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Research of Dr Chander Prakash: 4 दशक में हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों की संख्या में हुई दोगुना बढ़ोतरी, आकार में भी कई गुना इजाफा

पिछले चार दशक में उच्च हिमालय और पीर पंजाल की रेंज में ग्लेशियर की झीलों की संख्या में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है. इस बात का खुलासा हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर जिले में (Glacier lakes in the Himalayas) मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सिविल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश के शोध में हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

Research of Dr Chander Prakash
प्रो. चंद्र प्रकाश
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Published : Jun 4, 2022, 5:01 PM IST

हमीरपुर: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालय में ग्लेशियर से बनी झीलों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है. पिछले चार दशक में उच्च हिमालय और पीर पंजाल की रेंज में ग्लेशियर की झीलों की संख्या में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है. इस बात का खुलासा हिमाचल प्रदेश में मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर (NIT Hamirpur) के सिविल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश के शोध में हुआ है. प्रो. चंद्र प्रकाश ग्लेशियर से बनने वाली झील के विषय पर कई सालों से शोध कर रहे हैं. उनका शोध उच्च हिमालय और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की अभी 4 नदी घाटियों पर अधिक केंद्रित है.

ग्लेशियर झीलों का यह अध्ययन इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट डाटा (Indian Remote Sensing Satellite Data) और अमेरिका द्वारा साल 1971 में की गई कोरोना एरियल फोटोग्राफ की मदद से (Increase in the number of Glacier Lakes) किया गया है. 2011 तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया अध्ययन चौंकाने वाला है, लेकिन इससे अधिक चौंकाने वाले खुलासे अगले 10 वर्षों के अध्ययन में हो सकते हैं. इस अध्ययन में भी एनआईटी हमीरपुर के प्रो. चंद्र प्रकाश अपने शोधार्थियों के साथ जुटे हुए हैं.

प्रो. चंद्र प्रकाश

एक अनुमान है कि इन झील में पिछले एक दशक में उम्मीदों से कहीं ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. प्रो. चंद्र प्रकाश इस विषय पर कहते हैं (Research of Dr Chander Prakash) कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही यह चुनौती देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में अगले एक दशक के अध्ययन पर भी वह और उनके शोधार्थी कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय और पीर पंजाल के कुछ ग्लेशियर का उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर भी दौरा और निरीक्षण किया है. हमें इस दिशा में और अधिक सजग होने की जरूरत है.

77 से 155 तक पहुंची ग्लेशियर झील की संख्या: शोध के मुताबिक साल (Glacier lakes in the Himalayas ) 1971 में उच्च हिमालय और पीर पंजाल रेंज की चंद्रा, भागा, ब्यास, और पार्वती नदी घाटी में 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से बड़ी कुल 77 ग्लेशियर झील मौजूद थी, जबकि साल 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 155 हो गई है. इतना ही नहीं पहले से मौजूद झीलों के आकार में 2 से 3 गुना बढ़ोतरी भी देखने को मिली है. कश्मीर, नेपाल, भूटान, तिब्बत और भारत के सिक्किम, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर व हिमाचल के क्षेत्रों में लगातार इन झील की संख्या बढ़ रही है.

चंद्रा बेसिन में 3 गुना बढ़ गई झील की संख्या: चंद्र और भागा बेसिन को ब्यास और पार्वती बेसिन से अलग करने वाली पीर पंजाल रेंज भी इस अध्ययन का केंद्र बिंदु रहा है, हालांकि उच्च हिमालय रेंज में पीर पंजाल रेंज के बजाए अधिक ग्लेशियर झील का निर्माण पिछले चार दशक में देखने को मिला है. चंद्रा बेसिन में ही पिछले चार दशक में 3 गुना इजाफा इन झील में देखने को मिला है. साल 1971 में कुल 14 झील इस बेसिन में मौजूद थी जो कि अब बढ़कर 48 हो गई है.

