धर्मशाला: पौंग बांध में बर्ड फ्लू से मारे गए प्रवासी पक्षियों को अब पशु पालन विभाग दफनाएगा. इसके लिए वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा. इस संबंध में केंद्र सरकार ने पशुपालन विभाग को निर्देश जारी कर दिए हैं. वहीं, पशुपालन विभाग की ओर से 18 रैपिड रिस्पॉन्स टीमों का गठन किया गया है.
यह टीमें पीपीई किट, हैंड ग्लव्स सहित अन्य उपकरणों से लैस होगी. इसमें हर एक टीम में चार-चार सदस्य शामिल होंगे. इनमें एक पशु चिकित्सक, दो फार्मासिस्ट, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहेगा. इसके लिए विभाग की ओर से उन्हें प्रशिक्षित किया गया है. बर्ड फ्लू के फैलाव को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने कई कदम उठाए हैं.
जांच के लिए सैंपल जालंधर भेजे
पशुपालन विभाग जिला कांगड़ा के उपनिदेशक डॉ. संजीव धीमान ने बताया कि विभाग ने रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर पौंग बांध क्षेत्र में बर्ड फ्लू के एपिक सेंटर (जहां प्रवासी परिंदे मृत पाए गए) के आसपास पोल्ट्री फार्म से 119 सैंपल जांच के लिए जालंधर लैब भेजे हैं. टीम ने यह भी सर्वे किया है कि महामारी वन्य पक्षियों से घरेलू मुर्गे-मुर्गियों में तो नहीं फैली है.
चार उपमंडल में अंडे, मांस व चिकन पर रोक
प्रदेश में सरकार ने अंडे, मांस, चिकन के प्रयोग पर रोक नहीं लगाई है. ये रोक कांगड़ा के प्रभावित चार उपमंडल देहरा, ज्वाली, फतेहपुर व इंदौरा में ही लगाई गई है.
28 दिसंबर को आया पौंग बांध में पहला मामला
गौरतलब है कि 28 दिसंबर को पौंग बांध में विदेशी परिंदों का बर्ड फ्लू से मारे जाने का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके बाद लगातार विदेशी परिंदे मर रहे हैं. वन्य प्राणी विभाग ने परिंदों के नमूने जालंधर, पालमपुर और भोपाल जांच के लिए भेजे थे. जहां से बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद पशुपालन विभाग ने भी 119 सैंपल जालंधर जांच के लिए भेजे हैं, ताकि यह पता चल सके कि पोल्ट्री फार्म में रखे जाने वाली चिकन में कहीं फ्लू तो नहीं आया है.
यदि जालंधर से आने वाली रिपोर्ट में पुष्टि हो जाती है तो पौंग बांध से सटे एक किलोमीटर के दायरे के पक्षियों को डिस्ट्रॉय किया जाएगा और कमर्शियल पोल्ट्री की मुर्गियों की भी डिस इन्फेक्शन किया जाएगा, ताकि यह वायरस इंसानों और अन्य जानवरों में ना फैले.
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