आदेश जारी कर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो हिमाचल का कर्मचारी सड़कों पर लामबंद रहेगा. यदि फिर भी सरकार नहीं जागती है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा.
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