कैथल: सूबे में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इससे बचने का एकमात्र तरीका है फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग. लोगों को सामाजिक दूरी बनाने में आसानी हो इसलिए सरकार ने ज्यादातर चीजों को ऑनलाइन कर दिया है. रोडवेज की टिकट बुक करवानी हो, रजिस्ट्री का कोई काम हो या फिर बिजली का बिल भरना हो. सब काम अब आप ऑनलाइन घर बैठे कर सकते हैं.
ऑनलाइन सेवा से राहत कम आफत ज्यादा!
इसी कड़ी में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ये जानने की कोशिश की, क्या परिवहन विभाग की सेवाएं जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या फिर लर्नर लाइसेंस रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम ऑनलाइन हुए हैं या फिर मैनुअल मोड पर काम किया जा रहा है.
एसडीएम का दावा है कि परिवहन सेवाओं से जुड़ा सारा काम ऑनलाइन हो गया है. अब एक सवाल ये भी है कि क्या इस ऑनलाइन सिस्टम से भ्रष्टाचार और बिचौलियों का खात्मा भी हुआ है या नहीं. इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की. जिसमें लोगों ने ऑनलाइन सिस्टम पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम होने के बावजूद उन्हें विभाग के बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. क्योंकि ये सिस्टम कागजों तक ही सीमित है.
घंटों लाइन में लगने को मजबूर लोग
लोगों से बात करने पर पता चला कि ऑनलाइन सिस्टम की जवह से उनका काम देरी से हो रहा है. कभी अधिकारी सर्वर ठप होने की बात कहते हैं तो कभी कोई तकनीकि खामी की वजह से लोगों का काम सप्ताह भर से पेंडिंग रहता है. रही ऑनलाइन प्रणाली की बात. तो वो भी लोगों को नहीं भा रही. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले वाला सिस्टम ही ऑनलाइन से ज्यादा ठीक था. क्योंकि उसमें वक्त पर काम तो हो जाता था.
लोगों के इन आरोपों को एसडीएम संजय सिरे से नकारते नजर आए. उन्होंने कहा कि सबकुछ काम ऑनलाइन होने से भ्रष्टाचार और बिचौलियों का काम खत्म हो गया है. मौजूदा समय में रोजाना 100 लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं और 150 लोग गाड़ी की आरसी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. एक वजह से भी है कि कोरोना की वजह से विभाग लगभग तीन महीने बंद रहा. जिसकी वजह से काम पहले के मुकाबले बढ़ गया है. जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को ये परेशानी हो रही है.
ये भी पढ़ें- बरोदा उपचुनाव से पहले हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार, सीएम ने जेपी नड्डा से की चर्चा
ऑनलाइन सिस्टम और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के अधिकारी चाहे कितने भी दावे क्यों ना कर लें, लेकिन धरालत पर हकीकत कुछ और ही है. लोगों को ना तो ऑनलाइन सिस्टम का फायदा हुआ और नहीं बिचौलियों से मुक्ति मिली.