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Teachers Day Special: जब चेला बना मुख्यमंत्री और गुरु बना मंत्री

हिमाचल के सियासी किस्से काफी दिलचस्प है. इन्हीं दिलचस्प किस्सों में एक किस्सा जिला हमीरपुर के एक प्रेरक गुरु और शिष्य से जुड़ा हुआ है. जहां गुरु मंत्री बन गए और शिष्य मुख्यमंत्री. ईटीवी भारत आप सभी से राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 2022 (teachers day 2022) पर इस किस्से को साझा कर रहा है...किस्सा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Prem Kumar Dhumal and ID Dhiman Story Of Hamirpur
हमीरपुर में धीमान व धूमल की प्रेरक गुरु शिष्य गाथा.
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Published : Sep 5, 2022, 12:46 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 2:23 PM IST

हमीरपुर: गुरु गुड़ रह गया और चेला शक्कर रह गया. ये कहावत आपने कई बार सच होते हुए देखी होगी. ऐसी गुरु शिष्य की एक जोड़ी हिमाचल की सियासत में रही है, जिनकी कहानी शिक्षक दिवस के मौके पर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. ये कहानी है उस गुरु और शिष्य की जिसमें शिष्य ने सियासत का शिखर छुआ और दिलचस्प बात ये है कि उसी दौर में गुरु ने मुख्यमंत्री बने शिष्य के मंत्री की जिम्मेदारी निभाई. हिमाचल के मंत्री गुरु और मुख्यमंत्री शिष्य की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. स्कूल की क्लासरूम से सियासी गलियारों तक पहुंचे इस रिश्ते की चर्चा आज भी सूबे की सियासत में होती है. बेशक पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान हम सबके बीच में नहीं है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से उनके रिश्ते के किस्सों की चर्चा आज भी खूब होती (Prem Kumar Dhumal and ID Dhiman) है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको धूमल और धीमान के इसी गुरु- शिष्य की गाथा से रूबरू करवाएंगे.

स्कूल में हुई मुलाकात: 50 और 60 का दशक का ये वो दौर था जब दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल कंधे पर बस्ता लिए टौंणी देवी के डीएवी स्कूल जाते थे. यहीं उनकी मुलाकात टीचर आईडी धीमान से हुई. जो प्राइमरी क्लास के छात्रों के बीच ज्ञान का दीपक जलाते थे. इसी डीएवी स्कूल में प्रेम कुमार धूमल और आईडी धीमान की पहली मुलाकात हुई. एक शिष्य की एक गुरु से पहली मुलाकात, तब कहां किसी को पता था कि स्कूल पढ़ने वाला एक छोटा सा लड़का एक दिन सूबे की कमान संभालेगा और उसे पढ़ाने वाले टीचर उसके ही मंत्रिमंडल में शामिल होंगे.

जब चेला बना मुख्यमंत्री और गुरु बना मंत्री
जब चेला बना मुख्यमंत्री और गुरु बना मंत्री

धूमल के बाद सियासत में आए धीमान- प्रेम कुमार धूमल स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई खत्म की और एलएलबी की. आगे चलकर वो पंजाब की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी बन गए. इस बीच आईडी भी एक टीचर से हेडमास्टर बनकर रिटायर हो गए और साल 1989 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि सियासत में गुरु से पहले चेले की एंट्री हो चुकी थी. प्रेम कुमार धूमल 1982 में बीजेपी युवा मोर्चा उपाध्यक्ष बन चुके थे और 1984 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. हालांकि धूमल चुनाव हार गए लेकिन राजनीति के मंच पर वो अपने गुरु से सीनियर हो चले थे.

गुरु विधायक और चेला सांसद- आईडी धीमान को भी बीजेपी का दामन थामने के एक साल बाद चुनाव लड़ने का मौका मिला. धीमान ने उस वक्त मेवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जिसे आज भोरंज के नाम से जाना जाता है. दूसरी ओर 1984 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद धूमल 1989 और 1991 का चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए. यानि जिस वक्त गुरु आईडी धीमान विधायक बने उस वक्त उनका शिष्य प्रेम कुमार धूमल उस क्षेत्र का लोकसभा सांसद था.

