फरीदाबाद: आमतौर पर हम छोटे बच्चे के सोने पर किसी प्रकार का ज्यादा ध्यान नहीं देते. अगर आपका छोटा बच्चा मुंह खोल कर सो रहा है और मुंह से सांस ले रहा है तो उसको ड्राई माउथ की समस्या हो सकती है. ड्राई माउथ के साथ-साथ कई प्रकार की दूसरी बीमारियां भी उसको अपनी चपेट में ले सकती हैं. ड्राई माउथ से छोटे बच्चे के मुंह में बैक्टीरिया पनप सकता है और यह बैक्टीरिया कई दूसरी बीमारियों को भी जन्म दे सकता है. ऐसे में फरीदाबाद के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन ने ड्राई माउथ से बचाव के तरीके के बारे (prevention from dry mouth in Children) में बताया.
दरअसल मुंह से सांस लेने से बच्चे के मुंह के अंदर का मॉइस्चर पूरी तरह से खत्म हो जाता है और मुंह में नमी की कमी के चलते कैविटी, सांस की बदबू जैसी समस्याएं, दातों में इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है. अगर वक्त रहते ध्यान ना दिया जाए तो स्थिति बिगड़ सकती है. बाल रोग विशेषज्ञ (MD, MBBS) डॉ. सचिन ने बताया कि हमारे देश में 5 से 8 फीसदी तक बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं. जिसका एक बड़ा कारण माता-पिता द्वारा अपने बच्चे के मुंह खोलकर सांस लेने को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना है.
क्या है ड्राई माउथ: डॉ. सचिन ने बताया कि बच्चे की नाक के छिद्रों के आकार में अंतर होता (डेविएटेड सेप्टम) है, जिसकी वजह से बच्चा मुंह खोलकर सांस लेता है. इसके अलावा बच्चे को जब जुखाम खांसी होती है, तो बच्चे के नाक के छिद्र पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. जिसकी वजह से वह मुंह से सांस लेता है. बच्चे के नाक और गले में कई बार टॉक्सिक हो जाने के चलते मुंह से सांस लेना पड़ता है. कुछ बच्चो को एडिनोइड ( टॉन्सिल) हो जाता है. जिसकी वजह से बच्चा मुंह खोल कर सोने का शिकार हो जाता है. इससे ड्राइ माउथ की बीमारी होती है.
ड्राई माउथ से बचाव के तरीके: डॉ. सचिन ने बताया कि कई बार हमारे पास 2 महीने से लेकर 4 महीने तक के बच्चों में भी यह परेशानी देखी जाती है. छोटे बच्चों में इसको गर्म भाप देकर, या फिर नोजल के जरिए ठीक किया जा सकता है. इसके अलावा 4 साल के ऊपर के बच्चों में भी मुंह खोल कर सोने की परेशानी देखने को मिलती है. जिसका कई बार ऑपरेशन करके ऑपरेट कराना पड़ता है. मुंह खोल कर सोने से बच्चे को प्रॉपर ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और ऑक्सीजन ना मिलने के कारण वह ड्राई माउथ का शिकार तो होता ही है, साथ में मुंह खोलकर सांस लेने से उसके चेहरे और दांतों का भी आकार भी बिगड़ना शुरू हो जाता है.
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ड्राई माउथ के प्रभाव: कई बार बच्चे का चेहरा पतला और लंबा हो जाता है दांतो का टेढ़ा होना भी इसी में शामिल है. अगर वक्त रहते इस पर ध्यान ना दिया जाए तो आगे चलकर बच्चे को सर्जरी कराने की भी आवश्यकता हो सकती है. जो बच्चे रात को मुंह खोल कर सोते हैं उन बच्चों को सिर में दर्द की समस्या आम होती है और उनमें एनर्जी लेवल भी कम होता है और बच्चे को ब्लड प्रेशर सहित दिल की बीमारी से भी जूझना पड़ सकता है. शरीर में प्रॉपर ऑक्सीजन ना मिलने से शरीर के हर भाग पर प्रभाव पड़ता है.
बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि यह परेशानी केवल छोटे बच्चों में ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों में भी हो सकती है. इसलिए अभिभावकों को अपने छोटे बच्चों के सोते समय भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि वह कहीं मुंह खोल कर तो नहीं सो रहे हैं और अगर वह मुंह खोल कर सो रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है.
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