चंबाः धार्मिक एवं ऐतिहासिक मणिमहेश यात्रा का आयोजन कोविड-19 के चलते पारंपरिक रस्मों के निर्वहन तक ही होगा. गौरतलब है कि मणिमहेश यात्रा में सदियों से जम्मू क्षेत्र से भी छड़ी यात्राएं आती रही हैं.
इस बार कोरोना संक्रमण है ऐसे में इस यात्रा को सभी जरूरी एहतियातों और दिशानिर्देशों के अनुरूप ही आयोजित किया जा रहा है. अपनी छड़ी यात्रा के साथ मणिमहेश की पवित्र यात्रा को पुरातन आस्था और श्रद्धा के मुताबिक निभाना इन श्रद्धालुओं का पारंपरिक धार्मिक अधिकार भी रहा है.
उपायुक्त विवेक भाटिया ने कहा कि मणिमहेश यात्रा के आयोजन से जुड़ी मणिमहेश ट्रस्ट की बैठक में भी इसको लेकर राय बनी थी. इस बार मणिमहेश यात्रा का प्रारूप केवल मात्र पुरातन परंपराओं के निर्वहन तक सीमित रहेगा.
कोविड-19 के मद्देनजर इन श्रद्धालुओं को आइसोलेटेड सुविधाओं में रखा गया और इन्हें चंबा में ना ठहरा कर सीधे भरमौर रवाना किया गया. जम्मू से आने वाली छड़ी यात्राओं में केवल 63 श्रद्धालुओं को उपायुक्त डोडा की ओर से अनुमति दी गई है.
इसी अनुमति के आधार पर जिला प्रशासन ने इन श्रद्धालुओं को पारंपरिक धार्मिक रस्मों के निर्वहन के लिए अनुमति दी. यह श्रद्धालु जम्मू के गंदोह, भलेश और भद्रवाह क्षेत्र से संबंधित हैं और यह छोटे जत्थों में मणिमहेश झील पर पहुंचकर सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं को निभाएंगे.
सदियों पुरानी छड़ी परम्पराओं के निर्वहन को देखते हुए श्रद्धालुओं को अनुमति दी गई है. मणिमहेश यात्रा पर जम्मू क्षेत्र की छड़ी परंपराओं से जुड़े 63 श्रद्धालुओं को उपायुक्त डोडा की ओर से अनुमति के बाद जिला प्रशासन ने भी अनुमति दे दी है. जिनमें जम्मू के गंदोह, भलेश और भद्रवाह क्षेत्र से संबंधित श्रद्धालु है.
इस बार की मणिमहेश यात्रा से पहले तक हर बार मणिमहेश यात्रा में जम्मू क्षेत्र के श्रद्धालु पीढ़ी दर पीढ़ी हजारों की तादाद में पवित्र मणिमहेश झील पर पहुंचकर अपने धार्मिक आयोजन को पूरा करते आए हैं. जिसमें चंबा और भरमौर भी उनके पड़ाव निश्चित हैं, लेकिन कोविड-19 के इस दौर में मणिमहेश यात्रा को जम्मू से आने वाली विभिन्न छड़ी के अलावा चंबा से प्रस्थान करने वाली छड़ी तक ही सीमित रखा गया है.