चेला मुख्यमंत्री और गुरु मंत्री- 90 के दशक के आखिरी सालों में हिमाचल में फिर से विधानसभा चुनाव का वक्त था. प्रेम कुमार धूमल प्रदेश भी प्रदेश की राजनीति में आ गए थे. 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सरकार बनाई और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने. जब प्रेम कुमार धूमल ने अपनी कैबिनेट चुनी तो अपने गुरु आईडी धीमान को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी. पूरे 5 साल चली सरकार में दोनों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. साल 2007 में हिमाचल में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और प्रेम कुमार धूमला दूसरी बार प्रदेश के मुखिया बने, इस बार भी उन्होंने आईडी धीमान में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी.

गुरु ने ठुकराया था मंत्री का पद- दरअसल साल 1998 में बीजेपी ने गठबंधन में सरकार बनाई थी. कहते हैं कि उस वक्त मुख्यमंत्री बनने को लेकर कई नेताओं में होड़ मची थी. सरकार बनाने का नंबर गेम ऐसा था कि एक विधायक के टूटने से सरकार बनने का सपना चूर-चूर हो जाता. कहते हैं कि इस उधेड़बुन में आईडी धीमान को पार्टी के भीतर से धूमल के खिलाफ जाने के बदले में मंत्री पद का ऑफर दिया गया था. लेकिन आईडी धीमान ने ऐसा जवाब दिया, जिसे आज भी उनके शिष्य प्रेम कुमार धूमल रह-रहकर याद करते हैं. उन्होंने मंत्री बनने का ऑफर ये कहकर ठुकरा दिया कि उनका शिष्य धूमल जब मुख्यमंत्री बन रहा है तो वो गुरु होने के नाते वो खुद को मुख्यमंत्री ही (ID Dhiman became minister and Dhumal became CM) मानते हैं.

गुरु-शिष्य ने कई परंपराओं को तोड़ा- कहते हैं कि सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता लेकिन आईडी धीमान ने कहा कि शिष्य मुख्यमंत्री बने तो गुरु अपने आप में मुख्यमंत्री है. ये वो दौर था जब देश में अपने-अपने स्वार्थों के लिए गठबंधन की सरकारें गिरती देखी गईं. धूमल और धीमान के इस सियासी रिश्ते की नींव भी अडिग विश्वास पर टिकी थीं. विश्वास की इस अडिगता का नतीजा रहा कि गंठबंधन की सरकार में शिष्य धूमल मुख्यमंत्री और गुरु धीमान शिक्षा मंत्री बने. नाजुक सियासी समीकरणों के बावजूद सरकार 5 साल तक चली. पूर्व मुख्यमंत्री धूमल की कैबिनेट में दोनों दफा उनके गुरु धीमान ही शिक्षा मंत्री रहे. इन दोनों ने हिमाचल में उस परपंरा को भी तोड़ा, जिसमें यह माना जाता था कि जो शिक्षा मंत्री बना वह अगली दफा रिपीट नहीं कर पाता है. धीमान लगातार 1990 से 2012 तक विधायक रहे. उनके देहांत के बाद उनके बेटे अनिल धीमान भोरंज विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीत हासिल कर विधायक बने थे.

शिक्षा मंत्री को गुरु जी ही बुलाते थे धूमल: सार्वजनिक कार्यक्रमों से लेकर कैबिनेट की बैठक में धूमल शिक्षा मंत्री आईडी धीमान को गुरुजी पदनाम से ही संबोधित करते थे. गुरु और शिष्य की इस जोड़ी ने सियासी रिश्तों को बड़ी ही ईमानदारी से निभाया. पूर्व सीएम धूमल राजनीति में आज भी सक्रिय है. वह अकसर सार्वजनिक मंच से गुरु आईडी धीमान का जिक्र करते है. धूमल कहते हैं कि गुरुजी ईमान के पक्के थे. उन्होंने शिष्य की उपलब्धि को अपना मान सम्मान समझा. प्रेम कुमार धूमल और आईडी धीमान की कहानी आज के वक्त में कई गुरुओं और शिष्यों के लिए प्रेरणा से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस शिक्षक ने 90 हजार विद्यार्थियों की सुधारी लिखावट, National Teacher Award से होंगे सम्मानित

