प. बंगाल: आय का नया स्रोत बन रही जरबेरा की खेती

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Published : Jan 16, 2021, 9:53 PM IST

Updated : Jan 18, 2021, 8:38 PM IST

नादिया : कर्नाटक में जरबेरा या ट्रांसवाल डेज़ी की खेती के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है, फिर भी यहां इसकी खेती करना प्रतिबंधित है. वहीं, पश्चिम बंगाल में इसकी खेती आय का महत्वपूर्ण स्रोत बनती जा रही है. नादिया के उज्जवल देबनाथ ने जरबेरा के फूलों की खेती करके 60,000 रुपये से 70,000 रुपये तक की मासिक आय अर्जित की है. उसने ऐसा करके एक मिसाल कायम की है. बता दें, नादिया जिले के शांतिपुर पुलिस स्टेशन के तहत चंद्रा क्षेत्र के निवासी देबनाथ एक प्रसिद्ध परिवार से हैं. उनके पिता बचपन से ही खेती से जुड़े हैं.उज्जवल देबनाथ ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक एक निजी कंपनी में काम किया. हालांकि, वह कुछ अलग करने की इच्छा रखते थे. इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने पिता के साथ खेती करने लगे. इसके बाद उन्होंने इंटरनेट की मदद से फूलों और फूलों की खेती के बारे में अध्ययन करना शुरू किया. साथ ही उन्होंने लोगों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू की कि कैसे जरबेरा की खेती के विचार को आगे बढ़ाया जाए. जानकारी करने के बाद उन्होंने नदिया जिले में राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया. इसके तुरंत बाद उन्होंने फ्लोरीकल्चर विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार जरबेरा की खेती शुरू कर दी. प्रारंभ में उन्होंने उस फूल की खेती आधे एकड़ से अधिक भूमि पर की. जहां उन्होंने लगभग 1,000 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में ग्रीनहाउस बनाया था. बाद में उन्होंने पहले वाले से सटे 700 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक और ग्रीनहाउस स्थापित किया. उन्होंने कहा कि जरबेरा की खेती से लगभग 60,000 रुपये मासिक आय आसानी से मिल सकती है. जरबेरा की खेती अधिक लाभदायक है. आने वाले दिनों में नादिया जरबेरा की खेती का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा.
Last Updated : Jan 18, 2021, 8:38 PM IST

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