पालमपुर: कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित सैन्य स्टेशन में कारगिल युद्ध के नायक शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा (martyr Captain Vikram Batra) परमवीर चक्र (मरणोपरांत) की प्रतिमा का अनावरण किया गया. इसका अनावरण जीओसी उत्तरी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी की उपस्थिति में कैप्टन विक्रम बत्रा के माता-पिता द्वारा किया (Vikram Batra statue unveiled in Palampur) गया. जीओसी उत्तरी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी कारगिल युद्ध के दौरान 13 जेएंडके राइफल के कमांडिंग ऑफिसर थे. इस कार्यक्रम में कैप्टन विक्रम बत्रा के स्कूल शिक्षक आरएस गुलेरिया, सुमन मैनी और नीलम वत्स के साथ उनके बचपन के कुछ दोस्त भी शामिल थे.
इस अवसर पर उत्तरी कमांड के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने कैप्टन विक्रम बत्रा द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस की स्मृतियों के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपने साथियों को प्वाइंट 5140 चोटी पर सफलता प्राप्त करने के लिए उत्साहित (vikram batra kargil story) किया. वहीं, पॉइंट 5100 और पॉइंट 4700 पर विजय प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त किया. उन्होंने कहा कि पॉइंट 4875 को हथियाने में कैप्टन विक्रम बत्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और दुश्मन के ठिकानों पर प्रहार करते हुए 5 दुश्मन सेना के जवानों को ढेर किया.
वाईके जोशी ने कहा कि अपने जान की परवाह किए बिना उन्होंने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में विजय प्राप्त की (vikram batra biography) और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि उनके इसी अदम्य साहस के चलते उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किए गए बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने कहा कि कैप्टन विक्रम बत्रा के जन्म स्थान पर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया जाना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा.
शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा ने कहा कि भारत में 1947 के बाद पाकिस्तान और चीन के साथ चार युद्ध हुए है और जिस प्रकार से हमारी सेना ने वीरता और शौर्य का प्रर्दशन किया है, उसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है. जीएल बत्रा ने कहा कि कैप्टन विक्रम बत्रा की बचपन से लेकर प्लस टू तक की पढ़ाई पालमपुर सैन्य स्टेशन के केन्द्रीय विद्यालय में हुई और उनके दोस्त सेना के आफिसर के बच्चे होते थे और रोज सेना की वर्दी और गड़ियों को देखते थे, जिससे वह बहुत प्रेरित होते थे और सेना में जाने का निर्णय लिया. उनकी कॉलेज शिक्षा के दैरान मर्चेंट नेवी भी उनका सिलेक्शन हुआ, लेकिन उन्होंने सेना मे कमीशन लेकर सेना के आफिसर बने. जीएल बत्रा ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है.
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