हमीरपुर: गुरु गुड़ रह गया और चेला शक्कर रह गया. ये कहावत आपने कई बार सच होते हुए देखी होगी. ऐसी गुरु शिष्य की एक जोड़ी हिमाचल की सियासत में रही है, जिनकी कहानी शिक्षक दिवस के मौके पर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. ये कहानी है उस गुरु और शिष्य की जिसमें शिष्य ने सियासत का शिखर छुआ और दिलचस्प बात ये है कि उसी दौर में गुरु ने मुख्यमंत्री बने शिष्य के मंत्री की जिम्मेदारी निभाई. हिमाचल के मंत्री गुरु और मुख्यमंत्री शिष्य की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. स्कूल की क्लासरूम से सियासी गलियारों तक पहुंचे इस रिश्ते की चर्चा आज भी सूबे की सियासत में होती है. बेशक पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान हम सबके बीच में नहीं है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से उनके रिश्ते के किस्सों की चर्चा आज भी खूब होती (Prem Kumar Dhumal and ID Dhiman) है. शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको धूमल और धीमान के इसी गुरु- शिष्य की गाथा से रूबरू करवाएंगे.

स्कूल में हुई मुलाकात: 50 और 60 का दशक का ये वो दौर था जब दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल कंधे पर बस्ता लिए टौंणी देवी के डीएवी स्कूल जाते थे. यहीं उनकी मुलाकात टीचर आईडी धीमान से हुई. जो प्राइमरी क्लास के छात्रों के बीच ज्ञान का दीपक जलाते थे. इसी डीएवी स्कूल में प्रेम कुमार धूमल और आईडी धीमान की पहली मुलाकात हुई. एक शिष्य की एक गुरु से पहली मुलाकात, तब कहां किसी को पता था कि स्कूल पढ़ने वाला एक छोटा सा लड़का एक दिन सूबे की कमान संभालेगा और उसे पढ़ाने वाले टीचर उसके ही मंत्रिमंडल में शामिल होंगे.

जब चेला बना मुख्यमंत्री और गुरु बना मंत्री
जब चेला बना मुख्यमंत्री और गुरु बना मंत्री

धूमल के बाद सियासत में आए धीमान- प्रेम कुमार धूमल स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई खत्म की और एलएलबी की. आगे चलकर वो पंजाब की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी बन गए. इस बीच आईडी भी एक टीचर से हेडमास्टर बनकर रिटायर हो गए और साल 1989 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि सियासत में गुरु से पहले चेले की एंट्री हो चुकी थी. प्रेम कुमार धूमल 1982 में बीजेपी युवा मोर्चा उपाध्यक्ष बन चुके थे और 1984 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. हालांकि धूमल चुनाव हार गए लेकिन राजनीति के मंच पर वो अपने गुरु से सीनियर हो चले थे.

गुरु विधायक और चेला सांसद- आईडी धीमान को भी बीजेपी का दामन थामने के एक साल बाद चुनाव लड़ने का मौका मिला. धीमान ने उस वक्त मेवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जिसे आज भोरंज के नाम से जाना जाता है. दूसरी ओर 1984 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद धूमल 1989 और 1991 का चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए. यानि जिस वक्त गुरु आईडी धीमान विधायक बने उस वक्त उनका शिष्य प्रेम कुमार धूमल उस क्षेत्र का लोकसभा सांसद था.

