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खबरदार ! बीमार मत होना क्योंकि यहां 'जुगाड़' सहारे है जिंदगी - यहां 'जुगाड़' सहारे है जिंदगी

हिमालच में कई दूर दराज के कई गांवों में आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है. जिसके चलते अस्पताल तक पहुंचाने के लिए मरीजों को जुगाड़ के सहारे ले जाना पड़ता है. लोग मरीजों को कई किलोमीटर कंधे पर लेकर जाने को मजबूर हैं.

There is no road in many villages of Himachal
खबरदार ! बीमार मत होना क्योंकि यहां 'जुगाड़' सहारे है जिंदगी
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Published : Feb 18, 2020, 11:51 PM IST

कुल्लू/सिरमौर: हिमाचल के कई गांवों में आजादी के 72 बरस बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है. जिसके चलते मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मानों संजीवनी लाने जैसा है. लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर मरीज को डंडों के सहारे कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

मामला कुल्लू की सैंज घाटी की है. जहां शाकटी गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई... तो उसे अस्पताल पहुंचाने के ग्रामीणों ने जुगाड़ का सहारा लिया. डंडों के सहारे कुर्सी में गर्भवती महिला को बिठाया और कंधों के सहारे उसे सड़क तक पहुंचाया ताकि अस्पताल पहुंचा जा सके. ग्रामीणों ने महिला को करीब 18 किलोमीटर तक पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया और सड़क तक पहुंचने में गांव वालों को करीब 5 घंटे लग गए.

There is no road in many villages of Himachal
मरीज को कंधे पर ले जाते ग्रामीण

ग्रामीणों की मानें तो सड़क की समस्या के चलते मरीजों को इसी तरह अस्पताल पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों ने सरकार से सड़क की मांग की है. गांव के लोगों का कहना है कि नेता चुनाव के दौरान वोट मांगने तो आ जाते हैं लेकिन उससे पहले औऱ बाद में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता.

वैसे ये प्रदेश का इकलौता मामला नहीं है. सिरमौर के कुन्नू गांव में भी सड़क नहीं थी तो मरीज को डंडों के सहारे ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचाया. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बनाने का काम पिछले कई सालों से चल तो रहा है लेकिन सड़क गांव कब पहुंचेगी पता नहीं.

There is no road in many villages of Himachal
गर्भवती महिला को 'जुगाड़' सहारे पहुंचाया अस्पताल

चंबा से लेकर सिरमौर और कुल्लू समेत कई जिलों के कई गांव आज भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं... जिसके चलते इन गांवों में बीमार होना जैसे पूरे गांव के लिए सजा है... और बर्फबारी के बाद तो हालात बद से बदतर हो जाते हैं... लेकिन हकीकत की इन तस्वीरों से दूर राजधानी के बंद कमरों में सिस्टम जैसे अंजान बैठा है... वो तो भला हो सोशल मीडिया का वरना नींद टूटना तो छोड़िये सिस्टम करवट बदलने को राजी नहीं है... ऐसे में एक अदद सड़क के लिए तरसते गांवों की तकदीर कब बदलेगी... कोई नहीं जानता.

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कुल्लू/सिरमौर: हिमाचल के कई गांवों में आजादी के 72 बरस बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है. जिसके चलते मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मानों संजीवनी लाने जैसा है. लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर मरीज को डंडों के सहारे कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

मामला कुल्लू की सैंज घाटी की है. जहां शाकटी गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई... तो उसे अस्पताल पहुंचाने के ग्रामीणों ने जुगाड़ का सहारा लिया. डंडों के सहारे कुर्सी में गर्भवती महिला को बिठाया और कंधों के सहारे उसे सड़क तक पहुंचाया ताकि अस्पताल पहुंचा जा सके. ग्रामीणों ने महिला को करीब 18 किलोमीटर तक पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया और सड़क तक पहुंचने में गांव वालों को करीब 5 घंटे लग गए.

There is no road in many villages of Himachal
मरीज को कंधे पर ले जाते ग्रामीण

ग्रामीणों की मानें तो सड़क की समस्या के चलते मरीजों को इसी तरह अस्पताल पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों ने सरकार से सड़क की मांग की है. गांव के लोगों का कहना है कि नेता चुनाव के दौरान वोट मांगने तो आ जाते हैं लेकिन उससे पहले औऱ बाद में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता.

वैसे ये प्रदेश का इकलौता मामला नहीं है. सिरमौर के कुन्नू गांव में भी सड़क नहीं थी तो मरीज को डंडों के सहारे ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचाया. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बनाने का काम पिछले कई सालों से चल तो रहा है लेकिन सड़क गांव कब पहुंचेगी पता नहीं.

There is no road in many villages of Himachal
गर्भवती महिला को 'जुगाड़' सहारे पहुंचाया अस्पताल

चंबा से लेकर सिरमौर और कुल्लू समेत कई जिलों के कई गांव आज भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं... जिसके चलते इन गांवों में बीमार होना जैसे पूरे गांव के लिए सजा है... और बर्फबारी के बाद तो हालात बद से बदतर हो जाते हैं... लेकिन हकीकत की इन तस्वीरों से दूर राजधानी के बंद कमरों में सिस्टम जैसे अंजान बैठा है... वो तो भला हो सोशल मीडिया का वरना नींद टूटना तो छोड़िये सिस्टम करवट बदलने को राजी नहीं है... ऐसे में एक अदद सड़क के लिए तरसते गांवों की तकदीर कब बदलेगी... कोई नहीं जानता.

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