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यमुनानगर: हजारों कर्मचारियों और मजदूरों ने किया शिक्षा मंत्री के घर का घेराव

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Published : Feb 14, 2021, 2:32 PM IST

प्रदेश के 4 जिलों के कर्मचारी और मजदूर जगाधरी ने सीटू के बैनर तले जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान अनाज मंडी में हजारों की संख्या में कर्मचारी इकट्ठे होकर यहां से पैदल मार्च निकालते हुए शिक्षा मंत्री के आवास स्थान पर पहुंचे. वहां जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया.

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सीटू के बैनर तले हजारों कर्मचारियों और मजदूरों ने किया शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव

यमुनानगर: प्रदेश के 4 जिलों के कर्मचारी और मजदूर जगाधरी ने सीटू के बैनर तले जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान अनाज मंडी में हजारों की संख्या में कर्मचारी इकट्ठे होकर यहां से पैदल मार्च निकालते हुए शिक्षा मंत्री के आवास स्थान पर पहुंचे वहां जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया.

शिक्षा मंत्री के वहां ना होने के चलते उन्होंने उनके पीए को अपनी 16 मुख्य मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा और शिक्षा मंत्री ने उन्हें 22 फरवरी को इनके प्रतिनिधिमंडल को अपने निवास स्थान पर बुलाया है.

सीटू के बैनर तले हजारों कर्मचारियों को प्रदर्शन

कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर के निवास स्थान पर सीटू के बैनर तले यमुनानगर, अंबाला, पंचकूला और कुरुक्षेत्र के आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, मिड डे मील वर्कर, वन मजदूर, ग्रामीण सफाई कर्मचारी, ग्रामीण चौकीदार, निर्माण कामगार मजदूर, क्रैच वर्कर्स, स्वास्थ्य कर्मी, मनरेगा मजदूर, भट्ठा मजदूरो ने शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव किया. इन प्रदर्शनकारियों ने लघु सचिवालय से शिक्षा मंत्री के आवास तक पैदल मार्च निकाला.

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि लाठी और गोली के दम पर मेहनतकश आवाम की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. लोकतंत्र में जनता की बातें सुनी जानी चाहिए और उनकी जिंदगी को सुधारने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए. लेकिन बड़े शर्म की बात है कि देश और प्रदेश की भाजपा सरकार चंद पूंजीपतियों के लिए देश की 90 फीसदी आबादी को गिरवी रख रही है.

वे उन्हें पूंजीपतियों का गुलाम बनाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं जिस सार्वजनिक क्षेत्र ने देश की बुनियाद को मजबूत किया है उसे बर्बाद किया जा रहा है. उन्होंने कहा की हमारी मांग है कि न्यूनतम वेतन को 24 हजार रुपये किया जाए. स्कीम वर्कर से और कच्चे कर्मियों को पक्का किया जाए, मनरेगा में मजदूरों को 200 दिन काम दिया जाए, जिसकी 700 रुपये मजदूरी हो, भट्टे पर ईट बनाने वाले मजदूर का रेट 725 रुपये हो.

इतना ही नहीं वन विभाग में मस्टरोल लागू हो स्वास्थ्य कर्मी की छंटनी ना, हो ग्रामीण चौकीदार पक्के हो, स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 लागू हो, सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगे और जरूरतमंद परिवारों को 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति दिया जाए.

ये है मुख्य मांगे-

1. मजदूर विरोधी चारों लेबर कानून रद्द किए जाएं
2. खेती और खाद्य सुरक्षा को उजाड़ने वाले तीनों कानून वापस लिए जाएं
3. बिजली बिल संशोधन 2020 वापस लिया जाए
5. सभी निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन किया जाए, श्रमिकों को सभी लाभ और सुविधाएं मिले, 90 दिन की शर्त खत्म की जाए
6. आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील, क्रेज कर्मियों, ग्रामीण सफाई कर्मियों, ग्रामीण चौकीदारों, वन मजदूरों, स्वास्थ्य आरोही सहित तमाम ठेका कर्मियों को पक्का किया जाए
7. मनरेगा में 200 दिन काम और ₹700 मजदूरी दी जाए
8. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून लागू किया जाए

यमुनानगर: प्रदेश के 4 जिलों के कर्मचारी और मजदूर जगाधरी ने सीटू के बैनर तले जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान अनाज मंडी में हजारों की संख्या में कर्मचारी इकट्ठे होकर यहां से पैदल मार्च निकालते हुए शिक्षा मंत्री के आवास स्थान पर पहुंचे वहां जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया.

शिक्षा मंत्री के वहां ना होने के चलते उन्होंने उनके पीए को अपनी 16 मुख्य मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा और शिक्षा मंत्री ने उन्हें 22 फरवरी को इनके प्रतिनिधिमंडल को अपने निवास स्थान पर बुलाया है.

सीटू के बैनर तले हजारों कर्मचारियों को प्रदर्शन

कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर के निवास स्थान पर सीटू के बैनर तले यमुनानगर, अंबाला, पंचकूला और कुरुक्षेत्र के आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, मिड डे मील वर्कर, वन मजदूर, ग्रामीण सफाई कर्मचारी, ग्रामीण चौकीदार, निर्माण कामगार मजदूर, क्रैच वर्कर्स, स्वास्थ्य कर्मी, मनरेगा मजदूर, भट्ठा मजदूरो ने शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव किया. इन प्रदर्शनकारियों ने लघु सचिवालय से शिक्षा मंत्री के आवास तक पैदल मार्च निकाला.

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि लाठी और गोली के दम पर मेहनतकश आवाम की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. लोकतंत्र में जनता की बातें सुनी जानी चाहिए और उनकी जिंदगी को सुधारने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए. लेकिन बड़े शर्म की बात है कि देश और प्रदेश की भाजपा सरकार चंद पूंजीपतियों के लिए देश की 90 फीसदी आबादी को गिरवी रख रही है.

वे उन्हें पूंजीपतियों का गुलाम बनाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं जिस सार्वजनिक क्षेत्र ने देश की बुनियाद को मजबूत किया है उसे बर्बाद किया जा रहा है. उन्होंने कहा की हमारी मांग है कि न्यूनतम वेतन को 24 हजार रुपये किया जाए. स्कीम वर्कर से और कच्चे कर्मियों को पक्का किया जाए, मनरेगा में मजदूरों को 200 दिन काम दिया जाए, जिसकी 700 रुपये मजदूरी हो, भट्टे पर ईट बनाने वाले मजदूर का रेट 725 रुपये हो.

इतना ही नहीं वन विभाग में मस्टरोल लागू हो स्वास्थ्य कर्मी की छंटनी ना, हो ग्रामीण चौकीदार पक्के हो, स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 लागू हो, सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगे और जरूरतमंद परिवारों को 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति दिया जाए.

ये है मुख्य मांगे-

1. मजदूर विरोधी चारों लेबर कानून रद्द किए जाएं
2. खेती और खाद्य सुरक्षा को उजाड़ने वाले तीनों कानून वापस लिए जाएं
3. बिजली बिल संशोधन 2020 वापस लिया जाए
5. सभी निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन किया जाए, श्रमिकों को सभी लाभ और सुविधाएं मिले, 90 दिन की शर्त खत्म की जाए
6. आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील, क्रेज कर्मियों, ग्रामीण सफाई कर्मियों, ग्रामीण चौकीदारों, वन मजदूरों, स्वास्थ्य आरोही सहित तमाम ठेका कर्मियों को पक्का किया जाए
7. मनरेगा में 200 दिन काम और ₹700 मजदूरी दी जाए
8. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून लागू किया जाए

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