चंडीगढ़: हरियाणा सरकार और किसान एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. सूरजमुखी पर भावांतर भरपाई योजना के तहत एक हजार रुपये देने के मामले में हरियाणा सरकार और भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के बीच शुक्रवार देर शाम बातचीत हुई. हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी अपने शिष्टमंडल के साथ शामिल हुए लेकिन बातचीत में कोई समाधान नहीं निकला.
बैठक के बाद शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि किसानों के साथ आज की बैठक सकारात्मक माहौल में हुई है. सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सरकार हैफेड को जिम्मेदारी देने पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि हैफेड के सरकारी खरीद करने पर सूरजमुखी के रेट बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज की बैठक की पूरी जानकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दी जाएगी. इस पर वही फैसला लेंगे.
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फिलहाल सरकार ने सूरजमुखी की खरीद पर एक हजार रुपए की आर्थिक सहायता अंतरिम तौर पर दी है. यह कोई अंतिम फैसला नहीं है. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि बैठक में किसान यूनियन को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत करने का आश्वासन दिया गया है. बैठक में अधिकारी सूरजमुखी का रेट बढ़ाने की बात करते रहे. लेकिन हम सिर्फ एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को 6 जून तक का अल्टीमेट दिया है.
सरकार को चेतावनी: गुरनाम सिंह ने कहा कि 6 जून तक सरकार दोबारा बातचीत करती है तो किसान यूनियन तैयार है. लेकिन अगर सरकार 6 जून से पहले बातचीत नहीं करती या फिर हमारी मांग नहीं मानती तो हमारी ओर से बातचीत के दरवाजे बंद हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 6 तारीख से पहले ही सरकार को फैसला करना होगा. उसके बाद किसान कमेटी अपना फैसला लेगी. 6 जून को आंदोलन का ऐलान पहले ही किया जा चुका है.
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उन्होंने कहा कि हमारी मांग है एमएसपी पर ही सूरजमुखी की खरीद हो. उन्होंने कहा कि हमें 6,400 रुपये का भाव चाहिए, सरकार हमसे एमएसपी पर खरीदे और आगे वो किसी को भी बेचे उससे हमें कोई एतराज नहीं है. किसानों को फरवरी-मार्च में बेमौसम बारिश से खराब हुई फसलों के लिए 181 करोड़ मुआवजा देने पर गुरनाम सिंह ने कहा कि सरकार ने अब तक 2021 का मुआवजा भी किसानों को नहीं दिया है. बीमा कंपनियों को मनमर्जी करने की छूट मिली हुई है. बीमा कंपनी मुआवजा राशि के ब्याज का फायदा उठा रही है. मुआवजा देने के लिए सरकार ने कोई समय सीमा और पारदर्शी तरीका निर्धारित नहीं किया है.