चंद्रा बेसिन दो सबसे बड़ी ग्लेशियर झील मौजूद, लगातार बढ़ रहा आकार: चंद्रा बेसिन में उच्च हिमालय क्षेत्र की सबसे बड़ी दो ग्लेशियर झील मौजूद है. समुद्र टापू ग्लेशियर से बनी झील का आकार 1.35 वर्ग किलोमीटर है. इसके अलावा गेपांगघट ग्लेशियर झील का आकार भी पिछले 4 दशक में कई गुना बढ़ गया है. साल 1971 में इसका आकार 0.17 वर्ग किलोमीटर था, जो कि साल 2003 में 0.5 वर्ग किलोमीटर और साल 2011 में 0.84 वर्ग किलोमीटर हो गया. लगातार आकार के बढ़ने से निकट भविष्य में इन झीलों के फटने से बाढ़ का (Increase in the number of Glacier Lakes) खतरा बढ़ रहा है. फिलहाल यहां पर प्राकृतिक रूप से ही पानी की निकासी से खतरा कुछ हद तक टल गया है, हालांकि यहां पर खतरे की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.

किस बेसिन में कितनी बढ़ी ग्लेशियर झील: उच्च हिमालय के बेसिन की अगर बात की जाए तो यहां पर चंद्रा और भागा दो बेसिन में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि चंद्रा बेसिन में 1971 में 14 झीलें थीं जो कि 2011 में बढ़कर 48 हो गई हैं और भागा बेसिन में 1971 में 26 झीलें थीं जो कि साल 2011 तक बढ़कर 46 हो गई हैं. पीर पंजाल रेंज की अगर बात की जाए तो पार्वती बेसिन में 1971 में 15 झीलें 2011 में बढ़कर 29 हो गई हैं और ब्यास बेसिन में साल 1071 में 22 झीलें जो साल 2011 में बढ़कर 31 हो गई हैं. इन सभी झीलों का आकार 1000 वर्ग मीटर से अधिक है, जबकि इससे छोटे आकार की भी बहुत सी झीलें इन नदी घाटियों में हैं.

साल 2016 तक 1348 ग्लेशियर झील के फटने से 13 हजार लोगों की हो चुकी है मौत: ग्लोबल वॉर्मिंग से पिघलते ग्लेशियर मानवता के लिए बड़ा खतरा है. विश्व भर में 2016 से पहले 1348 ग्लेशियर झील के फटने की घटनाएं घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में 13000 लोगों की मौत हुई है. हिमालय क्षेत्र की अगर बात की जाए तो कुल 45 घटनाएं इस तरह की सामने आई हैं जिसमें नेपाल भूटान तिब्बत और भारतीय क्षेत्र में खासा नुकसान देखने को मिला है. वहीं, अब लगातार बढ़ रही ग्लेशियर की झील एक बड़ा खतरा हिमालय पर्वत श्रृंखला के देशों के लिए माना जा रहा है.

हमीरपुर: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालय में ग्लेशियर से बनी झीलों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है. पिछले चार दशक में उच्च हिमालय और पीर पंजाल की रेंज में ग्लेशियर की झीलों की संख्या में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है. इस बात का खुलासा हिमाचल प्रदेश में मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर (NIT Hamirpur) के सिविल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश के शोध में हुआ है. प्रो. चंद्र प्रकाश ग्लेशियर से बनने वाली झील के विषय पर कई सालों से शोध कर रहे हैं. उनका शोध उच्च हिमालय और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की अभी 4 नदी घाटियों पर अधिक केंद्रित है.

ग्लेशियर झीलों का यह अध्ययन इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट डाटा (Indian Remote Sensing Satellite Data) और अमेरिका द्वारा साल 1971 में की गई कोरोना एरियल फोटोग्राफ की मदद से (Increase in the number of Glacier Lakes) किया गया है. 2011 तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया अध्ययन चौंकाने वाला है, लेकिन इससे अधिक चौंकाने वाले खुलासे अगले 10 वर्षों के अध्ययन में हो सकते हैं. इस अध्ययन में भी एनआईटी हमीरपुर के प्रो. चंद्र प्रकाश अपने शोधार्थियों के साथ जुटे हुए हैं.

प्रो. चंद्र प्रकाश

एक अनुमान है कि इन झील में पिछले एक दशक में उम्मीदों से कहीं ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. प्रो. चंद्र प्रकाश इस विषय पर कहते हैं (Research of Dr Chander Prakash) कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही यह चुनौती देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में अगले एक दशक के अध्ययन पर भी वह और उनके शोधार्थी कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय और पीर पंजाल के कुछ ग्लेशियर का उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर भी दौरा और निरीक्षण किया है. हमें इस दिशा में और अधिक सजग होने की जरूरत है.

