ईश्वर ने महिलाओं को एक नये जीवन को जन्म दे सकने की नेमत दी है जिसके चलते शारीरिक विकास के हर चरण में उसके शरीर तथा शारीरिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन होते रहते हैं. महिलाओं के जीवन में जितने मानसिक व शारीरिक परिवर्तन मासिक धर्म की शुरुआत के समय होते हैं उससे कहीं ज्यादा रजोनिवृत्ति यानी मासिक धर्म के बंद होने पर होते हैं. रजोनिवृत्ति महिलाओं के जीवन का एक जरूरी चक्र है जिसके उपरांत उनकी महावारी बंद हो जाती है और साथ ही उनकी प्रजनन की क्षमता भी समाप्त हो जाती है. महिलाओं के लिए यह दौर सरल नहीं होता है, तथा इस प्रक्रिया में उन्हें कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है, जो विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण भी बनते हैं.
इस दौरान विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं को लेकर भी महिलाओं का शरीर ज्यादा संवेदनशील हो जाता है और उनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग तथा पाचन संबंधी समस्याओं सहित अन्य शारीरिक समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है. कुल मिलाकर यह कहना ज्यादा उचित होगा कि यह रजोनिवृत्ति की अवस्था महिलाओं के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है.
रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाएं कैसे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रख सकती हैं, इस बारे में ज्यादा जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में 18 अक्टूबर को विश्व रजोनिवृत्ति दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यह विशेष दिवस महिलाओं में “बोन हेल्थ” यानी “अस्थियों के स्वास्थ्य” थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या है रजोनिवृत्ति
रजोनिवृत्ति महिलाओं के शरीर में होने वाला ऐसा बदलाव है जिसके उपरांत उनका मासिक धर्म या महावारी बंद हो जाती है. इंडियन मेनोपॉज सोसायटी के आंकड़ों के अनुसार आमतौर पर महिलाओं में 46 से 47 वर्ष की आयु में मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति होती है. लेकिन कई बार कुछ महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियां ( थायराइड, मधुमेह, सिलियक डिजीज तथा रयूमेटिक अर्थराइटिस आदि ) , अनुवांशिक कारणों, कैंसर के इलाज के चलते रेडिएशन या कीमो थेरेपी के कारण, टी.बी - मलेरिया या एचआईवी जैसे संक्रमण के चलते अंडाशय को क्षति पहुंचने के कारण , धूम्रपान, हिस्ट्रेक्टॉमी ऑपरेशन के बाद अंडाशय निकालने तथा प्रीमेच्योर ओवेरियन फैलियर जैसे कारणों के चलते समय से पहले ही मासिक धर्म बंद हो जाता है जिसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहा जाता है.
डब्ल्यू. एच. ओ के आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में 1% लेकिन भारत में 12.9 % महिलाओं में 35 से 40 की उम्र में ही समय पूर्व रजोनिवृत्ति के लक्षण नजर आने लगते हैं.
रजोनिवृत्ति के लक्षण तथा प्रभाव
रजोनिवृत्ति के मुख्य लक्षणों में महावारी का अनियमित हो जाना या रक्तस्राव का पूरी तरह बंद हो जाना मुख्य होते हैं. इसके अलावा उनमें पाचन में समस्या, नींद में समस्या, मूड में अचानक बदलाव जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, घबराहट या चिंता नजर आ सकती है. कई बार इस अवस्था में महिलाएं अवसाद का भी शिकार हो जाती हैं. इसके अलावा रजोनिवृत्ति के दौरान जोड़ों में दर्द और योनि में सूखे पन जैसे लक्षण भी देखने में आते हैं.
रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाओं की गर्भ धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है. शरीर में ज्यादा मात्रा में हारमोंस के स्तर में बदलाव के फलस्वरुप आमतौर पर महिलाएं इस अवस्था में मानसिक अवसाद, तनाव, आत्मविश्वास तथा याददाश्त में कमी के साथ-साथ , सिर, जोड़ों व कमर में दर्द तथा ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का भी सामना करती हैं. इसके अतिरिक्त शारीरिक संबंध बनाने में अनिच्छा, हद से ज्यादा कमजोरी, थकान, मोटापा, मधुमेह, हृदय स्वास्थ्य पर असर तथा अन्य कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं भी इस अवस्था में महिलाओं को ज्यादा गंभीर रूप में प्रभावित कर सकती हैं.
स्वास्थ्य पर ध्यान दे महिलायें
यदि समय रहते महिलाएं अपने स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखने लगे और लक्षणों के आधार पर अपनी शरीर में होने वाले परिवर्तनों को समझें और समस्याओं को दूर करने का प्रयास करें तो रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाली शारीरिक व मानसिक समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है. यहां सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि उसके परिजनों के लिए भी महिला की परिस्थितियों को समझना बहुत जरूरी है. क्योंकि शरीर में विभिन्न हार्मोन के परिवर्तन का असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा पड़ता है ऐसे में यदि उसके परिजन उसे मानसिक संबल तथा सहयोग प्रदान करते हैं तो इस अवस्था में होने वाली मानसिक समस्याओं का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है.
विश्व रजोनिवृत्ति दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य भी ना सिर्फ महिलाओं बल्कि अन्य लोगों को भी रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को होने वाली शारीरिक व मानसिक समस्याओं को लेकर जागरूक करना तथा उन्हें ऐसे समय में महिलाओं का सहयोग करने की अहमियत समझाना है. जिससे महिलाएं इस दौर में अपेक्षाकृत कम शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करें. इसके साथ ही इस दिवस को मनाए जाने का एक मुख्य उद्देश्य समय पूर्व रजोनिवृत्ति के लक्षण नजर आने पर उसके उपचारों के बारे में लोगों को जागरूक करना भी है.