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मैसूर के अस्पताल में कोविड-19 के वैक्सीन पर ट्रायल शुरू

मैसूर के जगदगुरु श्री शिवरात्रि (जेएसएस) अस्पताल में कोविशील्ड वैक्सीन का नैदानिक परीक्षण किया गया. यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है, जिसका परीक्षण अस्पताल के एक कोरोना रोगी पर की जाएगी. तीनों चरणों के ट्रायल प्रक्रिया के बाद इसे सत्पायन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा.

Covishield Vaccine
कोविशील्ड वैक्सीन
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Published : Aug 31, 2020, 4:54 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 9:31 AM IST

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन का नैदानिक परीक्षण मैसूर के जेएसएस अस्पताल में शुरू कर दिया गया है. एक अधिकारी ने रविवार को इस बात की जानकारी दी है.

उन्होंने आईएएनएस को बताया, 'शनिवार को हमारे अस्पताल में कोविशील्ड के नैदानिक परीक्षण की शुरूआत की गई. यह कर्नाटक का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा चुना गया है. अस्पताल में कोरोनावायरस के एक रोगी पर वैक्सीन के प्रभाव की जांच की जाएगी.'

देश के अन्य 16 संस्थानों में इसी तरह के परीक्षण चल रहे हैं.

इस अस्पताल का नाम जगदगुरु श्री शिवरात्रि (जेएसएस) है, जो नंजनगुड़ में काबिनी नदी के तट पर स्थित है और इसे सुत्तुर गांव में सुत्तुर मठ द्वारा संचालित किया जाता है. अस्पताल में 1,800 बिस्तरों की सुविधा है.

एक बार जब तीन चरणों में ट्रायल की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तो इसे सत्पायन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. इसके बाद पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय दवा और बायोफार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में वैक्सीन उम्मीदवार का उत्पादन किया जाएगा, भारत में जिसका संचालन केंद्र बेंगलुरु में है.

श्री शिवरात्रि राजेंद्र स्वामी के 105वीं जयंती महोत्सव पर ट्रायल शुरू किया गया.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन का नैदानिक परीक्षण मैसूर के जेएसएस अस्पताल में शुरू कर दिया गया है. एक अधिकारी ने रविवार को इस बात की जानकारी दी है.

उन्होंने आईएएनएस को बताया, 'शनिवार को हमारे अस्पताल में कोविशील्ड के नैदानिक परीक्षण की शुरूआत की गई. यह कर्नाटक का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा चुना गया है. अस्पताल में कोरोनावायरस के एक रोगी पर वैक्सीन के प्रभाव की जांच की जाएगी.'

देश के अन्य 16 संस्थानों में इसी तरह के परीक्षण चल रहे हैं.

इस अस्पताल का नाम जगदगुरु श्री शिवरात्रि (जेएसएस) है, जो नंजनगुड़ में काबिनी नदी के तट पर स्थित है और इसे सुत्तुर गांव में सुत्तुर मठ द्वारा संचालित किया जाता है. अस्पताल में 1,800 बिस्तरों की सुविधा है.

एक बार जब तीन चरणों में ट्रायल की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तो इसे सत्पायन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. इसके बाद पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय दवा और बायोफार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में वैक्सीन उम्मीदवार का उत्पादन किया जाएगा, भारत में जिसका संचालन केंद्र बेंगलुरु में है.

श्री शिवरात्रि राजेंद्र स्वामी के 105वीं जयंती महोत्सव पर ट्रायल शुरू किया गया.

Last Updated : Sep 1, 2020, 9:31 AM IST
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