फतेहाबाद: साल 2012 में सरकार ने साक्षर भारत अभियान के तहत पांच हजार सौ शिक्षित लोगों को प्रेरक अध्यापक के तौर पर लगाया था. सहायक प्रेरक अध्यापकों का रखने का एक मात्र उद्देश्य था कि गांव जाकर ये लोग आमजन के बच्चों को शिक्षित कर सके. साथ ही बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें.
उसके बाद से ही प्रेरक अध्यापकों ने सरकार की जनहितेषी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने के कठिक परिश्रम किया. लेकिन इसके बावजूद भी 6 जून 2017 को प्रेरकों को हटा दिया गया. इसी के चलते प्रेरक बेरोजगारों ने एकजुट होकर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
इस बीच शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने स्थाई समाधान के लिए प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त भी किया. लेकिन उनकी मांगें आज भी पूरी नहीं हुई है. इसी के चलते 1 अगस्त को सभी प्रेरक अध्यापकों ने एकजुट होकर पंचकूला में शिक्षा सदन और चंडीगढ़ में सीएम हाउस का घेराव किया था. जिसके बाद अब प्रेरक अध्यापकों की बात मान ली गई है और सरकार ने उन्हें रोजगार देने का आश्वासन दिया है. इसी को लेकर सभी प्रेरकों ने एकजुट होकर सरकार का धन्यवाद किया.