मंडीः केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर मंडी में सीटू व अन्य संगठनों ने मिलकर केंद्र सरकार के विरोध में धरना प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियनों द्वारा यह प्रदर्शन केंद्र सरकार नीतियों के खिलाफ किया गया. इस दौरान सीटू ने कहा कि देश में जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, वे लगातार मजदूर विरोधी फैसले ले रही है.
देश में श्रमिकों के लिए बनाए गए कानूनों को बदला जा रहा है और इन श्रम कानूनों को बदलकर श्रम संहिताओं में लाया जा रहा है, जिसमें देश में मजदूरों की स्थिति और दयनीय होती जा रही है.
इस मौके पर सीटू के जिला महासचिव राजेश शर्मा ने कहा कि जब से देश में महामारी फैली है, तब से भूख और बेबसी के कारण कई मजदूरों ने अपनी जान गवांई है और कईओं ने रोजगार खो दिया है. मजदूर भूख से तड़प रहे हैं और सरकार कुंभकरण की नींद सोई हुई हैं. सरकारी पूंजीपतियों के साथ मिलकर श्रम कानूनों में बदलाव कर रही है.
राजेश शर्मा ने बताया कि देश में महामारी के चलते हुए पिछले 6 महीनों में करीब 15 करोड़ के आसपास मजदूरों की छंटनी हुई है या उनका काम बंद हो गया है. सरकार ऐसे मजदूरों को कोई राहत पैकेज भी नहीं दे रही है. देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है, लेकिन देश का बड़े पूंजीपति की आय में वृद्धि हो रही है. सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव से देश में कार्य कर रहे करोड़ों मजदूरों को उनकी सुविधाओं से अछूता रहना पड़ेगा.
निजी कंपनी पर पीएफ जमा नहीं करवाने का आरोप
वहीं, उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के कार्य में लगी निजी कंपनी द्वारा 3 वर्षों का मजदूरों का पीएफ जमा नहीं करवाया गया. उन्होंने कहा कि इसको लेकर पुलिस के पास भी शिकायत दर्ज करवाई गई थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई उचित कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.
विभिन्न ट्रेड युनियनों का कहना है कि देश में मौजूदा सरकार छंटनी के नियम को भी बदलना चाहती है, जिसमें सरकार का कहना है कि 300 से कम वाले कंपनी जब मर्जी छंटनी कर सकती हैं और जिसको भी छंटनी करना है, वह कर सकती है. जबकि पहले यह नियम था की जो पहले आएगा, वह सबसे बाद में जाएगा.
लेकिन इस अधिनियम के आने के बाद मालिक जब मर्जी मजदूर को निकाल सकते हैं. ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यदि सरकार श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को वापस नहीं लेती है तो सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और इसकी सारी जिम्मेवारी सरकार की होगी.
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