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बिलासपुर में नशा मुक्ति दवाओं का दुरुपयोग कर रहे युवा: डाॅ. महेंद्र सिंह

मनोचिकित्सक डाॅ. महेंद्र सिंह ने बताया कि बिलासपुर में नशा अपने पांव लगातार पसारता जा रहा है. युवा नशे के चंगुल में फसते जा रहे हैं. वहीं, जब युवाओं को नशे की सामग्री नहीं मिल रही है तो वह इसके विकल्प के रुप में नशा छुड़ाने की (Youth consuming drugs in Bilaspur) दवाइयों पैंटाडाॅल और टामाडाॅल का सेवन कर रहे हैं जिसका उल्टा असर पड़ रहा है.

Youth consuming drugs in Bilaspur
बिलासपुर में नशा
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Published : Jan 19, 2022, 5:58 PM IST

बिलासपुर: जिला अस्पताल बिलासपुर में तैनात मनोचिकित्सक डाॅ. महेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. डाॅ. महेंद्र ने बताया कि बिलासपुर जिले में अधिकतर युवा नशा छुड़ाने की दवाइयों का गलत इस्तेमाल (Youth consuming drugs in Bilaspur) कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी ओपीडी में अभी प्रतिमाह 150 से अधिक चिट्टे का सेवन कर रहे युवा पहुंच रहे हैं.

कोविड के चलते युवाओं को नशे की सामग्री मिल पाना मुश्किल हो रहा है तो वह चिट्टे का विकल्प नशा छोड़ने की दवाइयों में (misuse of de-addiction drugs) ले रहे हैं. ऐसे में इस गंभीर समस्या को देखते हुए मनोचिकित्सक डाॅ. महेंद्र सिंह ने अपनी ओपीडी में नशे का सेवन करने वाले युवाओं को अपने परिजनों संग आने के आदेश जारी किए हैं. अगर कोई युवा अकेला ही अपनी जांच करवाने के लिए आता है तो उसका ईलाज नहीं किया जाएगा.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी तीन माह के भीतर बिलासपुर जिले में चार मौतें नशे के ओवरडोज से हो गई (Youth consuming drugs in Bilaspur) है, क्योंकि यह युवा चिट्टे के सेवन के लिए नशे को छोड़ने की दवाइयों का भी सेवन करते रहे, जिससे वह उल्टा असर हो गया और उनकी मौत हो गई. उन्होंने ( District Hospital Bilaspur) बताया कि कोविड के शुरूआती चरण में चिट्टे का सेवन करने वाले मरीज ओपीडी में अधिक पहुंच रहे थे क्योंकि उस समय लॉकडाउन होने के चलते नशे की सामग्री न मिलने से युवा परेशान हो गए थे.

डाॅ. महेंद्र सिंह

पैंटाडाॅल और टामाडाॅल दवाइयों से रहें दूर: उन्होंने बताया कि (Psychotherapist Dr. Mahendra Singh) वर्तमान में बिलासपुर जिले में स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई है. नशे से अपने बच्चों को दूर करने के लिए सबसे अहम योगदान इस वक्त परिजनों का है. मनोचिकित्सक महेंद्र सिंह ने बिलासपुर जिले के लोगों आग्रह किया है कि अपने बच्चों पर विशेष नजर रखें. साथ ही यह ध्यान रखें की आपका बच्चा कहीं पैंटाडाॅल और टामाडाॅल दवाइयों का सेवन तो नहीं कर रहा है. क्योंकि यह दवाइयां अधिकतर युवा नशे के तौर पर यूज कर रहे हैं जिससे उनकी मौत हो रही है.

ये भी पढ़ें: मंडी शराब मामला: अब तक चार लोगों की मौत, परिजनों ने लगाए ये आरोप

बिलासपुर: जिला अस्पताल बिलासपुर में तैनात मनोचिकित्सक डाॅ. महेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. डाॅ. महेंद्र ने बताया कि बिलासपुर जिले में अधिकतर युवा नशा छुड़ाने की दवाइयों का गलत इस्तेमाल (Youth consuming drugs in Bilaspur) कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी ओपीडी में अभी प्रतिमाह 150 से अधिक चिट्टे का सेवन कर रहे युवा पहुंच रहे हैं.

कोविड के चलते युवाओं को नशे की सामग्री मिल पाना मुश्किल हो रहा है तो वह चिट्टे का विकल्प नशा छोड़ने की दवाइयों में (misuse of de-addiction drugs) ले रहे हैं. ऐसे में इस गंभीर समस्या को देखते हुए मनोचिकित्सक डाॅ. महेंद्र सिंह ने अपनी ओपीडी में नशे का सेवन करने वाले युवाओं को अपने परिजनों संग आने के आदेश जारी किए हैं. अगर कोई युवा अकेला ही अपनी जांच करवाने के लिए आता है तो उसका ईलाज नहीं किया जाएगा.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी तीन माह के भीतर बिलासपुर जिले में चार मौतें नशे के ओवरडोज से हो गई (Youth consuming drugs in Bilaspur) है, क्योंकि यह युवा चिट्टे के सेवन के लिए नशे को छोड़ने की दवाइयों का भी सेवन करते रहे, जिससे वह उल्टा असर हो गया और उनकी मौत हो गई. उन्होंने ( District Hospital Bilaspur) बताया कि कोविड के शुरूआती चरण में चिट्टे का सेवन करने वाले मरीज ओपीडी में अधिक पहुंच रहे थे क्योंकि उस समय लॉकडाउन होने के चलते नशे की सामग्री न मिलने से युवा परेशान हो गए थे.

डाॅ. महेंद्र सिंह

पैंटाडाॅल और टामाडाॅल दवाइयों से रहें दूर: उन्होंने बताया कि (Psychotherapist Dr. Mahendra Singh) वर्तमान में बिलासपुर जिले में स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई है. नशे से अपने बच्चों को दूर करने के लिए सबसे अहम योगदान इस वक्त परिजनों का है. मनोचिकित्सक महेंद्र सिंह ने बिलासपुर जिले के लोगों आग्रह किया है कि अपने बच्चों पर विशेष नजर रखें. साथ ही यह ध्यान रखें की आपका बच्चा कहीं पैंटाडाॅल और टामाडाॅल दवाइयों का सेवन तो नहीं कर रहा है. क्योंकि यह दवाइयां अधिकतर युवा नशे के तौर पर यूज कर रहे हैं जिससे उनकी मौत हो रही है.

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