77 से 155 तक पहुंची ग्लेशियर झील की संख्या: शोध के मुताबिक साल (Glacier lakes in the Himalayas ) 1971 में उच्च हिमालय और पीर पंजाल रेंज की चंद्रा, भागा, ब्यास, और पार्वती नदी घाटी में 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से बड़ी कुल 77 ग्लेशियर झील मौजूद थी, जबकि साल 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 155 हो गई है. इतना ही नहीं पहले से मौजूद झीलों के आकार में 2 से 3 गुना बढ़ोतरी भी देखने को मिली है. कश्मीर, नेपाल, भूटान, तिब्बत और भारत के सिक्किम, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर व हिमाचल के क्षेत्रों में लगातार इन झील की संख्या बढ़ रही है.

चंद्रा बेसिन में 3 गुना बढ़ गई झील की संख्या: चंद्र और भागा बेसिन को ब्यास और पार्वती बेसिन से अलग करने वाली पीर पंजाल रेंज भी इस अध्ययन का केंद्र बिंदु रहा है, हालांकि उच्च हिमालय रेंज में पीर पंजाल रेंज के बजाए अधिक ग्लेशियर झील का निर्माण पिछले चार दशक में देखने को मिला है. चंद्रा बेसिन में ही पिछले चार दशक में 3 गुना इजाफा इन झील में देखने को मिला है. साल 1971 में कुल 14 झील इस बेसिन में मौजूद थी जो कि अब बढ़कर 48 हो गई है.

चंद्रा बेसिन दो सबसे बड़ी ग्लेशियर झील मौजूद, लगातार बढ़ रहा आकार: चंद्रा बेसिन में उच्च हिमालय क्षेत्र की सबसे बड़ी दो ग्लेशियर झील मौजूद है. समुद्र टापू ग्लेशियर से बनी झील का आकार 1.35 वर्ग किलोमीटर है. इसके अलावा गेपांगघट ग्लेशियर झील का आकार भी पिछले 4 दशक में कई गुना बढ़ गया है. साल 1971 में इसका आकार 0.17 वर्ग किलोमीटर था, जो कि साल 2003 में 0.5 वर्ग किलोमीटर और साल 2011 में 0.84 वर्ग किलोमीटर हो गया. लगातार आकार के बढ़ने से निकट भविष्य में इन झीलों के फटने से बाढ़ का (Increase in the number of Glacier Lakes) खतरा बढ़ रहा है. फिलहाल यहां पर प्राकृतिक रूप से ही पानी की निकासी से खतरा कुछ हद तक टल गया है, हालांकि यहां पर खतरे की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.

किस बेसिन में कितनी बढ़ी ग्लेशियर झील: उच्च हिमालय के बेसिन की अगर बात की जाए तो यहां पर चंद्रा और भागा दो बेसिन में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि चंद्रा बेसिन में 1971 में 14 झीलें थीं जो कि 2011 में बढ़कर 48 हो गई हैं और भागा बेसिन में 1971 में 26 झीलें थीं जो कि साल 2011 तक बढ़कर 46 हो गई हैं. पीर पंजाल रेंज की अगर बात की जाए तो पार्वती बेसिन में 1971 में 15 झीलें 2011 में बढ़कर 29 हो गई हैं और ब्यास बेसिन में साल 1071 में 22 झीलें जो साल 2011 में बढ़कर 31 हो गई हैं. इन सभी झीलों का आकार 1000 वर्ग मीटर से अधिक है, जबकि इससे छोटे आकार की भी बहुत सी झीलें इन नदी घाटियों में हैं.

साल 2016 तक 1348 ग्लेशियर झील के फटने से 13 हजार लोगों की हो चुकी है मौत: ग्लोबल वॉर्मिंग से पिघलते ग्लेशियर मानवता के लिए बड़ा खतरा है. विश्व भर में 2016 से पहले 1348 ग्लेशियर झील के फटने की घटनाएं घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं में 13000 लोगों की मौत हुई है. हिमालय क्षेत्र की अगर बात की जाए तो कुल 45 घटनाएं इस तरह की सामने आई हैं जिसमें नेपाल भूटान तिब्बत और भारतीय क्षेत्र में खासा नुकसान देखने को मिला है. वहीं, अब लगातार बढ़ रही ग्लेशियर की झील एक बड़ा खतरा हिमालय पर्वत श्रृंखला के देशों के लिए माना जा रहा है.

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