बिलासपुर: शुक्रवार को जिला में शहीदों की याद में कारगिल युद्ध विजय दिवस मनाया गया. इसी बीच खेल और परिवाहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने 52 सैनिकों के सम्मान में युद्ध स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
खेल और परिवाहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि करगिल युद्ध 14 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक लड़ा गया था, जिसमें अनेक वीर जवान शहीद हुए और देश को आजाद कराया. उन्होंने बताया कि करगिल युद्ध 14 मई1999 को तब शुरू हुआ, जब 4 रेजीमेंट के कैप्टन सौरव कालिया अपने गश्ती दल के साथ दुश्मन की टोह लेने के लिए कोकसर के लिए रवाना हुए थे. इसी बीच पाकिस्तानी सेना ने सौरभ कालिया के साथ-साथ पांच जवानों को पकड़ा लिया. नौ जून 1999 को पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन सौरव कालिया का क्षत-विक्षत स्थिति में शव भारतीय सेना को सौंपा.
परिवाहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि कैप्टन विक्रम बत्रा की ये दिल मांगे मोर की ध्वनी मश्कोह घाटी में शंख नाद करते हुए दुश्मन पर भारी पड़ी. उन्होंने बताया कि कई चोटियों पर कब्जा करने के बाद प्वाइंट 48.75 कब्जा करते समय दुश्मन ने विक्रम बत्रा पर चारों तरफ से हमला कर दिया और विक्रम बत्रा ने देश पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. इसके अलावा बताया कि मश्कोह घाटी की 17 हजार फीट ऊंची लैट टाप पोस्ट पर राइफल मैन संजय कुमार ने कब्जा करते हुए दुश्मन पर फायरिंग की. दूसरी तरफ हुई फायरिंग से संजय कुमार की टांग पर छह गोलियां लगी, लेकिन इसके बावजूद भी संजय कुमार ने साहस का परिचय देते हुए दुश्मन पर ग्रेनेड और गोलियों की बौछारों से हमला किया और लैट पोस्ट पर कब्जा किया.
करगिल युद्ध के दौरान युद्ध पदकों में दो परमवीर चक्र, 4 वीर चक्र, 5 सेना मेडल से सम्मानित किया गया. इसी बीच वीरों, वीरांगनाओं को सम्मानित किया गया, जिसमें मीरा देवी, रतनी देवी, सरस्वती देवी, कलावती, शीला देवी, शकुंतला देवी, निर्मला देवी, रक्षा देवी, कौशल्या देवी, प्रोमिला देवी, सुरेश कुमारी, व्यासां देवी, कैप्टन योगेंद्र पल शामिल हैं.
बता दें कि 26 जुलाई को करगिल युद्ध को 20 साल पूरे हो जाएगे. समारोह में भारतीय सेना की आर्म्ड टुकड़ी ने शामिल होकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसी बीच देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर शहीद हुए उनके जीवनसाथी की शहादत में वीरनारियों के आंसू भी छलके.