झज्जर: केंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि साल 2022 तक हर गरीब के सिर पर छत देंगे, इस सपने को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने हजारों करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहर-शहर गरीबों के लिए आशियाना बनाया जाने लगा. ऐसे ही झज्जर में भी करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से 696 फ्लैट बनाए गए, ये फ्लैट्स बन कर तो तैयार हो गए, लेकिन जिस मकसद से ये फ्लैट्स बनाए गए वो पूरा नहीं हुआ. जिन फ्लैट्स में गरीब लोग अपना आशियाना बनाने वाले थे. आज उन्हीं फ्लैट्स में नशेड़ी अपना मयखाना बनाए बैठे हैं.
बदहाली के आंसू रो रहे हैं ये फ्लैट्स
बहादुरगढ़ के सेक्टर 5 में ईटीवी भारत की टीम इन फ्लैट्स का जायजा लेने पहुंची. ये फ्लैट धूल फांक रहे हैं. इन फ्लैट्स में आज शराबी अपनी पार्टियां करते हैं. रख रखाव के अभाव की वजह से बड़ी-बड़ी घास उगी है. अगर आप फ्लैट्स के अंदर नजारा देखोगे तो टॉयलेट, कमरे, रसोई हर किसी के दरवाजे उखड़े हुए हैं. यहां तक कि इन फ्लैट्स में लगाई गई ग्रील भी उखड़ी हुई है. यहां पर मौजूद लोगों का कहना है कि यह फ्लैट प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बीपीएल परिवार के लोगों के लिए बनाए गए थे, लेकिन अभी तक विभाग की तरफ से इन फ्लैटों को गरीब लोगों को अलॉट नहीं किया गया है.
एक्सईन ने ठेकेदार के सिर फोड़ा ठिकरा
वहीं जब इस बारे में विभाग के एक्सईन संदीप दहिया से बात की गई तो उन्होंने इसका सारा ठीकरा ठेकेदार के सिर फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि ठेकेदार की तरफ से अभी तक यह फ्लैट विभाग को हैंडओवर नहीं किए हैं. जिसकी वजह से विभाग ने यह फ्लैट गरीबों को आलॉट नहीं कराए हैं. उन्होंने कहा कि अभी इन फ्लैटों पर कोर्ट की तरफ से स्टे लगा हुआ है. जिसके कारण ठेकेदार ने अभी तक इन फ्लैटों को विभाग के अधीन नहीं किया है.
हालांकि एक्शन ने यह जरूर माना कि अब तक इन फ्लैटों को गरीबों को अलॉट कर देना चाहिए था, लेकिन फ्लैटों पर अभी तक ठेकेदार की ही जिम्मेदारी है. जब तक ठेकेदार इन फ्लैटों को विभाग के हैंडओवर नहीं करता है. तब तक लाभार्थियों को इसका फायदा नहीं होगा. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि जल्द ही इस मामले को सुलझा कर गरीबों को यह सुविधा मुहैया कराई जाएगी.
ढाई सौ लोगों ने किया था आवेदन, धूल फांक रहे फ्लैट्स
इन फ्लैट्स को तैयार होने के 5 साल बाद भी इन्हें गरीबों को अलॉट नहीं कराया गया. सरकारी धन की हो रही बेकद्री की जिम्मेदारी लेने को अब कोई तैयार नहीं है. सभी अपने ऊपर से बड़ी लापरवाही को टालने में लगा है. इन फ्लैटों के लिए गरीब लोगों ने आवेदन भी किए थे. एडीसी ऑफिस में करीब ढाई सौ से ज्यादा आवेदन आए थे.
हालांकि विभाग ने यह भी माना कि जल्द ही सभी फ्लैटों की रिपेयर करा कर लाभार्थीयो को सौंप दिया जाएगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि 5 साल बीत जाने के बावजूद भी गरीबों को इन फ्लैटों का लाभ क्यों नहीं मिल पाया और इसके पीछे कौन कौन दोषी है. जो नुकसान सरकारी खजाने का हुआ है उसका भुगतान कौन करेगा?
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