ETV Bharat / city

ऐसे ठिकाने लगता है कोविड केयर सेंटर से निकला मेडिकल वेस्ट, छोटी सी गलती पड़ सकती है भारी

देशभर में कचरे को ठिकाने लगाना शुरू से ही बड़ी चुनौती रहा है. अब कोविड के आने के बाद यह और भी बुरी हो गई है. बता दें कि इस समय लड़ाई ऐसे दुश्मन से है जो ना दिखाई देता है ना इसकी आहट सुनाई देती है, लेकिन इसका खतरा हर जगह है. इसलिए नगर परिषद के सफाई कर्मचारी भी कूड़ा उठाते समय पूरी सावधानी बरतते हैं.

garbage collection
फोटो
author img

By

Published : Aug 31, 2020, 1:27 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 1:35 PM IST

हमीरपुर: कोरोना वायरस अपने साथ तमाम चुनौतियां लेकर आया है. जब से कोरोना का संक्रमण बढ़ा है, बायो मेडिकल वेस्ट में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इनमें से एक चुनौती कोरोना के इलाज और संक्रमण से बचाव के दौरान इस्तेमाल होने वाले मॉस्क, दस्तानों से लेकर दवाइयों और उपकरणों के सही तरीके से ठिकाने लगाने की भी है.

देशभर में कचरे को ठिकाने लगाना शुरू से ही बड़ी चुनौती रहा है. अब कोविड के आने के बाद यह और भी बुरी हो गई है. बता दें कि इस समय लड़ाई ऐसे दुश्मन से है जो ना दिखाई देता है ना इसकी आहट सुनाई देती है, लेकिन इसका खतरा हर जगह है. इसलिए नगर परिषद के सफाई कर्मचारी भी कूड़ा उठाते समय पूरी सावधानी बरतते हैं.

वीडियो.

पूरे सेफ्टी इक्विपमेंट पहनने के बाद कोविड सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल बेस्ट और दूसरे कूड़े को सफाई कर्मी अलग-अलग करते हैं. कोविड सेंटर से निकलने वाले कूड़े जैसे रेपर, खाने के पैकेट को जलाया जाता है. इसके बाद इसे गड्डे में दबाया जाता है, जबकि बायो मेडिकल वेस्ट जैसे पीपीई किट, मास्क गल्व्ज को टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है.

क्वारंटीन और होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को भी अपने कमरे से निकलने वाले कूड़े को सही ढंग से खुद ही ठिकाने लगाना होता है, गलती से भी कूड़ा खुले में फेंका तो ये गलती पूरे परिवार या मौहल्ले पर भारी पड़ सकती है. इसलिए इन्हें भी कूड़े को सही ढंग से निपटाने की सलाह दी जाती है.

14 दिन तक क्वारंटीन में रहे एक व्यक्ति ने बताया कि कैसे वो रोजाना अपने कचरे को खुद ही ठिकाने लगाते थे. कूड़े का निपटारण सही से नहीं किया गया तो ये कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई को कमजोर करने जैसा है, क्योंकि कूड़े या खुले में मेडिकल वेस्ट को फेंकना बीमारी फैलाने से कम नहीं है. क्योंकि जिस मास्क को कई घंटे तक मुंह पर लगाते हैं वह बीमारी का घर होता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कोरोना वायरस से 34वीं मौत, व्यक्ति ने आईजीएमसी में तोड़ा दम

हमीरपुर: कोरोना वायरस अपने साथ तमाम चुनौतियां लेकर आया है. जब से कोरोना का संक्रमण बढ़ा है, बायो मेडिकल वेस्ट में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इनमें से एक चुनौती कोरोना के इलाज और संक्रमण से बचाव के दौरान इस्तेमाल होने वाले मॉस्क, दस्तानों से लेकर दवाइयों और उपकरणों के सही तरीके से ठिकाने लगाने की भी है.

देशभर में कचरे को ठिकाने लगाना शुरू से ही बड़ी चुनौती रहा है. अब कोविड के आने के बाद यह और भी बुरी हो गई है. बता दें कि इस समय लड़ाई ऐसे दुश्मन से है जो ना दिखाई देता है ना इसकी आहट सुनाई देती है, लेकिन इसका खतरा हर जगह है. इसलिए नगर परिषद के सफाई कर्मचारी भी कूड़ा उठाते समय पूरी सावधानी बरतते हैं.

वीडियो.

पूरे सेफ्टी इक्विपमेंट पहनने के बाद कोविड सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल बेस्ट और दूसरे कूड़े को सफाई कर्मी अलग-अलग करते हैं. कोविड सेंटर से निकलने वाले कूड़े जैसे रेपर, खाने के पैकेट को जलाया जाता है. इसके बाद इसे गड्डे में दबाया जाता है, जबकि बायो मेडिकल वेस्ट जैसे पीपीई किट, मास्क गल्व्ज को टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है.

क्वारंटीन और होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को भी अपने कमरे से निकलने वाले कूड़े को सही ढंग से खुद ही ठिकाने लगाना होता है, गलती से भी कूड़ा खुले में फेंका तो ये गलती पूरे परिवार या मौहल्ले पर भारी पड़ सकती है. इसलिए इन्हें भी कूड़े को सही ढंग से निपटाने की सलाह दी जाती है.

14 दिन तक क्वारंटीन में रहे एक व्यक्ति ने बताया कि कैसे वो रोजाना अपने कचरे को खुद ही ठिकाने लगाते थे. कूड़े का निपटारण सही से नहीं किया गया तो ये कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई को कमजोर करने जैसा है, क्योंकि कूड़े या खुले में मेडिकल वेस्ट को फेंकना बीमारी फैलाने से कम नहीं है. क्योंकि जिस मास्क को कई घंटे तक मुंह पर लगाते हैं वह बीमारी का घर होता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कोरोना वायरस से 34वीं मौत, व्यक्ति ने आईजीएमसी में तोड़ा दम

Last Updated : Aug 31, 2020, 1:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.