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देहनासर झील के मालिक माने जाते हैं ये गद्दी देवता, इनके उद्गम की कहानी है रोचक - अरजिया पाल देवता

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में देव अरजिया पाल के पुजारी रमन राघव का कहना है देवता मनुष्य जीवन में गद्दी के रुप में अवतरित हुए थे. वह चौहारघाटी से कटिडी गद्दियों के साथ भेड़ बकरियों और भालू चराते हुए पहुंच गए थे, इसलिए उन्हें गद्दी देवता भी कहा जाता है.

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अरजिया पाल देवता
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Published : Feb 24, 2020, 6:39 PM IST

मंडी: प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी नाम से मशहूर छोटी काशी मंडी के दुर्गम क्षेत्रों के देवी-देवता और उनके पवित्र उद्गम स्थलों की कहानियां अपने आप में रोचक है. मंडी जनपद के लगभग हर देवी-देवता का शिवरात्रि महोत्सव से खास नाता है.

कटिडी के देव अरजिया पाल देवता लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत कर रहे हैं. देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. देवता का मूल स्थान चौहारघाटी की देहनासर झील है. देव अरजिया पाल को इस झील का मालिक कहा जाता है.

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में देव अरजिया पाल के पुजारी रमन राघव का कहना है देवता मनुष्य जीवन में गद्दी के रुप में अवतरित हुए थे. वह चौहारघाटी से कटिडी गद्दियों के साथ भेड़ बकरियों और भालू चराते हुए पहुंच गए थे, इसलिए उन्हें गद्दी देवता भी कहा जाता है

पुजारी ने बताया कि देहनासर क्षेत्र में कहीं भी पानी नहीं था. मवेशियों को पानी पिलाने के लिए देव अरजिया पाल ने अपने गुर्ज से जमीन पर चोट की और इसके बाद पानी की धारा यहां पर फूट पड़ी. इसलिए देवता को झील का मालिक भी कहा जाता है. यही देवता का मूल स्थान भी है.

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वर्तमान समय में यह झील पर्यटकों और ट्रैकरों के लिए आकर्षण का केंद्र है. मूलभूत सुविधाओं की कमी के बावजूद यहां पर पर्यटक पहुंचते हैं. ट्रैकिंग का शौक रखने वाले देश और प्रदेश के लोग इस जगह के बारे में जरूर जानते हैं. यहां पर एक मेले का आयोजन भी होता है. मेले के दौरान यहां पर पवित्र स्नान करने हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: शिवरात्रि महोत्सवः देवलू नाटी एवं वाद्य यंत्र प्रतियोगिता का आगाज, चुने जाएंगे तीन सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी

मंडी: प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी नाम से मशहूर छोटी काशी मंडी के दुर्गम क्षेत्रों के देवी-देवता और उनके पवित्र उद्गम स्थलों की कहानियां अपने आप में रोचक है. मंडी जनपद के लगभग हर देवी-देवता का शिवरात्रि महोत्सव से खास नाता है.

कटिडी के देव अरजिया पाल देवता लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत कर रहे हैं. देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. देवता का मूल स्थान चौहारघाटी की देहनासर झील है. देव अरजिया पाल को इस झील का मालिक कहा जाता है.

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में देव अरजिया पाल के पुजारी रमन राघव का कहना है देवता मनुष्य जीवन में गद्दी के रुप में अवतरित हुए थे. वह चौहारघाटी से कटिडी गद्दियों के साथ भेड़ बकरियों और भालू चराते हुए पहुंच गए थे, इसलिए उन्हें गद्दी देवता भी कहा जाता है

पुजारी ने बताया कि देहनासर क्षेत्र में कहीं भी पानी नहीं था. मवेशियों को पानी पिलाने के लिए देव अरजिया पाल ने अपने गुर्ज से जमीन पर चोट की और इसके बाद पानी की धारा यहां पर फूट पड़ी. इसलिए देवता को झील का मालिक भी कहा जाता है. यही देवता का मूल स्थान भी है.

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वर्तमान समय में यह झील पर्यटकों और ट्रैकरों के लिए आकर्षण का केंद्र है. मूलभूत सुविधाओं की कमी के बावजूद यहां पर पर्यटक पहुंचते हैं. ट्रैकिंग का शौक रखने वाले देश और प्रदेश के लोग इस जगह के बारे में जरूर जानते हैं. यहां पर एक मेले का आयोजन भी होता है. मेले के दौरान यहां पर पवित्र स्नान करने हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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