बिलासपुर: भारत सरकार के सौजन्य से दक्षिण भारत के मशहूर मंदिर तिरुपति बालाजी (Temple Tirupati Balaji) की तर्ज पर अब हिमाचल के शक्तिपीठों पर (Temples of Himachal) भी श्रद्धालु मंदिरों में (Devotees) अध्यात्मिक और औषधीय पौधे प्रसाद (Medicinal plants) के रूप में चढ़ा सकेंगे. वहीं, पंजाब के मशहूर गुरुद्वारा गोल्डन टेंपल में यह योजना पहले ही शुरू हो चुकी है. इस योजना से जहां पर पर्यावरण का सरक्षण होगा. वहीं, करोना जैसी महामारी के विनाश के लिए औषधीय प्राकृतिक औषधीय दवाइयां स्थानीय लोगों को मिल पाएंगी.
पहले चरण में यह योजना हिमाचल देव भूमि हिमाचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी, श्री चिंतपूर्णी (Baba Balak Temple)और बाबा बालक नाथ (Baba Balak Temple) में शुरू की जाएगी, जबकि दूसरे चरण में श्री ब्रजेश्वरी देवी (Shri Brajeshwari Devi Temple) कांगड़ा, श्री चामुंडा देवी (Chamunda Devi Temple) और श्री ज्वाला जी (Jwala Ji Temple) में यह योजना शुरू की जाएगी और तीसरे चरण में इसे माता वैष्णो देवी के दरबार में शुरू किया जाएगा.
बुधवार को विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी से इस वृक्षम प्रसादम योजना (Vriksham Prasadam Scheme) को शुरू किया गया. जहां माता श्री नैना देवी के चरणों में एक अध्यात्मिक वृक्ष भेंट करके इस मुहिम को पूरे प्रदेश में लागू करने का आगाज किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंदिर न्यास के अध्यक्ष एसडीएम राजकुमार ठाकुर ने इस कार्यक्रम की पूजा अर्चना करके शुरुआत की. इस मुहिम के शुरू होने से अब श्रद्धालु माता श्री नैना देवी के दरबार में औषधीय एवं आध्यात्मिक पोधे प्रसाद के रूप में चढ़ा पाएंगे और उन्हें वापस प्रसाद के रूप में भी औषधीय पौधे मिलेंगे.
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बुधवार को चंडीगढ़ से (Chandigarh) वृक्ष प्रसादम फाउंडेशन की एक (Vriksha Prasadam Foundation) टीम माता श्री नैना देवी के दरबार में पहुंची और जिसमें म्यूजियम एंड आर्ट चंडीगढ़ के डायरेक्टर डॉक्टर पीसी शर्मा और वृक्ष प्रसाद फाउंडेशन के अध्यक्ष राहुल महाजन भी मौजूद रहे. चंडीगढ़ से आए म्यूजियम एवं आर्ट के (Museum and Art Chandigarh) डायरेक्टर डॉक्टर पीसी शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि इससे पहले यह योजना साउथ के तिरुपति बालाजी मंदिर और पंजाब के गोल्डन टेंपल में बड़े जोर शोर से चलाई गई है और सिख श्रद्धालुओं का तो इतिहास ही इन वृक्षों से जुड़ा है.
उन्होंने कहा कि पहले चरण में माता श्री नैना देवी सिद्ध, बाबा बालक नाथ और माता चिंतपूर्णी टेंपल इससे जोड़े जाएंगे और दूसरे चरण मंदिर श्री ज्वाला जी, श्री ब्रजेश्वरी देवी कांगड़ा और श्री चामुंडा देवी, जबकि तीसरे चरण में माता वैष्णो देवी मंदिर इस योजना से जोड़ा जाएगा. ताकि श्रद्धालु प्रसाद के रूप में औषधीय और अध्यात्मिक पौधे माता के चरणों में चढ़ा सकें और भविष्य में उन्हें प्रसाद के रूप में भी पौधे मिले.
उन्होंने बताया कि नैना देवी के आसपास की पहाड़ियों में भी एक मुहिम छेड़ी जाएगी, जहां औषधीय पौधे अध्यात्मिक पौधे लगाए जाएंगे ताकि यहां का वातावरण भी शुद्ध हो और लोगों को अपनी बीमारियों के इलाज के लिए हर तरह की जड़ी बूटियां इन पौधों से प्राप्त हो सके.
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