कुल्लू: देशभर में अनलॉक प्रक्रिया के तहत सरकार ने बुटीक, होटल और ढाबों को खोलने की सशर्त इजाजत दे दी है. हालांकि कोरोना का खतरा अभी भी मंडरा रहा है, लेकिन कारोबार शुरू होने से छोटे कारोबारियों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि महिलाएं खुद के सिलाए गए कपड़ों में रुचि दिखा रही हैं, जिसके चलते कपड़ों का कारोबार करने वाले दुकानदारों का व्यवसाय बेहतर चल रहा है और बुटिक में एक बार फिर से कपड़ों पर कैंची चलना शुरू हो गई है. कारीगर फिर से कपड़ों पर डिजाइन तैयार करने में जुट गए हैं.
कोरोना महामारी के कारण घोषित हुए लॉकडाउन के दौरान बुटीक संचालक व कारीगर घर पर ही बैठे थे और अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद काफी समय तक उन्हें अपने बुटीक पर ग्राहकों की राह ताकनी पड़ रही थी, लेकिन अब उनके कारोबार ने एक बार फिर से गति पकड़ना शुरू कर दिया है.
जिसका नतीजा ये है कि बुटीक में कपड़ों की सिलाई के लिए ग्राहकों का आना शुरू हो गया है और कारीगरों को भी बेहतर कमाई का साधन मिल गया है. वहीं, जिला में चल रहे बुटीक पर रेडीमेड कपड़ों के चलन का असर नहीं हुआ है, क्योंकि महिलाएं बेहतरीन रंग व डिजाइन का कपड़ा खरीद कर बुटीक में जाकर खुद नए डिजाइन के सूट सिलवा रही हैं.
बुटीक संचालक गीतू ठाकुर ने बताया कि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद उन्हें ग्राहकों का इंतजार करना पड़ा था, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है और ग्राहक नए डिजाइन के कपड़ों को लेकर बुटीक में सिलाई के लिए आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेडीमेड कपड़ों के मुकाबले महिलाएं सिलाई किए हुए कपड़े ज्यादा पसंद कर रही हैं.
कारीगर शशि ने बताया कि कोरोना का दौर उनके लिए काफी बुरा था और वो घर पर बेकार बैठी थीं, लेकिन अब काम मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है. उन्होंने कहा कि ज्यादा संख्या में महिलाएं काम को लेकर बुटीक में आ रही हैं, जिससे आमदनी भी अच्छी हो रही है.
ग्राहक शशि शर्मा ने बताया कि महिलाओं के लिए बाजारों में कई तरह के रेडीमेड सूट आने लगे हैंं, लेकिन कई बार उनकी फिटिंग सही नहीं होती, तो कई बार उनका रंग जल्दी उतर जाता है. ऐसे में आज भी महिलाएं खुद कपड़ा खरीदकर उसे बुटीक में तैयार करवाती है.
ये भी पढ़ें: अभी जिंदा हैं प्रणब मुखर्जी, कुलदीप राठौर ने दे डाली श्रद्धांजलि