हमीरपुर: आयुर्वेदिक अस्पताल हमीरपुर में आयुर्वेद की 5000 साल पूरानी पद्धति धूपन से कोरोना वायरस का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में पहुंचने वाले हर व्यक्ति की सेनिटाइजेशन के लिए धूपन पद्धति प्रयोग में लाई जा रही है.
अस्पताल में रोजाना सेकड़ों मरीज पहुंचते हैं. लोगों के साथ कोरोना वायरस की अस्पताल में पहुंचने की आशंका को लेकर सभी को धूपन पद्धति से सेनिटाइज किया जा रहा है, ताकि अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
आयुर्वेद के इस नुस्खे से शत-प्रतिशत वायरस व बैक्टीरिया खत्म होते हैं. इस धूपन प्रक्रिया में हवन सामग्री, दशमूल क्वाथ (दस विभिन्न औषधीय पौधों की जड़ें), गूगल, हल्दी और काढ़े का मिश्रण तैयार किया जाता है. मिश्रण को जलाकर इसका धुआं समस्त भवन में पहुंचाया जाता है.
इससे हवा या विभिन्न स्थानों पर मौजूद वायरस नष्ट होता है. धूपन प्रक्रिया वर्तमान में बड़े पैमाने पर पपरोला रिसर्च संस्थान में अपनाई जा रही है. जहां इस धूपन प्रक्रिया को बड़ी-बड़ी मशीनों के माध्यम से अमल में लाया जाता है.
आयुर्वेदिक अस्पताल हमीरपुर की एमएस डॉ. पूनम ने कहा कि ये पद्धति पांच हजार साल पुरानी है. धूपन से हवा व अन्य स्थानों पर मौजूदा हानिकारक बैक्टीरिया व वायरस नष्ट होते हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल हमीरपुर में इस प्रक्रिया को रोजाना अमल में लाया जा रहा है.
गौरतलब है कि कोरोना महामारी ने विश्व में कहर बरपाया हुआ है. करोड़ों लोगों को कोरोना अपनी चपेट में ले चुका है और लाखों लोग कोरोना संक्रमण के से जान गंवा चुके हैं. कोरोना वायरस से रोजाना लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं.
हालांकि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास जारी हैं. दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं. ऐसे में अगर आयुर्वेदिक पद्धति कोरोना का इलाज खोजने और रोकथाम में कामयाब होती है तो निश्चित तौर पर भारत के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए ये एक बड़ी सफलता होगी.