नई दिल्ली: नंदनगरी थाने में तैनात कांस्टेबल शैली बंसल की मौत दिमागी बुखार और कोविड के बीच उलझ कर रह गयी है. जिस थाने में वह तैनात थी वहां के तीन स्टाफ कोविड पॉजिटिव आये थे. इसके बावजूद जब शैली को बुखार आया तो उसके मेडिकल पेपर में कोविड सस्पेक्ट नहीं लिखा गया. इसकी वजह से शैली की मौत का मामला उलझ गया है. ड्यूटी के दौरान ही वह बीमार पड़ी थी. अगर मेडिकल रिपोर्ट में कोविड से मौत की बात सामने आती तो दिल्ली सरकार की घोषणा के तहत उसे कोरोना योद्धा का सम्मान के साथ-साथ परिवार वालों को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि भी दी जाती.
यहां फंसा है पेंच
शैली को 2 मई को ड्यूटी पर ही बुखार आया, जांच में कोविड निगेटिव आया. इसी बीच उसके साथ काम करने वाले तीन स्टाफ कोविड पॉजिटिव पाये गए. यह जानकारी शैली की मेडिकल पेपर में नहीं डाली गई. हालात बिगड़ने पर उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. वहां जांच में आता चला कि शैली दिमागी बुखार से पीड़ित है. 24 मई को शैली की मौत ही गयी. जबकि साथ में काम करने वाले तीन स्टाफ कोविड पॉजिटिव पाए गए. शैली की रिपोर्ट में कोविड सस्पेक्ट और उनके तीन साथियों के कोविड पॉजिटिव की जानकारी का जिक्र नहीं होना ये सारी चीजें संदेह पैदा करती हैं.
कोरोना योद्धा का सम्मान देने की मांग
एम्स के डॉक्टर डॉ. विजय ने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इसे दिमागी बुखार कहकर परिजन को मुआवजा देने से इनकार किया जा रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि कोरोना महामारी के दौरान किसी भी फ्रंट लाइन वारियर की मौत को कोरोना योद्धा का सम्मान दिए जाने की बात खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं. पहले यह दायर सिर्फ डॉक्टरों तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसे सभी कोरोना वारियर्स के लिए लागू कर दिया गया था. डॉ विजय ने शैली की जिस संदिग्ध अवस्था में मौत हुई है और जो परिस्थिति साक्ष्य है उसके आधार पर उसे कोरोना योद्धा का सम्मान देने की मांग की है.
डॉ. विजय ने कहा कि दूसरे लोग जो उनके साथी थे उनकी रिपोर्ट को छुपाया गया. उसे शैली के मेडिकल पेपर पर होनी चाहिए थी. इस गलती की सजा परिवार को नहीं दी जानी चाहिये. हम सबको मिलकर आवाज उठाना चाहिए और शैली बंसल को कोरोना योद्धा का सम्मान दिलाना चाहिए.