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करसोग में बारिश न होने से मुरझाने लगी फसलें, किसान परेशान

जिला मंडी के उपमंडल करसोग में बारिश न होने से सब्जी और दालों की फसलें सूखने लगी हैं, जिससे किसानों के सामने लागत का पैसा पूरा करने का संकट पैदा हो गया है. बरसात न होने की वजह से किसान बीन की बिजाई नहीं कर पा रहे हैं.

crop dry due to no rain
बारिश न होने से मुरझाई फसलें
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Published : Jul 4, 2020, 3:12 PM IST

करसोग/ मंडी: प्रदेश में मानसून दस्तक देने के बाद खामोश हो गया है, जिसका असर किसानों की फसलों पर पड़ रहा है. दरअसल उपमंडल करसोग के क्षेत्रों में इन दिनों बारिश न होने की वजह से फसलें मुरझाने लगी हैं, जिससे किसान अपनी फसल को लेकर चिंतित हैं.

बता दें कि इन दिनों उपमंडल के कई क्षेत्रों में शिमला मिर्च का तुड़ान शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार बारिश की कमी से अभी तक शिमला मिर्च के पौधों में फूल तक नहीं आए हैं साथ ही खेतों में नमी न होने के कारण पौधा भी छोटा रह गया है और किसान बीन की बिजाई भी नहीं कर पा रहे हैं.

वीडियो

ऐसे में अब किसानों के सामने सब्जियों को पैदा करने में आई लागत का पैसा पूरा करने का भी संकट पैदा हो गया है. हांलाकि कुछ किसानों ने बीन समेत अन्य दालों की बिजाई कर ली है, लेकिन उनकी फसल को भी बारिश की आवश्यकता है.

गौर रहे कि एक जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक हिमाचल में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है. प्रदेश में एक जून से चार जुलाई तक सामान्य बारिश का आंकड़ा 127.1 मिलीमीटर है, जबकि इस अवधि में सिर्फ 81.8 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. प्रदेश के12 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि लाहौल स्पीति में सामान्य से 55 फीसदी कम बारिश हुई है. एक तरफ कोरोना जैसी महामारी की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पटरी से नीचे उतर गई है, तो वहीं, प्रकृति भी किसानों पर अपना कहर बरपा रही है.

किसान रमेश चौहान ने बताया कि पिछले कई दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है, जिससे बीन, मक्का सहित दालों की फसलें मुरझाने लगी हैं. साथ ही सब्जियों की फसल को भी बहुत नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़ें: नाले में गिरी बोलेरो पिकअप, एक लापता...एक की बची जान

करसोग/ मंडी: प्रदेश में मानसून दस्तक देने के बाद खामोश हो गया है, जिसका असर किसानों की फसलों पर पड़ रहा है. दरअसल उपमंडल करसोग के क्षेत्रों में इन दिनों बारिश न होने की वजह से फसलें मुरझाने लगी हैं, जिससे किसान अपनी फसल को लेकर चिंतित हैं.

बता दें कि इन दिनों उपमंडल के कई क्षेत्रों में शिमला मिर्च का तुड़ान शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार बारिश की कमी से अभी तक शिमला मिर्च के पौधों में फूल तक नहीं आए हैं साथ ही खेतों में नमी न होने के कारण पौधा भी छोटा रह गया है और किसान बीन की बिजाई भी नहीं कर पा रहे हैं.

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ऐसे में अब किसानों के सामने सब्जियों को पैदा करने में आई लागत का पैसा पूरा करने का भी संकट पैदा हो गया है. हांलाकि कुछ किसानों ने बीन समेत अन्य दालों की बिजाई कर ली है, लेकिन उनकी फसल को भी बारिश की आवश्यकता है.

गौर रहे कि एक जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक हिमाचल में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है. प्रदेश में एक जून से चार जुलाई तक सामान्य बारिश का आंकड़ा 127.1 मिलीमीटर है, जबकि इस अवधि में सिर्फ 81.8 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. प्रदेश के12 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि लाहौल स्पीति में सामान्य से 55 फीसदी कम बारिश हुई है. एक तरफ कोरोना जैसी महामारी की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पटरी से नीचे उतर गई है, तो वहीं, प्रकृति भी किसानों पर अपना कहर बरपा रही है.

किसान रमेश चौहान ने बताया कि पिछले कई दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही है, जिससे बीन, मक्का सहित दालों की फसलें मुरझाने लगी हैं. साथ ही सब्जियों की फसल को भी बहुत नुकसान हो रहा है.

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