नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली की सलाह पर 23 साल पुरानी ओखला लैंडफिल साइट का कायाकल्प करने के प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं. साउथ एमसीडी ने बीते 10 महीने में साइट की ऊंचाई 58 मीटर से घटाकर 38 मीटर ही है.
साथ ही इसके एक हिस्से को पूरी तरह हरा-भरा कर दिया है. दावा है कि सतह बनाने और ढलाव को स्थिर और समतल बनाने का काम 70 प्रतिशत पूरा कर दिया गया है.
लगाई गई है घास
मंगलवार को साउथ एमसीडी के अपर आयुक्त रमेश वर्मा ने बताया कि यहां की सबसे ऊंची जगह को इतना मजबूत बनाया गया है कि हैलीकॉपटर भी उतर सकता है. उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन के कचरे को आधार बनाकर सबसे ऊंची सतह को तैयार किया गया है.
ढलाव को तैयार करते हुए उसके ऊपर मिट्टी का कवर दिया गया है. उस पर घास लगाई गई है और वहां ड्रम में पौधे लगाकर एक आकर्षण दिया गया है. वर्मा ने बताया कि उस जगह को ईको पार्क बनाने की योजना है.
पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव
इसी क्रम में ओखला वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से साइट तक एक पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव है, जिससे यहां पानी मिल सके. उन्होंने कहा कि यहां पर कूड़े कचरे से जहरीले पानी के कणों के रिसाव की समस्या से निपटने के लिए एक प्लांट भी लगाया गया है.
आधे से ज्यादा इलाके को स्थिर बना दिया गया है जबकि बाकी पर भी काम तेजी से चल रहा है.
तेजी से चल रहा है काम
बता दें कि ओखला लैंडफिल साइट के कायाकल्प के काम में 58 कर्मचारी लगे हुए हैं, जो 2 पालियों में काम करते हैं. इस साइट को बंद कर यहां वेस्ट मैनेजमेंट के 100% टारगेट के लिए काम किया जा रहा है.
यहां लैंड फिल साइट के पास मिली 47 एकड़ जमीन पर 2000 मीट्रिक टन कचरे के इस्तेमाल से 25 मेगावाट ऊर्जा संयंत्र लगाने और एक इंजीनियर लैंडफिल साइट बनाने का काम करने का फैसला किया गया था जो कि तेजी से चल रहा है.