कैथल: प्रदेश में लंबे समय से काम कर रही हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन दो धड़ों में बंट गई है. विभिन्न जिलों के स्कूल संचालकों ने पहली एसोसिएशन से दूरी बनाकर नई एसोसिएशन का गठन कर दिया. इसका नाम प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन हरियाणा रखा गया है. शनिवार को नई एसोसिएशन का गठन करने को लेकर एक निजी होटल में प्रदेश स्तरीय मीटिग बुलाई गई. भिवानी से पहुंचे राम अवतार शर्मा और कैथल से रवि भूषण गर्ग ने कहा कि करीब 18 सालों से कुलभूषण शर्मा एसोसिएशन के प्रधान बने हुए थे. अब स्कूल संचालक बदलाव चाहते हैं, लेकिन उन्होंने पद नहीं छोड़ा. इसलिए दूसरी एसोसिएशन बनाई गई है. इसके अलावा सरकार से अपनी मांगों को भी पूरा करवाया जाएगा. बसों का पैसेंजर टैक्स, 134ए और एसएलसी के मुद्दे को लेकर सरकार से बात की जाएगी.
स्कूल संचालकों ने कहा कि शिक्षा विभाग की ओर से कुछ दिन पहले पत्र जारी किया गया था कि प्राइवेट और राजकीय स्कूलों में दाखिला लेने के लिए एसएलसी यानि स्कूल लिविग सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं है. इस फैसले के बाद स्कूल संचालक शिक्षा मंत्री से मिले थे और अपनी समस्या रखी थी. उसके बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया था.
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बिना एसएलसी के बच्चे के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता. अब तीन दिन पहले ही विभाग ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि राजकीय स्कूल में दाखिले के लिए एसएलसी अनिवार्य नहीं है. उनकी मांग है कि सरकार और विभाग इस फैसले को वापस ले.
पैसेंजर टैक्स हो माफ
स्कूल संचालकों ने कहा कि सरकार की ओर से कोरोना काल के समय का स्कूल बसों का पैसेंजर टैक्स माफ किया गया है. सरकार बच्चों को विद्यार्थी ना मानकर पैसेंजर मान रही है जोकि गलत है.
2007 में कांग्रेस सरकार के दौरान स्कूल संचालकों ने बड़ा आंदोलन किया था. आंदोलन को मौजूदा भाजपा नेताओं ने भी समर्थन दिया था. उस समय सरकार ने इस टैक्स को माफ कर दिया था. अब चार साल से दोबारा भाजपा सरकार पैसेंजर टैक्स ले रही है. बस की 60 रुपये प्रति सीट के हिसाब से पैसेंजर टैक्स लिया जा रहा है. कोरोना काल में बसें खड़ी हैं, जिन पर लाखों रुपये खर्च हो रहा है. सरकार से मांग है कि बसों का हर प्रकार का टैक्स माफ किया जाए.
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134-ए के तहत राशि की जाए जारी
स्कूल संचालकों ने कहा कि 134ए के तहत राशि लेने के लिए एसोसिएशन ने लंबा संघर्ष किया था. संघर्ष के बाद कक्षा दूसरी से आठवीं तक के बच्चों की 134ए के तहत राशि स्कूलों को जारी की जा चुकी है. कक्षा नौवीं से 12वीं तक के बच्चों की राशि सात सालों से जारी नहीं की जा रही है. इसके अलावा शिक्षा बोर्ड की ओर से प्राइवेट और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पेपर सेंटर अलग-अलग दिए जा रहे हैं. सरकारी स्कूल वाले बच्चों का पास और प्राइवेट स्कूल वाले बच्चों का 15 किलोमीटर तक सेंटर दिया जा रहा है. उनकी मांग है कि सभी बच्चों के सेंटर एक समान दिए जाएं.