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दिल्ली के 400 साल पुराने रोशन आरा पार्क का होगा पुनरोद्धार, एलजी ने दिए निर्देश

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Published : Jun 19, 2022, 9:55 AM IST

पुनर्निमित झील, नर्सरी, वाक-वे और हरियाली के साथ रोशन आरा बाग उत्तरी दिल्ली का शान बनेगा जो कि लोधी गार्डन और नेहरू पार्क की बराबरी करेगा. अक्टूबर अंत तक कार्य पूरा होगा.

LG VK Saxena visits Roshan Ara Park
LG VK Saxena visits Roshan Ara Park

नई दिल्ली: उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शनिवार को दिल्ली नगर निगम के अधीन उत्तरी दिल्ली के 400 साल पुराने एतिहासिक रोशन आरा बाग का दौरा किया और निर्देश दिये कि तीन माह के भीतर वहां चिह्नित 8.5 एकड़ जमीन अन्य पौधों के अलावा दुर्लभ और एक्सोटिक पौधों और फूलों की विश्व-स्तरीय नर्सरी विकसित की जाये. उन्होंने मलबा और सी एंड डी वेस्ट हटाकर इस पर ही काम शुरू करने के निर्देश दिये. इस नर्सरी से शहर भर में पौधरोपण के लिए न केवल सालाना 3 लाख पौधे उपलब्ध होंगे, बल्कि दिल्ली के आम लोगों को कम दाम में ऐसे पौधे उपलब्ध हो सकेंगे.

3.8 एकड़ परिसर में फैली मृत झील जो कि सिल्ट और जंगली घासफूस से भरी हुई है के पुनर्विकास के कार्यों की शुरुआत करते हुए उपराज्यपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस झील का पुराना गौरवशाली स्वरूप बहाल किया जाए. उपराज्यपाल ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि इसकी खुदाई एवं सफाई कम से कम चार मीटर तक की जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाये कि यह एक प्राकृतिक जल निकाय के रूप में विकसित हो. यह न केवल आगंतुकों का आकर्षण बने, बल्कि एक ईको-सिस्टम के रूप में भी विकसित हो जो झील में बहाल द्वीप के साथ-साथ विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण और संवर्द्धन करता हो.

LG VK Saxena visits Roshan Ara Park
दिल्ली के 400 साल पुराने रोशन आरा पार्क का होगा पुनरोद्धार

वर्षा के पानी को तालाब में संरक्षित किया जाएगा

बारिश का पानी तालाब को भरने में पर्याप्त नहीं होगा. इसलिये उपराज्यपाल ने निर्देश दिये कि रोशन आरा रोड, शक्ति नगर, कमला नगर और अंधा मुगल जैसे आसपास के क्षेत्र जो कि बाढ़ और जलजमाव से ग्रसित रहते हैं और बाग के कैचमेंट में हैं, उनका पानी चैनलों और पाइपलाइनों के माध्यम से झील में लाया जाये. जो मिट्टी झील की सतह से निकलेगी उससे झील के चारों ओर 4 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा. इससे बने तटबंधों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए भलस्वा लैंडफिल साईट से लाकर सी एंड डी वेस्ट का उपयोग किया जाए. इससे जहां एक ओर लैंडफिल साईट पर बोझ कम होगा वहीं यह भी सुनिश्चित होगा कि बांध की मिट्टी दुबारा झील में वापस नहीं जाएगी. उन्होंने निर्देश दिये कि यह कार्य एक माह की भीतर पूरा कर लिया जाये.

रोशन आरा बाग को पारिस्थितिक एवं प्राकृति उद्यान के रूप म पुनर्विकसित करने का निर्देश

इस क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए उन्होंने अधिकारियों को 57 एकड़ भूमि में फैले रोशन आरा बाग को पारिस्थितिक एवं प्राकृति उद्यान के रूप में समृद्ध और पुनर्विकसित करने के निर्देश दिये. ताकि इसका प्रारूप लोधी गार्डन या नेहरू पार्क जैसा हो सके. पुनर्विकसित उद्यान पर्यावरण के अनुकल हो और उसमें लोगों के लिए जन-सुविधाएं, भोजन की व्यवस्था और मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हो. यहां पैदल मार्ग बनाए जायें, पेड़ों की कटाई-छंटाई कर उन्हें आकार दिया जाए और मिट्टी एवं जलवायु के अनुरूप साइंटिफिक प्लांटेशन और लैंड स्केपिंग सुनिश्चित किया जाये, ताकि यह न केवल आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर का पसंदीदा स्थल बने.

