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सातवां यूजीसी पे स्केल लागू नहीं होने से शिक्षक संघ नाराज, सरकार से की ये मांग - Dharmshala

शिक्षकों ने हिमाचल में सातवां वेतन आयोग लागू न होने पर सरकार से गुहार लगाई है. धर्मशाला में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स संघ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरुण कुमार ने शिक्षकों की मांगें रखी और नई शीक्षा नीति का विरोध भी किया.

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स संघ ने र्धमशाला की प्रेसवार्ता
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Published : Jul 17, 2019, 12:25 PM IST

धर्मशाला: ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाजेशन ने मंगलवार को हिमाचल में सातवां वेतन आयोग लागू न होने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है और सरकार से जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है.

राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरूण कुमार ने प्रेसवार्ता में कहा कि केंन्द्र और प्रदेश दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कईं राज्यों में रिटायरमेंट की आयु 65 रखी गई है, पर हिमाचल में शिक्षकों के लिए यह आयु सीमा 58 है और 2014 से शिक्षकों की वेतन वृद्घि भी बदं कर दी गई है. अन्य राज्यों में यूजीसी पे स्केल एक साथ लागू किया जाता है लेकिन हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर क्यों किया जाता है.

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यह भी पढ़ेंः हिमाचल की बेटी ने हासिल की उपलब्धि, देशभर में चुनी गई बेस्ट कैडेट

डॉ. अरुण कुमार ने नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के निजीकरण का विरोध किया और कहा कि नई नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों को सौ फीसदी निजी हाथों में सौंपने की बात कही है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका मानना है कि निजीकरण से भविष्य में शिक्षा और भी महंगी हो जाएगी जिससे आम आदमी के लिए अच्छी शिक्षा ग्रहण और मुश्किल हो जाएगा.

धर्मशाला: ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाजेशन ने मंगलवार को हिमाचल में सातवां वेतन आयोग लागू न होने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है और सरकार से जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है.

राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरूण कुमार ने प्रेसवार्ता में कहा कि केंन्द्र और प्रदेश दोनों जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी सातवें वेतन आयोग को लागू नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कईं राज्यों में रिटायरमेंट की आयु 65 रखी गई है, पर हिमाचल में शिक्षकों के लिए यह आयु सीमा 58 है और 2014 से शिक्षकों की वेतन वृद्घि भी बदं कर दी गई है. अन्य राज्यों में यूजीसी पे स्केल एक साथ लागू किया जाता है लेकिन हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर क्यों किया जाता है.

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डॉ. अरुण कुमार ने नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के निजीकरण का विरोध किया और कहा कि नई नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों को सौ फीसदी निजी हाथों में सौंपने की बात कही है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका मानना है कि निजीकरण से भविष्य में शिक्षा और भी महंगी हो जाएगी जिससे आम आदमी के लिए अच्छी शिक्षा ग्रहण और मुश्किल हो जाएगा.

Intro:धर्मशाला- हिमाचल प्रदेश में सातवां यूजीसी पे स्केल लागू नहीं हुआ है, यह गलत बात है। हिमाचल को पंजाब के साथ जोड़ा गया है, ऐसे में यदि उक्त स्कूल पंजाब में लागू होगा तो हिमाचल में लागू होगा। यूजीसी स्केल अलग-अलग राज्य में अलग-अलग लागू होते हैं। प्रदेश सरकार  सातवां यूजीसी पे स्केल प्रदेश के शिक्षकों के लिए लागू करे।  





Body:यह बात ऑल इंडिया फेडरेशन आफ आफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स आर्गेनाजेशन के राष्ट्रीय महासचिव डा. अरुण कुमार ने प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की रिटायरमेंट आयु 65 रखी गई है कई राज्यों में, जबकि हिमाचल में 58 की उम्र में शिक्षकों को रिटायर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से इंक्रीमेंटस बंद कर दिए गए हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब सातवां यूजीसी पे स्केल एक साथ देश में लागू होना है तो हिमाचल व पंजाब की बात क्यों देरी की  जा रही है। हिमाचल में भी भाजपा की सरकार है और केंद्र में भी, ऐसे में इसे लागू करने में कहां अवरोध पैदा हो रहा है।




Conclusion:डा. अरुण कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति को जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें हॉयर एजुकेशन के निजीकरण की बात है। विश्वविद्यालयों को खत्म करने की बात है, कालेजों को सौ फीसदी निजी हाथों में सौंपने की बात सामने आ रही है, जिसका हमारी आर्गेनाइजेशन विरोध करती है। कालेजों की परिसंपत्तियों को एक कॉम्प्लेक्स बनाकर एक जगह करने की बात है और बाकी को कमर्शियल व कारपोरेट को सौंपने की बात हो रही है, जो की दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस वजह से आम लोगों को शिक्षा नसीब नहीं होगी, शिक्षा महंगी हो जाएगी जिससे शायद मुटठी भर लोग ही शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।

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