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शिक्षा मंत्री ने वृद्धाश्रम सिस्टम पर जताई चिंता, बोले- संस्कार को शिक्षा पद्धति में किया जाएगा शामिल

बच्चे अपने कार्यों में व्यस्त होकर घरवालों को ऑनलाइन पैसे भेजकर अपने कर्तव्यों को निभाते हैं, इसलिए संस्कार शिक्षा पद्धति में शामिल किया जाना चाहिए. ये बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने प्रेसवार्ता में कही.

Education Minister on ethics education
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Published : Jul 27, 2019, 9:07 PM IST

धर्मशाला: प्रदेश में परिवार सिस्टम वृद्धाश्रम सिस्टम में तब्दील न हो, इसलिए सिलेबस व गुरुकुल को बढ़ाना देना होगा. जिन बच्चों को मां-बाप अपने बुढ़ापे का सहारा समझते हैं, वहीं बच्चे पढ़-लिखकर नौकरी करते हुए माता-पिता से ऑनलाइन संपर्क करते हैं. ये बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने प्रेसवार्ता में कही.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि बच्चे अपने कार्यों में व्यस्त होकर घरवालों को ऑनलाइन पैसे भेजकर अपने कर्तव्यों को निभाते हैं, इसलिए संस्कार शिक्षा पद्धति में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए गुणात्मक सुधार कर रही है. साथ ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को सम्मिलित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि युवाओं में बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव और उनके प्रति अपने कर्तव्य का ध्यान रहे, ये सब अच्छी शिक्षा से ही संभव है. नार्थ इंडिया के हिमालयी राज्यों की समस्याएं लगभग एक जैसी हैं. ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिमालयी राज्यों के लिए अलग प्रावधान करने की मांग उठाई जाएगी. साथ ही प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि हिमालयी राज्य हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का एक सम्मेलन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में हिमालयी राज्यों के लिए शिक्षा नीति में इन राज्यों की भौगोलिक दृष्टि के अनुसार बदलाव की मांग की जाएगी.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने से, जहां आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों में सुधार होगा. वहीं भवनों की कमी से जूझ रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन उपलब्ध किया जाएगा, जिसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है.

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सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल का जनरल एनरोलमेंट रेशो (जीईआर) अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है. ऐसे में अधिक सुधार के लिए सरकार ने प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की हैं, जिससे अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले सकें. सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं न होने से अधिकतर बच्चें निजी प्ले स्कूलों की ओर रुख करते थे. ऐसे में सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने पर छोटे बच्चों का बड़े बच्चों के साथ रहकर सर्वांगीण विकास होगा.

प्रेसवार्ता से पहले शिक्षा मंत्री ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया.

धर्मशाला: प्रदेश में परिवार सिस्टम वृद्धाश्रम सिस्टम में तब्दील न हो, इसलिए सिलेबस व गुरुकुल को बढ़ाना देना होगा. जिन बच्चों को मां-बाप अपने बुढ़ापे का सहारा समझते हैं, वहीं बच्चे पढ़-लिखकर नौकरी करते हुए माता-पिता से ऑनलाइन संपर्क करते हैं. ये बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने प्रेसवार्ता में कही.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि बच्चे अपने कार्यों में व्यस्त होकर घरवालों को ऑनलाइन पैसे भेजकर अपने कर्तव्यों को निभाते हैं, इसलिए संस्कार शिक्षा पद्धति में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए गुणात्मक सुधार कर रही है. साथ ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को सम्मिलित करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि युवाओं में बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव और उनके प्रति अपने कर्तव्य का ध्यान रहे, ये सब अच्छी शिक्षा से ही संभव है. नार्थ इंडिया के हिमालयी राज्यों की समस्याएं लगभग एक जैसी हैं. ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिमालयी राज्यों के लिए अलग प्रावधान करने की मांग उठाई जाएगी. साथ ही प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि हिमालयी राज्य हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का एक सम्मेलन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में हिमालयी राज्यों के लिए शिक्षा नीति में इन राज्यों की भौगोलिक दृष्टि के अनुसार बदलाव की मांग की जाएगी.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने से, जहां आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों में सुधार होगा. वहीं भवनों की कमी से जूझ रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन उपलब्ध किया जाएगा, जिसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है.