एलजी वीके सक्सेना ने जोर देकर कहा कि रोशन आरा बाग परिसर के पुनर्विकास, पुर्नोद्धार और कायकल्प का पूरा काम इस वर्ष अक्टूबर के अंत तक पूरा कर लिया जाए. उपराज्यपाल ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि हर मृत अथवा अतिक्रमित जल निकाय, पार्क, हरित क्षेत्र और उद्यान आदि का पुनर्विकास, पुर्नोत्थान किया जाए ताकि दिल्ली बगीचों और फूलों का शहर बन सके.

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नई दिल्ली: उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शनिवार को दिल्ली नगर निगम के अधीन उत्तरी दिल्ली के 400 साल पुराने एतिहासिक रोशन आरा बाग का दौरा किया और निर्देश दिये कि तीन माह के भीतर वहां चिह्नित 8.5 एकड़ जमीन अन्य पौधों के अलावा दुर्लभ और एक्सोटिक पौधों और फूलों की विश्व-स्तरीय नर्सरी विकसित की जाये. उन्होंने मलबा और सी एंड डी वेस्ट हटाकर इस पर ही काम शुरू करने के निर्देश दिये. इस नर्सरी से शहर भर में पौधरोपण के लिए न केवल सालाना 3 लाख पौधे उपलब्ध होंगे, बल्कि दिल्ली के आम लोगों को कम दाम में ऐसे पौधे उपलब्ध हो सकेंगे.

3.8 एकड़ परिसर में फैली मृत झील जो कि सिल्ट और जंगली घासफूस से भरी हुई है के पुनर्विकास के कार्यों की शुरुआत करते हुए उपराज्यपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस झील का पुराना गौरवशाली स्वरूप बहाल किया जाए. उपराज्यपाल ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि इसकी खुदाई एवं सफाई कम से कम चार मीटर तक की जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाये कि यह एक प्राकृतिक जल निकाय के रूप में विकसित हो. यह न केवल आगंतुकों का आकर्षण बने, बल्कि एक ईको-सिस्टम के रूप में भी विकसित हो जो झील में बहाल द्वीप के साथ-साथ विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण और संवर्द्धन करता हो.

LG VK Saxena visits Roshan Ara Park
दिल्ली के 400 साल पुराने रोशन आरा पार्क का होगा पुनरोद्धार

वर्षा के पानी को तालाब में संरक्षित किया जाएगा

बारिश का पानी तालाब को भरने में पर्याप्त नहीं होगा. इसलिये उपराज्यपाल ने निर्देश दिये कि रोशन आरा रोड, शक्ति नगर, कमला नगर और अंधा मुगल जैसे आसपास के क्षेत्र जो कि बाढ़ और जलजमाव से ग्रसित रहते हैं और बाग के कैचमेंट में हैं, उनका पानी चैनलों और पाइपलाइनों के माध्यम से झील में लाया जाये. जो मिट्टी झील की सतह से निकलेगी उससे झील के चारों ओर 4 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा. इससे बने तटबंधों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए भलस्वा लैंडफिल साईट से लाकर सी एंड डी वेस्ट का उपयोग किया जाए. इससे जहां एक ओर लैंडफिल साईट पर बोझ कम होगा वहीं यह भी सुनिश्चित होगा कि बांध की मिट्टी दुबारा झील में वापस नहीं जाएगी. उन्होंने निर्देश दिये कि यह कार्य एक माह की भीतर पूरा कर लिया जाये.

रोशन आरा बाग को पारिस्थितिक एवं प्राकृति उद्यान के रूप म पुनर्विकसित करने का निर्देश

इस क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए उन्होंने अधिकारियों को 57 एकड़ भूमि में फैले रोशन आरा बाग को पारिस्थितिक एवं प्राकृति उद्यान के रूप में समृद्ध और पुनर्विकसित करने के निर्देश दिये. ताकि इसका प्रारूप लोधी गार्डन या नेहरू पार्क जैसा हो सके. पुनर्विकसित उद्यान पर्यावरण के अनुकल हो और उसमें लोगों के लिए जन-सुविधाएं, भोजन की व्यवस्था और मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हो. यहां पैदल मार्ग बनाए जायें, पेड़ों की कटाई-छंटाई कर उन्हें आकार दिया जाए और मिट्टी एवं जलवायु के अनुरूप साइंटिफिक प्लांटेशन और लैंड स्केपिंग सुनिश्चित किया जाये, ताकि यह न केवल आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर का पसंदीदा स्थल बने.

एलजी वीके सक्सेना ने जोर देकर कहा कि रोशन आरा बाग परिसर के पुनर्विकास, पुर्नोद्धार और कायकल्प का पूरा काम इस वर्ष अक्टूबर के अंत तक पूरा कर लिया जाए. उपराज्यपाल ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि हर मृत अथवा अतिक्रमित जल निकाय, पार्क, हरित क्षेत्र और उद्यान आदि का पुनर्विकास, पुर्नोत्थान किया जाए ताकि दिल्ली बगीचों और फूलों का शहर बन सके.

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