कुल्लू: बड़े-बड़े शहरों में ईंट पत्थर और शीशे से बने चमचमाते घर तो आपने देखे ही होंगे, लेकिन क्या आपने कभी बर्फ से बना घर देखा है. जी हां बर्फ से बना घर, वही बर्फ जिसका नाम सुनने भर से शरीर ठंड का एहसास होने लगता है. इसी सफेद बर्फ से एक छोटा सा घर बनाया जा सकता है. इसे इग्लू (igloo) कहते हैं, जिसके बारे में आपने स्कूल की किताबों में जरूर पढ़ा होगा. वैसे इग्लू स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन में बहुत प्रसिद्ध हैं, लेकिन अब आपको हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रे में भी देखने को मिल जाएगा.
ये इग्लू इन दिनों कुल्लू-मनाली पहुंचने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. स्थानीय युवाओं की पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल का नतीजा है कि ये इग्लू पर्यटन कारोबार को फायदा पहुंचा रहे हैं. यहां बने इग्लू के साथ लोग सिर्फ तस्वीरें ही नहीं खिंचवाते बल्कि इनमें रहने की व्यवस्था भी है. युवाओं ने इग्लू बनाकर शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा तो दिया है, साथ ही पर्यटकों को यहां स्विटजरलैंड जैसे किसी बर्फीले देश में होने का अहसास भी दिया है. कई लोग सोचते होंगे की सर्दी में जमा देने वाली बर्फबारी के बीच बर्फ के घर में ही लोग कैसे रहते हैं. दरअसल इग्लू की खासियत (interesting thing about igloo) ही पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है, इन खासियतों को बारे में आपको आगे बताएंगे.
कैसे हुआ इग्लू का आविष्कार: साइबेरिया, अलास्का और ग्रीनलैंड जैसे (igloo in Himachal pradesh) ठंडे देशों में रहने वाले एस्कीमो जो शिकार करके अपना जीवन यापन करते थे. वे इग्लू बनाकर ही रहते थे. चूंकि इन बर्फीले रेगिस्तानों में घर बनाने के लिये लकड़ी या अन्य कोई सामान उपलब्ध नहीं था तो एस्कीमो लोगों ने पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध बर्फ से घर बनाना सीख लिया. जिन्हें इग्लू कहा जाता है. इग्लू के अंदर घुसने के रास्ता गलीनुमा बहुत ही छोटा और संकरा होता है, ये दरवाजे इतने छोटे होते हैं कि इसमें आम घर की तरह प्रवेश नहीं किया जा सकता. इग्लू के अंदर लेटकर पहुंचा जाता है. कभी जरूरत के लिए बनाए गए बर्फ के ये घर आज पर्यटन कारोबारियों के लिए आय का अच्छा जरिया बन गए हैं.
बर्फ के घर में गर्मी का अहसास: हालांकि बर्फ में लगभग 90 प्रतिशत तक हवा जमा हो सकती है, लेकिन ब्लॉक से निर्मित इग्लू जम जाने के बाद इंसुलेटर का काम करता है, जो अंदर की गर्मी को अंदर ही कैद कर लेता है. अंदर रह रहे आदमी के शरीर की गर्मी से अंदर का तापमान बढ़ने लगता है. बताया जाता है की इग्लू के अंदर और बाहर के तापमान में 30 डिग्री से ज्यादा अंतर हो सकता है. यदि बाहर तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस है तो अंदर का तापमान 1 से 5 डिग्री सेल्सियस हो सकता है. बाहरी सतह जमी होने के कारण अंदर की सतह भी नहीं पिघलती और बर्फ की चार दीवारी में भी आपको सर्दी का अहसास नहीं होता.
यूट्यूब पर वीडियो देखकर बनाया इग्लू: मनाली के समीप हामटा के सेथन में 9,000 फुट की ऊंचाई में सर्दियों में भारी हिमपात होने और तापमान में भारी गिरावट होने से यह इलाका इग्लू बनाने के लिए उपयुक्त था. यूट्यूब पर वीडियो देखकर विकास और टाशी ने इग्लू बनाना सीखा. अपने बहुत से दोस्तों की मदद से पहला इग्लू बनाने में दोनों ने एक हफ्ते का समय लिया था.