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सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल का जनरल एनरोलमेंट रेशो (जीईआर) अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है. ऐसे में अधिक सुधार के लिए सरकार ने प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की हैं, जिससे अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले सकें. सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं न होने से अधिकतर बच्चें निजी प्ले स्कूलों की ओर रुख करते थे. ऐसे में सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने पर छोटे बच्चों का बड़े बच्चों के साथ रहकर सर्वांगीण विकास होगा.

प्रेसवार्ता से पहले शिक्षा मंत्री ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया.

Intro:धर्मशाला - प्रदेश में परिवार सिस्टम वृद्धाश्रम सिस्टम में तबदील न हो, इसे रोका जाना चाहिए। इसके लिए सिलेबस व गुरुकुल को बढ़ाना होगा। जिन बच्चों को मां-बाप अपने बुढ़ापे का सहारा समझते हैं, वहीं बच्चे पढ़-लिखकर नौकरी करते हुए ऑनलाइन की माता-पिता से संपर्क करते हैं। बच्चे अपने कार्यों में व्यस्त होकर घर वालों को ऑनलाइन पैसे भेजकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लेते हैं, जबकि परिवार से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पाते। यह संस्कार की बातें होती हैं, संस्कार शिक्षा पद्धति में शामिल किया जाना जरूरी है। यह बात शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत में कही। वृद्धाश्रम सिस्टम में तबदील हो रहे परिवार सिस्टम पर चिंता जताते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक सुधार किया जा रहा है। सरकार स्कूलों में शिक्षा पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को सम्मिलित करने की दिशा में प्रयासरत है। युवा पीढ़ी का संस्कारवान बनना आवश्यक है। युवाओं में बड़े.-बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव हो ओर उनके प्रति अपने कर्तव्य का ध्यान रहे, यह सब अच्छी शिक्षा से ही संभव है। 




Body:नार्थ इंडिया के हिमालयी राज्यों की समस्याएं लगभग एक जैसी हैं। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिमालयी राज्यों के लिए अलग प्रावधान करने की मांग उठाई जाएगी।  वहीं हिमाचल प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा।  मंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्यों हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का एक सम्मेलन किया जाएगा। सम्मेलन में हिमालयी राज्यों के लिए शिक्षा नीति में इन राज्यों की भौगोलिक दृष्टि के अनुसार बदलाव की मांग की जाएगी। सम्मेलन को लेकर तैयारियां और इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है।  शिक्षा मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने से जहां आंगनबाड़ी केंद्रों की गतिविधियों में सुधार होगा। वहीं भवनों की कमी से जूझ रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन  उपलब्ध होगा। इस संबंध में योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। इससे पहले शिक्षा मंत्री ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया।





Conclusion:सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल का  जनरल एनरोलमेंट रेशो (जीईआर) अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है, लेकिन इसमें अधिक सुधार के लिए सरकार ने प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की हैं, जिससे अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में ही प्रवेश लें। सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं न होने से अधिकतर बच्चे निजी प्ले स्कूलों की ओर रुख करते थे और बाद में निजी स्कूलों में ही प्रवेश ले लेते थे। सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू होने के बाद बच्चे सरकारी स्कूलों में ही प्रवेश ले रहे हैं। ऐसे में सरकार अब आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों में मर्ज करने की योजना बना रही है। योजना के शुरूआती दौर में जिन आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपने भवन नहीं है, उन्हें प्राइमरी स्कूलों में संचालित किया जाएगा। इससे जहां छोटे बच्चों का बड़े बच्चों के साथ रहकर सर्वांगीण विकास होगा। वहीं प्राइमरी स्कूल भवन का मल्टीपर्पज इस्तेमाल हो सकेगा।

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