किन्नौर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में देश के प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी एक बार फिर अपने मत का प्रयोग कर युवाओं और लोगों को जागरूक करेंगे. प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी कहा कहना है कि वह चाहे घर पर रहें या फिर बूथ पर लेकिन वह मतदान जरूर करेंगे. साथ ही सभी प्रदेशवासियों को भी प्रेरित करेंगे. (DC Kinnaur on Shyam Saran Negi) (Shyam Saran Negi Will Vote in Himachal Election) (Himachal assembly elections 2022)
वहीं, जिला प्रशासन ने भी इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. डीसी किन्नौर और जिला निर्वाचन अधिकारी आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि वे चुनावों के लिए बिल्कुल तैयार हैं. उन्होंने कहा कि देश के प्रथम मतदाता 105 वर्षीय श्याम सरन नेगी की अगर तबीयत ठीक रहती है तो पोलिंग बूथ पर मतदान करने पर उनके लिए वहां पर रेड कार्पेट बिछाया जाएगा. वहीं, अगर उनकी सेहत ठीक न रही तो उनकी वोट प्रशासन की निगरानी उनके घर पर ही ली जाएगी. कहा कि उनका वोट प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा. (India first voter Shyam Saran Negi) (Who is the first voter of India)
कैसे बने प्रथम मतदाता: देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के कारण 25 अक्टूबर 1951 में ही चुनाव हो गए. चुनाव के समय श्याम सरन नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे और चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी. उन्हें मतदान का काफी उत्साह था. उनकी ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि उनका वोट कल्पा में था, इसलिए उन्होंने सुबह मतदान कर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी. वह सुबह मतदान स्थल पर पहुंच गए, लेकिन छह बजकर 15 मिनट पर मतदान ड्यूटी पार्टी पहुंची. (Who is the first voter of India) (Shyam Saran Negi is alive or not)
नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया, पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी. मतदान करते ही इतिहास बन गया और मास्टर श्याम सरन नेगी आजाद भारत के प्रथम मतदाता बन गए. देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. उस समय सुविधाओं और संसाधनों की कमी थी. साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मत-पेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मत-पेटी का रूप दिया. (Shyam Saran Negi Age)
लोगों को समझाया था वोट का महत्व: उस समय स्थितियां ऐसी थी कि कोई भी व्यक्ति मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम सरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया. उनके इस प्रयास को देश भर में सराहना मिली थी.
श्याम सरन नेगी की मिली पूरे देश में सराहना: श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.
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