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Himachal Seat Scan: चुराह विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में टिकट के कई चाहवान, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण - कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा है. हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) में आज हम चुराह विधानसभा क्षेत्र (Churah Assembly Constituency Ground Report) की बात करने जा रहे हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये पहली विधानसभा सीट है. वैसे तो इस सीट पर पीछले दो विधानसभा चुनाव से बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी में टिकट के कई दावेदार चुनाव से पहले अपनी ताल ठोक रहे हैं. हालांकि वर्तमान में विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज इस सीट से विधायक हैं. वहीं, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समाज का वोट ही इस सीट पर हार जीत तय करता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर इस सीट पर चुनावी समीकरण क्या हैं...

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट.
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Published : Sep 1, 2022, 5:35 PM IST

चंबा/चुराह: हिमाचल प्रदेश में अब कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले चुराह विधानसभा क्षेत्र की सियासत गरमाने लगी है. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत हिमाचल सीट स्कैन सीरीज के माध्यम से प्रदेश के सभी विधानसभा सीट के चुनावी समीकरण से रू-ब-रू करा रहा है. आज हम प्रदेश के पहली विधानसभा सीट यानी चुराह विधानसभा क्षेत्र की बात करने जा रहे हैं. यह सीट एससी के लिए आरक्षित है. और पिछले 2 बार से बीजेपी से हंसराज यहां से विधायक हैं. हालांकि इस साल इस सीट पर काफी उलट-फेर होने की उम्मीद है. गौर रहे कि साल 2012 से पहले इस सीट का नाम राजगनर था.

बता दें कि पिछले करीब साढ़े नौ साल से भाजपा के विधायक के रूप में हंसराज अपना कार्यकाल बिता रहे हैं. पहली बार भाजपा की टिकट से हंसराज ने 2012 में विधान सभा चुनाव लड़ा और अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और दो बार के लगातार विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को 2,211 वोट से पराजित करके पहली बार विधान सभा पहुंचे उसके बाद वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव हुए और भाजपा की तरफ से हंसराज को टिकट दिया गया और कांग्रेस पार्टी से एक बार की हार के बाद दोबारा सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन हंसराज ने 4,944 वोट से सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को पराजित करके इस सीट पर विजय हासिल की. बाद में भाजपा ने उन्हें विधानसभा का उपाध्यक्ष के पद से भी नवाजा.

Churah Assembly Constituency ground report
2017 में चुराह विधानसभा सीट पर जीत का अंतर

चुराह विधानसभा क्षेत्र में चुनावी गणित: चुराह विधानसभा सीट पर साल 2003 और 2007 में भारतीय जनता पार्टी को दो बार लगातार हार का सामना कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार भारद्वाज से करना पड़ा था. उनके मुकाबले पूर्व राज्य मंत्री मोहन लाल लगातार दो बार चुनाव हार गए थे. इसलिए कार्यकर्ताओं में काफी निराशा थी. इसी को देखते हुए भाजपा ने पहली बार अपर चुराह पर दांव खेला और यहां से युवा जिला परिषद सदस्य हंसराज को पार्टी का उम्मीदवार बनाया. यही कारण था कि भाजपा ने इसे गांव और शहरी क्षेत्र के बीच बांट दिया. क्योंकि अपर चुराह में 53 पंचायतें आती हैं, जबकि लोअर चुराह में 17 पंचायतें आती हैं. ऐसे में अपर चुराह की बोली चुराही अलग है, जबकि लोअर क्षेत्र की बोली में भाषा का फर्क होने से भाजपा के उम्मीदवार को चुराह की जनता ने 2211 वोटों से जीत दिलाई. उसके बाद लगातार दूसरी बार हंसराज ने फिर वर्ष 2017 में जीत का परचम लहराया. हालंकि अब कांग्रेस की मुश्किल इस विधानसभा क्षेत्र में काफी हद तक बढ़ी है. क्योंकि जिस तरह की भाषा बोली हंसराज बोलते हैं उस तरह की बोली लोअर चुराह के लोगों को नहीं आती है. यही कारण है की भाजपा यहां से जीत हासिल करने में कामयाब हुई है.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट.

