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कांगड़ा में टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोग भी करा सकेंगे इलाज, इस थेरेपी से ठीक होगी बीमारी

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Published : Jan 28, 2022, 6:15 PM IST

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत कांगड़ा में शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ.गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोगाों का भी अब इलाज हो पाएगा. उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों के लिए टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (TB Preventive Therapy) शुरू की गई है.

TB Preventive Therapy in kangra
कांगड़ा में टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोग भी करा सकेंगे इलाज.

कांगड़ा: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Eradication Program Himachal) के तहत कांगड़ा में शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने की. इस दौरान उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर टीबी मृत्यू के शीर्ष 10 कारणों में से एक है. पिछले वर्षों में बेशक टीबी में कमी आई है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है. जिसका उद्देश्य टीबी से होने वाली मौतों को 2035 तक 90 प्रतिशत कम करना है.

उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर एक चौथाई लोग लेटेंट टीबी (TB in Himachal) के साथ जी रहे हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया तो होता है, पर वह रोग उत्पन्न नहीं करता है. डॉ. गुरदर्शन गुप्ता के बताया कि अगर आपके शरीर में लेटेंट टीबी के जीवाणु हों, तो दस में से एक की संभावना है कि भविष्य में किसी समय वे रोगाणु सक्रिय हो जाएंगे और आपको बीमार करेंगे.

हालांकि साधारण तौर पर क्षयरोग को इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है. फिर भी बीमार न पड़ना ही सबसे बेहतर है. उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश, लेटेंट टीबी का भी इलाज किया जा सकता है. वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने बताया कि जिला कांगड़ा और शिमला में टीबी उन्मूलन के बेहतरीन कार्य को देखते हुए अक्षय प्लस परियोजना में इन दो जिलों को लेटेंट टीबी (latent TB in Kangra) के टेस्ट एंड ट्रीट टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी मॉडल (TB Preventive Therapy) के अन्तर्गत लिया गया है.

जिला कांगड़ा में अक्षय प्लस प्रोजेक्ट के सहयोग से जिला के शाहपुर, नगरोटा बगवां, तियारा, फतेहपुर, इंदौरा, गंगथ व नगरोटा सूरियां में यह गतिविधि शुरू की गई है. वहीं, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश सूद ने बताया कि महामारी को समाप्त करने की कुंजी टीबी की घटनाओं को कम करना है. हम लेटेंट टीबी को सक्रिय होने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों की रक्षा करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

उन्होंने बताया कि इसके लिए जिला में टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी शुरू (TB patients in Kangra) की गई है. यह थेरेपी पहले पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को दी जाती थी. लेकिन, अब नई गाइडलाइन के अनुसार टीबी रोगियों के सम्पर्क में आने वाले व्यस्कों को भी टीपीटी ट्रीटमेंट दी जा रही है. उन्होंने कहा कि लेटेंट टीबी संक्रमण का इलाज करके, हम हजारों लोगों को इस बीमारी को विकसित होने से रोक सकते हैं और अंततः जीवन बचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली दौरे से लौटे सीएम जयराम, बोले- बजट में केंद्र हिमाचल का रखेगा ख्याल

कांगड़ा: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Eradication Program Himachal) के तहत कांगड़ा में शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने की. इस दौरान उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर टीबी मृत्यू के शीर्ष 10 कारणों में से एक है. पिछले वर्षों में बेशक टीबी में कमी आई है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है. जिसका उद्देश्य टीबी से होने वाली मौतों को 2035 तक 90 प्रतिशत कम करना है.

उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर एक चौथाई लोग लेटेंट टीबी (TB in Himachal) के साथ जी रहे हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया तो होता है, पर वह रोग उत्पन्न नहीं करता है. डॉ. गुरदर्शन गुप्ता के बताया कि अगर आपके शरीर में लेटेंट टीबी के जीवाणु हों, तो दस में से एक की संभावना है कि भविष्य में किसी समय वे रोगाणु सक्रिय हो जाएंगे और आपको बीमार करेंगे.

हालांकि साधारण तौर पर क्षयरोग को इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है. फिर भी बीमार न पड़ना ही सबसे बेहतर है. उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश, लेटेंट टीबी का भी इलाज किया जा सकता है. वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने बताया कि जिला कांगड़ा और शिमला में टीबी उन्मूलन के बेहतरीन कार्य को देखते हुए अक्षय प्लस परियोजना में इन दो जिलों को लेटेंट टीबी (latent TB in Kangra) के टेस्ट एंड ट्रीट टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी मॉडल (TB Preventive Therapy) के अन्तर्गत लिया गया है.

जिला कांगड़ा में अक्षय प्लस प्रोजेक्ट के सहयोग से जिला के शाहपुर, नगरोटा बगवां, तियारा, फतेहपुर, इंदौरा, गंगथ व नगरोटा सूरियां में यह गतिविधि शुरू की गई है. वहीं, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश सूद ने बताया कि महामारी को समाप्त करने की कुंजी टीबी की घटनाओं को कम करना है. हम लेटेंट टीबी को सक्रिय होने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों की रक्षा करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

उन्होंने बताया कि इसके लिए जिला में टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी शुरू (TB patients in Kangra) की गई है. यह थेरेपी पहले पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को दी जाती थी. लेकिन, अब नई गाइडलाइन के अनुसार टीबी रोगियों के सम्पर्क में आने वाले व्यस्कों को भी टीपीटी ट्रीटमेंट दी जा रही है. उन्होंने कहा कि लेटेंट टीबी संक्रमण का इलाज करके, हम हजारों लोगों को इस बीमारी को विकसित होने से रोक सकते हैं और अंततः जीवन बचा सकते हैं.

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