नई दिल्लीः दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. शिक्षा निदेशालय द्वारा 13 जुलाई को जारी किए गए आधिकारिक आदेश के बाद भी, शिक्षक ज्वाइनिंग के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा निदेशालय द्वारा ऑर्डर में जान बूझकर ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिससे अतिथि शिक्षकों को ज्वाइनिंग में परेशानियां आए. एचओएस मनमाने तरीके से अपनी तानाशाही चला रहे हैं.
अतिथि शिक्षकों ने मांग की है कि इस ऑर्डर को रद्द कर एक नया सर्कुलर निकाला जाए. जिसमें सरल और स्पष्ट तौर पर यह निर्देश दिए जाएं कि सभी अतिथि शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से ज्वाइनिंग कराई जाए. अतिथि शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों के एचओएस साफ तौर पर जॉइनिंग देने से मना कर रहे हैं. खासतौर पर मिसलेनियस विषयों और थर्ड लैंग्वेज के शिक्षकों को.
'अतिथि शिक्षकों के मसले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा'
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में कार्यरत अतिथि शिक्षक मनीष ने कहा कि उन्हें महज इसलिए ज्वाइनिंग नहीं मिल रही है, क्योंकि वह फिजिकल एजुकेशन के टीचर हैं. मनीष ने कहा कि यह केवल उनके अकेले की समस्या नहीं हैं, ऐसे बहुत से अतिथि शिक्षक हैं जिन्हें ज्वाइनिंग नहीं मिल रही.
अतिथि शिक्षक मनीष ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के बयान पर भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री ने अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने की बात कही थी. उसके बाद शिक्षा निदेशालय को एक पत्र भी लिखा था. फिर भी कार्रवाई होने में कई दिन लग गए, लेकिन शिक्षा मंत्री ने कोई संज्ञान नहीं लिया.
'बेहतर रिजल्ट देने के बाद भी नहीं दी जा रही जॉइनिंग'
मनीष ने कहा कि शिक्षा मंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने शिक्षा के लिए करोड़ों का बजट पास किया है, तो क्या उसमें अतिथि शिक्षकों के वेतन के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस 10वीं-12वीं के रिजल्ट की शिक्षा मंत्री सराहना कर रहे हैं, उसमें अतिथि शिक्षकों की मेहनत भी शामिल है. लेकिन उसका कहीं जिक्र नहीं है.
अतिथि शिक्षक मनीष ने कहा कि अपना सौ फीसदी देकर पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षक दिहाड़ी वेतनमान पर काम करते हैं, फिर भी उन्हें रोजगार नहीं दिया जा रहा है. वह भी तब जब कोरोना संक्रमण के दौरान उन्हें रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत है.
'ज्वाइनिंग ऑर्डर का मनमाने तरीके से निकाल रहे हैं मतलब'
मनीष ने कहा कि 8 मई तक सभी अतिथि शिक्षक अपने अपने विषय के बच्चों को पढ़ा रहे थे, तो स्कूल खुलने के बाद अचानक उन विषयों की पढ़ाई कैसे रोक दी गई. उन्होंने कहा कि इस ऑर्डर में जो 'विलिंग' यानि 'इच्छुक' शब्द का इस्तेमाल किया गया है, स्कूलों के एचओएस उसका अपने हिसाब से मतलब निकाल रहे हैं और ज्वाइनिंग देने से मना कर रहे हैं.
नया ऑर्डर जारी करने की मांग
वहीं सभी अतिथि शिक्षकों की मांग है कि ऑर्डर वापस लेकर एक नया ऑर्डर जारी किया जाए. जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हो जिससे एचओएस को समझने में आसानी हो. तब शायद प्रिंसिपल बिना परेशान किए उन्हें ज्वाइनिंग दे दें.