चंडीगढ़: कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से देशभर में कोर्ट की कार्यवाही पर असर पड़ा है. भारत में जब लॉकडाउन की घोषणा हुई, तब से जिला अदालतों और उच्च न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही जरूरी मामलों की सुनवाई की जा रही है. बात करें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पहले से ही 4 लाख 30 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं.
लॉक डाउन की वजह से हाई कोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या में इजाफा हुआ है. इन मामलों में क्रिमिनल, सिविल और मैट्रिमोनियल केसिस भी हैं. इस बारे में सिविल वकील चंचल कुमार सिंगला ने कहा कि कई ऐसे मामले थे जिनका निपटारा होना था. अब पता नहीं कितना इंतजार और करना पड़ेगा. उनके पास करीब 1500 मामलों की पेंडेंसी है.
वहीं क्रिमिनल वकील आरएस रंधावा ने बताया कि उनके तकरीबन 5000 मामले हाई कोर्ट में लंबित पड़े हैं. जो लॉक डाउन के कारण नहीं सुने गए. जिनकी जमानत 1 या 2 महीने में होनी थी वो भी लॉकडाउन की वजह से जेल में ही हैं. परेशानी ये भी है कि जेलों में मुलाकात का सिलसिला बंद है. जिसकी वजह से विचाराधीन कैदियों के साथ उनके परिजनों को भी परेशानी हो रही है.
कोर्ट बंद रहने के कारण कई मैट्रिमोनियल के केसों पर भी फर्क पड़ा है वकील रवि जोशी बताते हैं कि कई तलाक के केस लंबित पड़े थे. वो लॉकडाउन के कारण नहीं सुने गए. सबसे ज्यादा परेशानी उन औरतों को आई जो अपने पति से तलाक के बाद मेंटेनेंस लेती थीं. कई मुवक्किल ऐसे थे जो कोर्ट में चेक देते थे. लॉकडाउन की वजह से कोर्ट बंद रहे. इसलिए उन महिलाओं तक के पैसे नहीं पहुंच पाए.
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भले ही लॉकडाउन में ढील मिल गई हो लेकिन अभी तक वकीलों के चैंबर नहीं खुले हैं. वकील देवांश इंद्रप्रीत सिंह ने कहा कि ऑफिस खुलने से थोड़ी राहत जरूर मिली है. अब लोग उनसे मुलाकात कर समस्या का समाधान कर रहे हैं.
बता दें कि करोना वायरस के संक्रमण से कई कैदियों और विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है और कई को पैरोल पर भेजा गया है. कई ऐसे विचाराधीन कैदी हैं जिन्हें उम्मीद थी कि 3 महीनों के अंदर उनकी जमानत होगी. लेकिन अदालतें बंद होने की वजह से उनकी सुनवाई नहीं हो पाई. ऐसे कैदियों कितना इंतजार और करना पड़ेगा. ये बड़ा सवाल है.