अनुसूचित जाति और मुस्लिम समाज का वोट तय करता है हार-जीत: चुराह विधान सभा क्षेत्र में 20 प्रतिशत तक मुस्लिम समाज का मतदाता है जो अपना वोट डालते हैं. इसी तरह तीस प्रतिशत के आसपास दलित समाज का वोट है जो बड़ा फैक्टर माना जाता है. दरअसल जिस भी उम्मीदवार दवार के पक्ष में यह वोट आ गया, उसकी जीत पक्की मानी जाती है. हालंकि इस वोट बैंक में भाजपा ने बड़ी आसानी से सेंध लगाने का प्रयास किया, जिसके चलते भाजपा कहीं न कहीं कामयाब भी होती दिखी. इस विधानसभा क्षेत्र में आज भी अधिकतर वोट बैंक भाजपा के विधायक हंसराज के साथ खड़ा नजर आता है. इस क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के लोग हंसराज को अपना समझकर वोट देते हैं. हालांकि अब समीकरण बदले हैं पहले एक एक उम्मीदवार होते थे, लेकिन इस बार भाजपा कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

कांग्रेस पार्टी में चार से पांच उम्मीदवार, जबकि BJP में तीन दावेदार: इस बार कांग्रेस पार्टी से पिछले बार से लगातार दो चुनाव हर चुके पूर्व दो बार के विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज टिकट के लिए प्रबल दावेदार हैं तो वहीं दूसरी ओर 2017 में पुलिस की नौकरी छोड़कर आए प्रकाश भूटानी भी लगातार अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं और वर्तमान विधायक हंसराज के हर बात पर पलटवार करने में आगे रहते हैं. ऐसे में पार्टी की नजर इन पर भी बनी हुई है. इस सीट पर एक अध्यापक यशवंत भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस में टिकट के कई दावेदार.

इसके अलावा लोक निर्माण विभाग में बतौर एसडीओ संजीव अत्री भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. ये सभी लोग अपने-अपने तरीके से टिकट मांग रहे हैं. हालांकि इसी गुटबाजी से परेशानी भी बढ़ने लगी है कांग्रेस पार्टी की, लेकिन यही सूरत-ए-हाल भाजपा का भी है दो बार से लगातार विधायक जहां तीसरी बातर चुनाव लड़ने का मन बना चुके है तो वहीं दूसरी और अनुसूचित जाति और जनजाति निगम के उपाध्यक्ष जय सिंह भी संघ विचारधारा से आते हैं. उन्हें भी टिकट का सपने दिखाई देते हैं. इसके अलावा जिला किसान मोर्चा के महामंत्री नरेश रावत भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं.

चुराह विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: चुराह विधान सभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से आए दिन लोगों को परेशानी (Churah Assembly Constituency Issues) झेलनी पड़ती है. नागरिक अस्पताल में स्टाफ की कमी और अल्ट्रसाउंड मशीन न होने से मरीजों के आए दिन परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. मरीजों को 100 किलोमीटर दूर चंबा जाना पड़ता है. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सड़क सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है. साथ ही स्कूलों में स्टाफ को कमी सबसे बड़ी मुश्किल है.

Churah Assembly Constituency Issues
चुराह विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे

चुराह विधान सभा क्षेत्र में मतदाता: चुराह विधानसभा क्षेत्र में कुल वोट 74 हजार (Voters in Churah Assembly Constituency) हैं. इनमें 38 हजार पुरुष मतदाता हैं, जबकि 36 हजार महिला मतदाता शामिल हैं. ऐसे में इस बार जहां एक तरफ भाजपा के दो बार के विधायक और विधान सभा उपाध्यक्ष हंसराज हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. वहीं, दूसरी तरफ दस साल से विपक्ष में लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ता भी अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारने के साथ-साथ जिताने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन जिस तरह से दोनों तरफ से गुटबाजी हो रही है उससे कहीं-न-कहीं दिकतें बढ़ने वाली हैं.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र में मतदाता.

क्या कहते हैं चुराह विधानसभा से बीजेपी विधायक हंसराज: विधानसभा उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक हंसराज (BJP MLA from Churah Assembly Hansraj) ने बताया कि उनके 10 साल के कार्यकाल में चुराह को नई दिशा मिली है यहां पर 200 के करीब सड़कों का निर्माण हुआ है स्वास्थ्य के क्षेत्र हम लोग आगे बढ़े हैं शिक्षा के क्षेत्र हम लोग आगे बढ़े हैं इस विधानसभा में कई नए आयाम स्थापित किए हैं और आने वाले समय में भी इस विधानसभा क्षेत्र की जनता भाजपा के ही नेता को जीत दिलाएगी.

कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज का आरोप: वहीं, दूसरी और कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज (Former Congress MLA Surendra Kumar Bhardwaj) ने बताया कि जितना भी विकास भाजपा के नेता गिना रहे हैं सभी विकास कांग्रेस पार्टी की देन है. यहां पर भाजपा के विधायक ने अपने कार्यकाल में कुछ नया नहीं किया है. उन्होंने कहा कि यहां पर कांग्रेस ने लोक निर्माण विभाग का मंडल आईपीएच का मंडल सिविल जज कोर्ट इसके अलावा का स्कूल और कॉलेज खोले हैं, लेकिन इनके कार्यकाल में विकास का नाम शून्य रहा है.

