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मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 5 दिन पहले खरीदे गए 5 लाख के सर्जिकल ग्लव्स, डेंटल विभाग मरीजों को भेजता रहा निजी क्लीनिक

कर्मचारियों की तालमेल में कमी और कागजी जवाब नहीं मिलने के कारण मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में दंत चिकित्सा विभाग (Medical College Hamirpur) में ग्लव्स होने के बावजूद मरीजों ने निजी क्लिनिक का चक्कर काटना पड़ा. पांच दिन पूर्व ही हमीरपुर मेडिकल काॅलेज प्रबंधन (Hamirpur Medical College Management) ने पांच लाख रुपये के ग्लव्स खरीदे गए हैं, लेकिन दंत चिकित्सा विभाग से मरीजों को यह कहा जाता रहा है कि ग्लव्स नहीं है. विभाग से सर्जरी के लिए मरीजों से बाहर से ग्लव्स मंगवाया जाता रहा. ऐसे में सवाल उठता है कि इस लापरवाही के लिए आखिर जिम्मेदार कौन हैं.

Medical College Hamirpur
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में ग्लव्स को लेकर हंगामा.
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Published : Jul 15, 2022, 8:39 PM IST

हमीरपुर: मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल हमीरपुर (Medical College Hamirpur) में दातों के उपचार के लिए मरीजों को पिछले लगभग दस दिनों से सर्जिकल ग्लव्स निजी क्लीनिक से खरीदने पड़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि अस्पताल में सर्जिकल ग्लव्स की कमी है, दरसअसल महज पांच दिन पूर्व ही मेडिकल काॅलेज प्रबंधन ने पांच लाख रुपये के ग्लव्स की खरीद की है. लाखों की खरीद के बावजूद डेंटल ओपीडी में मरीजों को उपचार के लिए निजी क्लीनिक से 40 से 50 रुपये की कीमत के सर्जिकल ग्लव्स खरीदने पड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस लापरवाही के लिए आखिर जिम्मेदार कौन हैं.

काॅलेज के दंत चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों की माने तो दस दिन पहले ही प्रबंधन को ग्लव्स की कमी (lack of surgical gloves in Medical College Hamirpur) के बारे में अवगत करवा दिया था. कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद कर्मचारियों ने डेंटल विभाग से 50 मीटर दूर प्रबंधन कार्यालय अथवा स्टोर में जाकर यह पता करने का कष्ट तक नहीं किया कि स्टोर में सप्लाई आ गई है या नहीं. दंत चिकित्सा विभाग के कर्मचारी इंतजार कागजी जवाब का इंतजार करते रहे.

शुक्रवार को जब ओपीडी में डॉक्टर से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि स्टोर के कर्मचारी ही बता सकते हैं कि ग्लव्स ओपीडी में क्यों नहीं हैं. संबंधित विभाग के डॉक्टर का कहना है कि जो उन्हें ओपीडी में मिलता है वह उसका इस्तेमाल कर लेते हैं. सर्जिकल ग्लव्स क्यों नहीं है इसके बारे में कर्मचारी ही कुछ बता सकते हैं. वहीं, जब कर्मचारियों से बात की गई तो कर्मचारी कागजी जवाब में इंतजार में नजर आए. जब हमीरपुर मेडिकल काॅलेज की प्राचार्य डॉक्टर सुमन यादव (Medical College Hamirpur) से बात की गई तो उन्होंने विभाग के कर्मचारियों को कार्यलय में तलब किया. पहले तो उन्होंने स्टोर में जानकारी ली और उसके बाद कर्मचारियों इस तरह की लापरवाही न बरतने के निर्देश भी दिए.

विभागाध्यक्ष और कर्मचारियों की लापरवाही मरीजों पर भारी: कुछ दिन पहले दंत चिकित्सा विभाग में एक्सरे की मशीन भी खराब थी. अधिकारियों से शिकायत के बाद इसे दुरुस्त किया गया था. ऐसे में विभागध्यक्ष और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण यहां पर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दर्जनों डॉक्टर वाले मेडिकल काॅलेज में सरकार ने लाखों करोड़ों रुपये की मशीनरी स्थापित की है, लेकिन यह सब कर्मचारियों की लापरवाही के चलते बेमानी ही साबित हो रहे हैं.