इग्लू और पर्यटन: इग्लू और एस्कीमो में मनुष्य की बढ़ती दिलचस्पी ने इसे कई देशों में विंटर टूरिज्म का एक अहम हिस्सा बना दिया है. फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और कनाडा जैसे देश सर्दियों में इग्लू बनाकर इनमें पर्यटकों को लुत्फ उठाने का मौका देते हैं. इसी तर्ज पर मनाली के युवाओं ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चार साल पहले प्रयोग के तौर पर पहली बार इग्लू बनाए थे, जो अब यहां के विंटर टूरिज्म का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं.
पर्यटकों को क्या सुविधाएं: मनाली व बंजार में इग्लू के भीतर बर्फ के ही बेड और टेबल बनाए गए हैं. बेड पर गर्म बिस्तर और तकिये दिए जाते हैं. इग्लू में सजावटी लाइट, खाने को तरह तरह के व्यंजन, पर्यटकों को गर्म स्नो सूट, स्कीइंग, स्नो बोर्डिंग, बॉन फायर जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. एक इग्लू में दो सैलानी आसानी से रह सकते हैं. इग्लू में एक दिन का बिताने के लिए 1500 रुपये से 3000 रुपये तक खर्च करने होंगे. जिसमे खेलों का अनुभव प्रदान करना भी शामिल है. पर्यटकों को गर्म स्नो सूट, स्कीइंग, स्नो बोर्डिंग, बॉन फायर जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं.
स्वरोजगार का जरिया बने इग्लू: इग्लू पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र बने तो स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार भी मिला है. इग्लू बनाकर कई युवा पर्यटन कारोबार से जुड़ रहे हैं. रघुपुर क्षेत्र के अमन ठाकुर, रुद्रा ठाकुर व शिवा ठाकुर ने भी इग्लू तैयार किए हैं. अमन बताते हैं कि इग्लू को बनाने में काफी वक्त और मेहनत लगी है. उनकी मेहनत अब रंग भी ला रही है, क्योंकि कुल्लू-मनाली पहुंचने वाले पर्यटकों इग्लू के कारण यहां एक नया अनुभव मिलता है. पर्यटन सीजन में युवाओं के लिए ये आय का अच्छा खासा जरिया साबित हो रहे हैं. इग्लू में एक रात का किराया तीन से चार हजार रुपये है. इस रकम में सैलानियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी शामिल है.
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क्या कहते हैं पर्यटक: सैलानी रात को रुकने के बजाय दिन में समय व्यतीत करने को प्राथमिकता दे रहे हैं. कोलकाता से मनाली पहुंचे पर्यटक दीपांकर व निरंजन ने कहा वह ऐसी जगह की तलाश में थे, जहां मन को सुकून मिल सके. इन युवाओं से संपर्क होने पर हमारी सारी इच्छा पूरी हो गई. आज तक इग्लू के बारे में सुना ही था आज देख भी लिया और इग्लू में रहने का अनुभव भी शानदार रहा. गुजरात से आए विकास शाह ने बताया पिछले साल इनके दोस्त इग्लू में रहकर गए थे. इसलिये वो भी इग्लू देखने के लिए काफी उत्सुक थे, लेकिन जब इसके अंदर रहने का मौका मिला तो खुशी दोगुनी हो गई. उन्होंने कहा बाहर बहुत ठंड थी, लेकिन अंदर तापमान (tourists in himachal) सामान्य मिला, जो हैरान करने वाला था.
बर्फ का गांव बना हमटा: कुल्लू के इस इलाके में इतने इग्लू बन चुके हैं कि इसे अब बर्फ का गांव कहा जाता है. 5 साल पहले मनाली के दो युवाओं टशी और विकास ने इग्लू बनाकर जो नींव रखी थी. वो आज कई युवाओं के लिए रोजगार की नई राह खोल रही है. अब कुल्लू मनाली आने वाले सैलानी सिर्फ वादियों नहीं निहारते बल्कि यहां मौजूद बर्फ में आयोजित होने वाले खेलों का आनंद लेने के साथ यहां बने बर्फ के घरों यानी इग्लू में भी वक्त गुजारते हैं और इन यादों को अपने साथ संजोकर ले जाते हैं.
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