बहरहाल जो भी हो इस साल विधानसभा चुनाव में चुराह विधानसभा सीट पर चुनावी जंग काफी दिलचस्प होने वाली है. इस साल यहां की जनता हाथ का साथ देती है या कमल का साथ देती है यह तो आनेवाले वक्त में ही पता चल पाएगा.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan मनाली विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा, इस साल जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण

चंबा/चुराह: हिमाचल प्रदेश में अब कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले चुराह विधानसभा क्षेत्र की सियासत गरमाने लगी है. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत हिमाचल सीट स्कैन सीरीज के माध्यम से प्रदेश के सभी विधानसभा सीट के चुनावी समीकरण से रू-ब-रू करा रहा है. आज हम प्रदेश के पहली विधानसभा सीट यानी चुराह विधानसभा क्षेत्र की बात करने जा रहे हैं. यह सीट एससी के लिए आरक्षित है. और पिछले 2 बार से बीजेपी से हंसराज यहां से विधायक हैं. हालांकि इस साल इस सीट पर काफी उलट-फेर होने की उम्मीद है. गौर रहे कि साल 2012 से पहले इस सीट का नाम राजगनर था.

बता दें कि पिछले करीब साढ़े नौ साल से भाजपा के विधायक के रूप में हंसराज अपना कार्यकाल बिता रहे हैं. पहली बार भाजपा की टिकट से हंसराज ने 2012 में विधान सभा चुनाव लड़ा और अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और दो बार के लगातार विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को 2,211 वोट से पराजित करके पहली बार विधान सभा पहुंचे उसके बाद वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव हुए और भाजपा की तरफ से हंसराज को टिकट दिया गया और कांग्रेस पार्टी से एक बार की हार के बाद दोबारा सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन हंसराज ने 4,944 वोट से सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को पराजित करके इस सीट पर विजय हासिल की. बाद में भाजपा ने उन्हें विधानसभा का उपाध्यक्ष के पद से भी नवाजा.

Churah Assembly Constituency ground report
2017 में चुराह विधानसभा सीट पर जीत का अंतर

चुराह विधानसभा क्षेत्र में चुनावी गणित: चुराह विधानसभा सीट पर साल 2003 और 2007 में भारतीय जनता पार्टी को दो बार लगातार हार का सामना कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार भारद्वाज से करना पड़ा था. उनके मुकाबले पूर्व राज्य मंत्री मोहन लाल लगातार दो बार चुनाव हार गए थे. इसलिए कार्यकर्ताओं में काफी निराशा थी. इसी को देखते हुए भाजपा ने पहली बार अपर चुराह पर दांव खेला और यहां से युवा जिला परिषद सदस्य हंसराज को पार्टी का उम्मीदवार बनाया. यही कारण था कि भाजपा ने इसे गांव और शहरी क्षेत्र के बीच बांट दिया. क्योंकि अपर चुराह में 53 पंचायतें आती हैं, जबकि लोअर चुराह में 17 पंचायतें आती हैं. ऐसे में अपर चुराह की बोली चुराही अलग है, जबकि लोअर क्षेत्र की बोली में भाषा का फर्क होने से भाजपा के उम्मीदवार को चुराह की जनता ने 2211 वोटों से जीत दिलाई. उसके बाद लगातार दूसरी बार हंसराज ने फिर वर्ष 2017 में जीत का परचम लहराया. हालंकि अब कांग्रेस की मुश्किल इस विधानसभा क्षेत्र में काफी हद तक बढ़ी है. क्योंकि जिस तरह की भाषा बोली हंसराज बोलते हैं उस तरह की बोली लोअर चुराह के लोगों को नहीं आती है. यही कारण है की भाजपा यहां से जीत हासिल करने में कामयाब हुई है.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट.

अनुसूचित जाति और मुस्लिम समाज का वोट तय करता है हार-जीत: चुराह विधान सभा क्षेत्र में 20 प्रतिशत तक मुस्लिम समाज का मतदाता है जो अपना वोट डालते हैं. इसी तरह तीस प्रतिशत के आसपास दलित समाज का वोट है जो बड़ा फैक्टर माना जाता है. दरअसल जिस भी उम्मीदवार दवार के पक्ष में यह वोट आ गया, उसकी जीत पक्की मानी जाती है. हालंकि इस वोट बैंक में भाजपा ने बड़ी आसानी से सेंध लगाने का प्रयास किया, जिसके चलते भाजपा कहीं न कहीं कामयाब भी होती दिखी. इस विधानसभा क्षेत्र में आज भी अधिकतर वोट बैंक भाजपा के विधायक हंसराज के साथ खड़ा नजर आता है. इस क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के लोग हंसराज को अपना समझकर वोट देते हैं. हालांकि अब समीकरण बदले हैं पहले एक एक उम्मीदवार होते थे, लेकिन इस बार भाजपा कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