चेला मुख्यमंत्री और गुरु मंत्री- 90 के दशक के आखिरी सालों में हिमाचल में फिर से विधानसभा चुनाव का वक्त था. प्रेम कुमार धूमल प्रदेश भी प्रदेश की राजनीति में आ गए थे. 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सरकार बनाई और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने. जब प्रेम कुमार धूमल ने अपनी कैबिनेट चुनी तो अपने गुरु आईडी धीमान को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी. पूरे 5 साल चली सरकार में दोनों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. साल 2007 में हिमाचल में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और प्रेम कुमार धूमला दूसरी बार प्रदेश के मुखिया बने, इस बार भी उन्होंने आईडी धीमान में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी.

गुरु ने ठुकराया था मंत्री का पद- दरअसल साल 1998 में बीजेपी ने गठबंधन में सरकार बनाई थी. कहते हैं कि उस वक्त मुख्यमंत्री बनने को लेकर कई नेताओं में होड़ मची थी. सरकार बनाने का नंबर गेम ऐसा था कि एक विधायक के टूटने से सरकार बनने का सपना चूर-चूर हो जाता. कहते हैं कि इस उधेड़बुन में आईडी धीमान को पार्टी के भीतर से धूमल के खिलाफ जाने के बदले में मंत्री पद का ऑफर दिया गया था. लेकिन आईडी धीमान ने ऐसा जवाब दिया, जिसे आज भी उनके शिष्य प्रेम कुमार धूमल रह-रहकर याद करते हैं. उन्होंने मंत्री बनने का ऑफर ये कहकर ठुकरा दिया कि उनका शिष्य धूमल जब मुख्यमंत्री बन रहा है तो वो गुरु होने के नाते वो खुद को मुख्यमंत्री ही (ID Dhiman became minister and Dhumal became CM) मानते हैं.

गुरु-शिष्य ने कई परंपराओं को तोड़ा- कहते हैं कि सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता लेकिन आईडी धीमान ने कहा कि शिष्य मुख्यमंत्री बने तो गुरु अपने आप में मुख्यमंत्री है. ये वो दौर था जब देश में अपने-अपने स्वार्थों के लिए गठबंधन की सरकारें गिरती देखी गईं. धूमल और धीमान के इस सियासी रिश्ते की नींव भी अडिग विश्वास पर टिकी थीं. विश्वास की इस अडिगता का नतीजा रहा कि गंठबंधन की सरकार में शिष्य धूमल मुख्यमंत्री और गुरु धीमान शिक्षा मंत्री बने. नाजुक सियासी समीकरणों के बावजूद सरकार 5 साल तक चली. पूर्व मुख्यमंत्री धूमल की कैबिनेट में दोनों दफा उनके गुरु धीमान ही शिक्षा मंत्री रहे. इन दोनों ने हिमाचल में उस परपंरा को भी तोड़ा, जिसमें यह माना जाता था कि जो शिक्षा मंत्री बना वह अगली दफा रिपीट नहीं कर पाता है. धीमान लगातार 1990 से 2012 तक विधायक रहे. उनके देहांत के बाद उनके बेटे अनिल धीमान भोरंज विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीत हासिल कर विधायक बने थे.

शिक्षा मंत्री को गुरु जी ही बुलाते थे धूमल: सार्वजनिक कार्यक्रमों से लेकर कैबिनेट की बैठक में धूमल शिक्षा मंत्री आईडी धीमान को गुरुजी पदनाम से ही संबोधित करते थे. गुरु और शिष्य की इस जोड़ी ने सियासी रिश्तों को बड़ी ही ईमानदारी से निभाया. पूर्व सीएम धूमल राजनीति में आज भी सक्रिय है. वह अकसर सार्वजनिक मंच से गुरु आईडी धीमान का जिक्र करते है. धूमल कहते हैं कि गुरुजी ईमान के पक्के थे. उन्होंने शिष्य की उपलब्धि को अपना मान सम्मान समझा. प्रेम कुमार धूमल और आईडी धीमान की कहानी आज के वक्त में कई गुरुओं और शिष्यों के लिए प्रेरणा से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस शिक्षक ने 90 हजार विद्यार्थियों की सुधारी लिखावट, National Teacher Award से होंगे सम्मानित

Last Updated : Sep 5, 2022, 2:23 PM IST

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