हमीरपुर: विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर (Assembly constituencies in Hamirpur) से टिकट के लिए जद्दोजहद दोनों ही दलों के नेताओं में जारी है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेता समाज सेवा के जरिए अपनी पहुंच और लोकप्रियता को सिद्ध करने में जुटे हैं. आला नेताओं की तारीफ और जी हजूरी का मौका भी टिकार्थी अब चुनावी बेला में जरा भी नहीं छोड़ रहे हैं.
मौका चाहे किसी खेल टूर्नामेंट के शुभारंभ का हो या फिर समापन का. इतना ही नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से लेकर हर मौके को अब इवेंट बनाया जा रहा है. रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि थी तो ऐसे में ताजा उदाहरण पुण्यतिथि का ही दिया गया है. हालांकि चुनावी बेला में इवेंट तो हर वो मौका बन रहा है. जिससे भीड़ जुटाई जा सके. चाहे वह कोई त्यौहार हो या किसी महापुरुष की जन्मतिथि या फिर पुण्यतिथि.
इन इवेंट के बहाने समाज सेवा के भोंपू भी खूब बज रहे हैं. यह अलग बात है कि अब समाज सेवा और समाजसेवी शब्द न तो पढ़ने को मिल रहा है और न ही सुनने को. भाजपा और कांग्रेस के नेता ही नहीं बल्कि कुछ ऐसे भी हैं नेता है जो टिकट को लेकर मझधार में हैं, लेकिन समाज सेवा बराबर कर रहे हैं.
हां यह जरूर है कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से समाज सेवा का मेवा पुलिस दे रही है. उससे अब इस शब्द से टिकार्थी नेताओं को परहेज होने लगा है. शराब कांड के बाद खनन कांड की प्रदेश भर में चर्चा में है. शराब कांड में तो नेता नप गए हैं, लेकिन खनन कांड में अभी जिला पुलिस ने महज ट्रेलर ही दिखाया है. शायद फिल्म बाकी है.
बहरहाल जो भी हो अब समाजसेवी शब्द इश्तहार और खबरनुमा कसीदों से लापता नजर आ रहा है. अब हेड लाइन और विज्ञापन भी इस शब्द को तरस रहे हैं. मझधार वाले नेता टिकट के लिए भीड़ छंटने के इंतजार में हैं और मौका लगा तो भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही चौका मारने से नहीं चूकेंगे.
भाजपा विधायक और पार्टी टिकट के चाहवान नेता आमने सामने, तर्क और तकरार जारी: कथित तौर पंचायत घर बेचने के आरोपों से घिरे भाजपा से पार्टी टिकट के चाहवान नेता ने तो प्रेस वार्ता कर ऐलान कर दिया कि टिकट मिले या ना मिले चुनाव तो लड़ कर ही रहेंगे. उन्होंने पंचायत घर बेचने के मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया.
उनके इस बयान पर भाजपा टिकट पर चुनाव जीते विधायक ने जवाब दिया कि दो नंबरी लोगों पर नजर रखना जरूरी है. विधायक एक टिकार्थी पर लगे आरोपों के बहाने सभी समाजसेवियों को खुद तो शक की निगाहों से देखे रहे हैं बल्कि लोगों से भी इन पर नजर रखने की अपील कर रहे हैं.
यह हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और महज एक टिकट के चाहवान की कहानी है. यहां भाजपा से टिकट के चाहवान महज अकेले नहीं है बल्कि फेहरिस्त लंबी है. समाज सेवा से ओतप्रोत नेता कहते हैं कि चाहे जेल में डाल दो वह चुनाव लड़ेंगे भी और लोगों की सेवा से पीछे भी नहीं हटेंगे, लेकिन समाजसेवी शब्द उन्हें मंजूर नहीं है.
जिले के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (death anniversary of mahatma gandhi) पर कांग्रेस के टिकार्थी कोरोना योद्धाओं की सेवा करते दिखे. इस सेवा और सम्मान के बहाने इस स्वास्थ्य संस्थान को कांग्रेस के हमीरपुर जिले के बड़े कांग्रेसी नेता की देन बताया.
इतना ही नहीं टिकार्थी को 2 साल पहले इस संस्थान में कांग्रेसी नेता द्वारा दी गई टेस्टिंग मशीन की भी याद आ गई और इसके लिए भी उन्होंने नेता का आभार जताया. बापू की पुण्यतिथि पर सम्मान और सेवा से किसी को कोई दिक्कत नहीं है. बस सवाल यह है कि टिकार्थी को महबूब कांग्रेसी नेता की याद आई या फिर किसी ने सवाल पूछ कर यह याद दिलाई?
समाज सेवा से होकर ही विधायक बनने का रास्ता निकलता है यह ट्रेंड कोई नया नहीं है. यह ट्रेंड मजबूत साल 2017 के चुनावों में तब हुआ जब समाज सेवा और समाज सेवी संस्था के रास्ते ही एक नेता ने प्रदेश के वरिष्ठ नेता को विधानसभा चुनावों में शिकस्त दे डाली. इस बड़े राजनीतिक फेरबदल का उस विधानसभा क्षेत्र में तो इतना प्रभाव देखने को नहीं मिला, लेकिन हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में समाजसेवियों की भरमार कुछ ऐसी हुई कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अब मुश्किल में हैं.
ये भी पढ़ें- UNION BUDGET 2022: अनुराग ठाकुर के गृह जिला में कारोबारियों और युवाओं को आम बजट से राहत की उम्मीद