कांग्रेस पार्टी में चार से पांच उम्मीदवार, जबकि BJP में तीन दावेदार: इस बार कांग्रेस पार्टी से पिछले बार से लगातार दो चुनाव हर चुके पूर्व दो बार के विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज टिकट के लिए प्रबल दावेदार हैं तो वहीं दूसरी ओर 2017 में पुलिस की नौकरी छोड़कर आए प्रकाश भूटानी भी लगातार अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं और वर्तमान विधायक हंसराज के हर बात पर पलटवार करने में आगे रहते हैं. ऐसे में पार्टी की नजर इन पर भी बनी हुई है. इस सीट पर एक अध्यापक यशवंत भी टिकट की दावेदारी जता रहे हैं.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस में टिकट के कई दावेदार.

इसके अलावा लोक निर्माण विभाग में बतौर एसडीओ संजीव अत्री भी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. ये सभी लोग अपने-अपने तरीके से टिकट मांग रहे हैं. हालांकि इसी गुटबाजी से परेशानी भी बढ़ने लगी है कांग्रेस पार्टी की, लेकिन यही सूरत-ए-हाल भाजपा का भी है दो बार से लगातार विधायक जहां तीसरी बातर चुनाव लड़ने का मन बना चुके है तो वहीं दूसरी और अनुसूचित जाति और जनजाति निगम के उपाध्यक्ष जय सिंह भी संघ विचारधारा से आते हैं. उन्हें भी टिकट का सपने दिखाई देते हैं. इसके अलावा जिला किसान मोर्चा के महामंत्री नरेश रावत भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं.

चुराह विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: चुराह विधान सभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से आए दिन लोगों को परेशानी (Churah Assembly Constituency Issues) झेलनी पड़ती है. नागरिक अस्पताल में स्टाफ की कमी और अल्ट्रसाउंड मशीन न होने से मरीजों के आए दिन परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. मरीजों को 100 किलोमीटर दूर चंबा जाना पड़ता है. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सड़क सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है. साथ ही स्कूलों में स्टाफ को कमी सबसे बड़ी मुश्किल है.

Churah Assembly Constituency Issues
चुराह विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे

चुराह विधान सभा क्षेत्र में मतदाता: चुराह विधानसभा क्षेत्र में कुल वोट 74 हजार (Voters in Churah Assembly Constituency) हैं. इनमें 38 हजार पुरुष मतदाता हैं, जबकि 36 हजार महिला मतदाता शामिल हैं. ऐसे में इस बार जहां एक तरफ भाजपा के दो बार के विधायक और विधान सभा उपाध्यक्ष हंसराज हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. वहीं, दूसरी तरफ दस साल से विपक्ष में लड़ाई लड़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ता भी अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारने के साथ-साथ जिताने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन जिस तरह से दोनों तरफ से गुटबाजी हो रही है उससे कहीं-न-कहीं दिकतें बढ़ने वाली हैं.

Churah Assembly Constituency ground report
चुराह विधानसभा क्षेत्र में मतदाता.

क्या कहते हैं चुराह विधानसभा से बीजेपी विधायक हंसराज: विधानसभा उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक हंसराज (BJP MLA from Churah Assembly Hansraj) ने बताया कि उनके 10 साल के कार्यकाल में चुराह को नई दिशा मिली है यहां पर 200 के करीब सड़कों का निर्माण हुआ है स्वास्थ्य के क्षेत्र हम लोग आगे बढ़े हैं शिक्षा के क्षेत्र हम लोग आगे बढ़े हैं इस विधानसभा में कई नए आयाम स्थापित किए हैं और आने वाले समय में भी इस विधानसभा क्षेत्र की जनता भाजपा के ही नेता को जीत दिलाएगी.

कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज का आरोप: वहीं, दूसरी और कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार भारद्वाज (Former Congress MLA Surendra Kumar Bhardwaj) ने बताया कि जितना भी विकास भाजपा के नेता गिना रहे हैं सभी विकास कांग्रेस पार्टी की देन है. यहां पर भाजपा के विधायक ने अपने कार्यकाल में कुछ नया नहीं किया है. उन्होंने कहा कि यहां पर कांग्रेस ने लोक निर्माण विभाग का मंडल आईपीएच का मंडल सिविल जज कोर्ट इसके अलावा का स्कूल और कॉलेज खोले हैं, लेकिन इनके कार्यकाल में विकास का नाम शून्य रहा है.

बहरहाल जो भी हो इस साल विधानसभा चुनाव में चुराह विधानसभा सीट पर चुनावी जंग काफी दिलचस्प होने वाली है. इस साल यहां की जनता हाथ का साथ देती है या कमल का साथ देती है यह तो आनेवाले वक्त में ही पता चल पाएगा.

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