मंडी: प्रदेश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) बहाली के मुद्दे को शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायकों द्वारा बार-बार सदन में उठाने पर हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने कड़ा संज्ञान लिया है. दरअसल महासंघ का आरोप है कि कांग्रेस ने मात्र राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को विधानसभा के (OPS demand in Himachal) अंदर उठाया है.
हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महासचिव राजेश शर्मा ने मंडी में आयोजित एक प्रेसवार्ता में (Himachal Non Gazetted Employees Federation) कांग्रेस पार्टी पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू करने वाला देशभर में पहला राज्य था. इसके अलावा न्यू पेंशन स्कीम को बैक डेट से (Non gazetted federation accuses Congress) लागू करने के कारण इसे प्रदेश में वर्ष 2003 से अपनाया गया था. जिससे 2003 से 2006 के बीच जीपीएफ के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों को भी न्यू पेंशन स्कीम में तब्दील कर दिया गया.
तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एनपीएस को प्रदेश में बैक डेट से लागू करना कर्मचारियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा. जिससे हजारों कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ा है. राजेश शर्मा ने कहा कि जहां कांग्रेस द्वारा कर्मचारियों के हितों को दरकिनार कर प्रदेश में एनपीएस को बैक डेट से लागू किया गया था. वहीं, आज कांग्रेस विधायकों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर सदन से वॉकआउट करना (OPS demand in Himachal) समझ से परे है.
उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम को लागू नहीं किया होता (New Pension Scheme in Himachal) तो सभी कर्मचारियों को वर्ष 2003 से पूर्व की भांति पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन का लाभ मिल रहा होता. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से उनके द्वारा शासित राज्यों में मुख्य रूप से पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम को एक बार फिर लागू करने की मांग की है.
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