पांच दिन पहले खरीदे गए हैं लाखों के ग्लव्स: डॉ. सुमन यादव ने कहा कि पांच लाख रुपये के सर्जिकल ग्लव्स की खरीद की गई है. कर्मचारियों की तालमेल की कमी से यह दिक्कत पेश आई है. उन्होंने कहा कि शिकायत मिलते ही समस्या का समाधान कर दिया गया है. डिमांड देने के बाद कर्मचारी स्टोर में सप्लाई के बारे में जरूर पता करें इस बारे में निर्देश दिए गए हैं.

हमीरपुर: मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल हमीरपुर (Medical College Hamirpur) में दातों के उपचार के लिए मरीजों को पिछले लगभग दस दिनों से सर्जिकल ग्लव्स निजी क्लीनिक से खरीदने पड़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि अस्पताल में सर्जिकल ग्लव्स की कमी है, दरसअसल महज पांच दिन पूर्व ही मेडिकल काॅलेज प्रबंधन ने पांच लाख रुपये के ग्लव्स की खरीद की है. लाखों की खरीद के बावजूद डेंटल ओपीडी में मरीजों को उपचार के लिए निजी क्लीनिक से 40 से 50 रुपये की कीमत के सर्जिकल ग्लव्स खरीदने पड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस लापरवाही के लिए आखिर जिम्मेदार कौन हैं.

काॅलेज के दंत चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों की माने तो दस दिन पहले ही प्रबंधन को ग्लव्स की कमी (lack of surgical gloves in Medical College Hamirpur) के बारे में अवगत करवा दिया था. कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद कर्मचारियों ने डेंटल विभाग से 50 मीटर दूर प्रबंधन कार्यालय अथवा स्टोर में जाकर यह पता करने का कष्ट तक नहीं किया कि स्टोर में सप्लाई आ गई है या नहीं. दंत चिकित्सा विभाग के कर्मचारी इंतजार कागजी जवाब का इंतजार करते रहे.

शुक्रवार को जब ओपीडी में डॉक्टर से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि स्टोर के कर्मचारी ही बता सकते हैं कि ग्लव्स ओपीडी में क्यों नहीं हैं. संबंधित विभाग के डॉक्टर का कहना है कि जो उन्हें ओपीडी में मिलता है वह उसका इस्तेमाल कर लेते हैं. सर्जिकल ग्लव्स क्यों नहीं है इसके बारे में कर्मचारी ही कुछ बता सकते हैं. वहीं, जब कर्मचारियों से बात की गई तो कर्मचारी कागजी जवाब में इंतजार में नजर आए. जब हमीरपुर मेडिकल काॅलेज की प्राचार्य डॉक्टर सुमन यादव (Medical College Hamirpur) से बात की गई तो उन्होंने विभाग के कर्मचारियों को कार्यलय में तलब किया. पहले तो उन्होंने स्टोर में जानकारी ली और उसके बाद कर्मचारियों इस तरह की लापरवाही न बरतने के निर्देश भी दिए.

विभागाध्यक्ष और कर्मचारियों की लापरवाही मरीजों पर भारी: कुछ दिन पहले दंत चिकित्सा विभाग में एक्सरे की मशीन भी खराब थी. अधिकारियों से शिकायत के बाद इसे दुरुस्त किया गया था. ऐसे में विभागध्यक्ष और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण यहां पर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दर्जनों डॉक्टर वाले मेडिकल काॅलेज में सरकार ने लाखों करोड़ों रुपये की मशीनरी स्थापित की है, लेकिन यह सब कर्मचारियों की लापरवाही के चलते बेमानी ही साबित हो रहे हैं.

पांच दिन पहले खरीदे गए हैं लाखों के ग्लव्स: डॉ. सुमन यादव ने कहा कि पांच लाख रुपये के सर्जिकल ग्लव्स की खरीद की गई है. कर्मचारियों की तालमेल की कमी से यह दिक्कत पेश आई है. उन्होंने कहा कि शिकायत मिलते ही समस्या का समाधान कर दिया गया है. डिमांड देने के बाद कर्मचारी स्टोर में सप्लाई के बारे में जरूर पता करें इस बारे में निर्देश दिए गए हैं.

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