नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म #MeToo शीर्षक फिल्म को रिलीज करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विभू बाखरु की बेंच ने सीबीएफसी को 3 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
याचिका फिल्म के प्रोड्यूसर साजिद इकबाल ने दायर किया है. साजिद ने अपनी याचिका में कहा है कि जब उसने सीबीएफसी के आदेश के खिलाफ फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल के यहां याचिका दायर की तो उसे देर से याचिका दायर करने की वजह से खारिज कर दिया गया. सीबीएफसी ने दिसंबर 2018 में अपने आदेश में इस फिल्म को एडल्ट का प्रमाणपत्र दिया था. सीबीएफसी ने फिल्म के प्रोड्यूसर को फिल्म का #MeToo नाम बदलने का भी निर्देश दिया था.
याचिका में कहा गया है कि सीबीएफसी के आदेश से संविधान की धारा 19 का उल्लंघन होता है.
साजिद इकबाल ने अपने वकील शिल्पी जैन के जरिये दायर याचिका में कहा है कि सीबीएफसी ने सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 और उसके नियमों का ध्यान में रखने बिना आदेश पारित किया. याचिका में कहा गया है कि सीबीएफसी ने फिल्म का शीर्षक बदलने के पीछे कोई तर्कसंगत वजह नहीं बताई. याचिका में कहा गया है कि फिल्म का शीर्षक बदले जाने से उसका मतलब ही समाप्त हो जाएगा. फिल्म का शीर्षक कहता है कि महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया जब तक नहीं बदलता तब तक वे टारगेट होती रहेंगी.