चंबा: हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार मिशन रिपीट को लेकर ताल ठोक रही है और विकास के नाम पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है, लेकिन क्या सरकार की योजनाएं उन आम गरीबों तक पहुंच पाती है जो इन योजनाओं के हकदार होते हैं. हम बात कर रहे हैं डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के सलूणी पंचायत के एहन्नी गांव (Ehni village of Saluni Panchayat) में रहने वाले 62 वर्षीय साहब सिंह की. पीएम आवास योजना से लेकर ना जाने कितनी योजनाएं सरकार द्वारा गरीबों को पक्के मकान देने के लिए चलाई जा रही हैं. लेकिन साहब सिंह जैसे गरीब परिवार आज भी इन योजनाओं से कोसों दूर हैं. उक्त व्यक्ति पिछले पच्चीस सालों से पक्के मकान की मांग करता आ रहा है लेकिन इस गरीब की शायद कोई नहीं सुनता.
मवेशियों के साथ रहने को मजबूर है परिवार- यह परिवार बीपीएल में आता है बावजूद उसके सरकारी योजनाओं का इन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. ये परिवार इतना मजबूर है कि इन्हें एक ही कमरे में अपने मवेशियों के साथ जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. इसी कमरे में मवेशी रहते हैं और उसी कमरे में साहब सिंह का परिवार खाना बनाता, खाता और सोता है.
साहब सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उन्हे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. उनकी उम्र 62 साल हो गई इनके परिवार में चार लोग है. एक तरफ मवेशी होते हैं और एक तरफ वो लोग रहते हैं. पक्के मकान के लिए कई बार पंचायत को अवगत करवाया, सब आते हैं लेकिन कुछ नहीं होता. रोज दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता. जिस कारण पूरा परिवार परेशान है.
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार हमारी समस्या का समाधान जल्द से जल्द करें. वहीं, दूसरी ओर साहब सिंह के बेटे ओमकार का कहना है की (CM Awas Yojana in Himachal) सरकार ने कहा था की 2022 तक हर पात्र परिवार को पक्का मकान दिया जाएगा. लेकिन हमें ये सुविधा अभी तक नहीं मिली है. हम लोग अपने माल मवेशियों के साथ रहने को मजबूर है.
सरकार और प्रशासन नहीं ले रही सुध- कई बार पंचायत ने भी इनके घर की जिओ टैगिंग की, लेकिन उसके बाद भी परिवार को मकान नसीब नहीं हुआ. कई बार तहसील और एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाए, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. जिसके चलते आज भी साहब सिंह का परिवार अपने मवेशियों के साथ एक कमरे में रहने को मजबूर है.
कुल मिलाकर कहें तो इस परिवार की स्थिति देखकर सरकार द्वारा किए जा रहे दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. आखिर सरकार की योजनाएं ऐसे गरीब परिवारों को प्रमुखता के साथ आगे क्यों नहीं ला पाती, ये सवाल तो जरूर खड़े करती है. खैर अब देखना है कि साहब सिंह को कब तक अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी और कब उसे अपना आशियाना मिलेगा.