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Yamunanagar News: अमादलपुर का सूर्य कुंड मंदिर, जहां सूर्य ग्रहण पर होती है विशेष पूजा - Surya Kund Temple Amadalpur in Yamunanagar

हिंदू मान्यताओं के अनुसार ग्रहण और सूतक काल में पूजा-अर्चना निषेध होती है. इस समय मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं लेकिन देश में दो मंदिर ऐसे हैं जो सूर्य ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं. इनमें एक यमुनानगर जिले के (Surya Kund Temple Amadalpur in Yamunanagar) अमादलपुर गांव का प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर है.

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Yamunanagar News: अमादलपुर का सूर्य कुंड मंदिर, जहां सूर्य ग्रहण पर होती है विशेष पूजा
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Published : Nov 22, 2022, 3:18 PM IST

यमुनानगर: जिले के अमादलपुर में बना प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर (Surya Kund Temple Amadalpur in Yamunanagar) भारत के गौरवमयी इतिहास को संजोए हुए है. मान्यता है कि इस मंदिर पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. देश में ऐसे दो ही मंदिर हैं, जो सूर्य ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं. यमुनानगर का मंदिर इनमें से एक है. यही कारण है कि दूर-दूर से साधु-संत और श्रद्धालु यहां आकर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं.

अमादलपुर गांव की पहचान अपने ऐतिहासिक सूर्य मंदिर (Surya Kund Temple) के कारण है.मंदिर के महंत राज महाराज ने बताया कि पूरे देश में दो सूर्य कुंड मंदिर हैं जो सूर्य ग्रहण के दौरान खुले रहते हैं. देश में इस तरह के 68 कुंड हैं लेकिन सूर्य कुंड मंदिर केवल दो ही हैं. पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर व दूसरा हरियाणा के यमुनानगर में स्थित सूर्यकुंड मंदिर. महंत के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय इस मंदिर के प्रांगण में आने-वाले किसी भी प्राणी पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मंदिर प्रांगण में सूर्यकुंड को इस प्रकार बनाया गया है जिससे यहां पड़ने वाली सूर्य की किरणें कुंड में ही समा जाती हैं.

पढ़ें: मीडिया सेंटर में मिली खामियों पर सीएम सलाहकार का सख्त रुख, कहा: इन्हीं अव्यवस्थाओं को देखने आए हैं

महंत राज महाराज ने कहा कि मान्यता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान करने से चर्म रोग व त्वचा संबंधी रोगों का निवारण होता है. प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. महाभारत काल में अज्ञातवर्ष के दौरान पांडवों का इसी स्थल पर यक्ष से संवाद होता है. इसी स्थान पर द्रौपदी ने भी भगवान सूर्य की उपासना करके उनसे अक्षय पात्र की प्राप्ति की थी. इन्हीं मान्यताओं के चलते सूर्य ग्रहण के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर सूर्य उपासना करते हैं.

पढ़ें: यमुनानगर में निर्माणाधीन पुल के पास अवैध खनन, पुल की मजबूती पर उठे रहे सवाल

सूर्यकुंड मंदिर का ऐतिहासिक महत्व: महंत राज महाराज ने बताया कि सूर्यकुंड मंदिर का निर्माण त्रेता युग में सूर्यवंशी राजा मंधाता ने कराया था. बताया जाता है कि राजा मांधाता को कुष्ठ रोग हो गया था. इसके निवारण के लिए ऋषियों ने उन्हें यमुना के किनारे एक कुंड का निर्माण कराकर उसके जल में खड़े होकर भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा. उस दौरान साक्षात यमुना उस कुंड में जल भरकर गई. वहीं भगवान सूर्य ने वहां आकर राजा मांधाता के कुष्ठ रोग को दूर कर दिया. एक मान्यता यह भी है कि भगवान सूर्य ने खुद इस मंदिर का निर्माण किया था.

यमुनानगर: जिले के अमादलपुर में बना प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर (Surya Kund Temple Amadalpur in Yamunanagar) भारत के गौरवमयी इतिहास को संजोए हुए है. मान्यता है कि इस मंदिर पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. देश में ऐसे दो ही मंदिर हैं, जो सूर्य ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं. यमुनानगर का मंदिर इनमें से एक है. यही कारण है कि दूर-दूर से साधु-संत और श्रद्धालु यहां आकर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं.

अमादलपुर गांव की पहचान अपने ऐतिहासिक सूर्य मंदिर (Surya Kund Temple) के कारण है.मंदिर के महंत राज महाराज ने बताया कि पूरे देश में दो सूर्य कुंड मंदिर हैं जो सूर्य ग्रहण के दौरान खुले रहते हैं. देश में इस तरह के 68 कुंड हैं लेकिन सूर्य कुंड मंदिर केवल दो ही हैं. पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर व दूसरा हरियाणा के यमुनानगर में स्थित सूर्यकुंड मंदिर. महंत के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय इस मंदिर के प्रांगण में आने-वाले किसी भी प्राणी पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मंदिर प्रांगण में सूर्यकुंड को इस प्रकार बनाया गया है जिससे यहां पड़ने वाली सूर्य की किरणें कुंड में ही समा जाती हैं.

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महंत राज महाराज ने कहा कि मान्यता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान करने से चर्म रोग व त्वचा संबंधी रोगों का निवारण होता है. प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. महाभारत काल में अज्ञातवर्ष के दौरान पांडवों का इसी स्थल पर यक्ष से संवाद होता है. इसी स्थान पर द्रौपदी ने भी भगवान सूर्य की उपासना करके उनसे अक्षय पात्र की प्राप्ति की थी. इन्हीं मान्यताओं के चलते सूर्य ग्रहण के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर सूर्य उपासना करते हैं.

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सूर्यकुंड मंदिर का ऐतिहासिक महत्व: महंत राज महाराज ने बताया कि सूर्यकुंड मंदिर का निर्माण त्रेता युग में सूर्यवंशी राजा मंधाता ने कराया था. बताया जाता है कि राजा मांधाता को कुष्ठ रोग हो गया था. इसके निवारण के लिए ऋषियों ने उन्हें यमुना के किनारे एक कुंड का निर्माण कराकर उसके जल में खड़े होकर भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा. उस दौरान साक्षात यमुना उस कुंड में जल भरकर गई. वहीं भगवान सूर्य ने वहां आकर राजा मांधाता के कुष्ठ रोग को दूर कर दिया. एक मान्यता यह भी है कि भगवान सूर्य ने खुद इस मंदिर का निर्माण किया था.

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